पंचकूला, 17 सितम्बर। पंचकूला वासियों के लिए परेशानी का सबब बने सेक्टर-23 स्थित डंपिंग ग्राउंड का कायाकल्प शुरू हो गया है। गुरुवार को विधान सभा अध्यक्ष एवं पंचकूला से विधायक ज्ञानचंद गुप्ता ने नारियल फोड़ कर और इलेक्ट्रिक बटन दबाकर इस कार्य का श्रीगणेश किया। इस मौके पर उन्होंने कचरे को अलग करके खाद बनाने के कार्य का अवलोकन किया और कचरा निष्तारण कार्य के सेग्रीगेशन, डिस्पोजल, बायो माइनिंग प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी ली। 38 करोड़ की लागत से बने इस प्रोजेक्ट से प्रतिदिन 2000 टन कचरे का निष्तारण होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि एक वर्ष के भीतर डंपिंग ग्राउंड के पूरे कचरे का निष्तारण हो जाएगा और इस जगह पर हरा-भरा पार्क विकसित होगा। 

पंचकूला के घग्गर पार के सेक्टर के लिए वीरवार का दिन नई सुबह का आगाज लेकर निकला। 16 वर्षों से डंपिंग ग्राउंड की दुर्गंध में फंसे यहां के लोगों के लिए यह दिन किसी वरदान से कम नहीं रहा। कोरोना से मुक्ति मिलते ही विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता इस बड़े प्रोजेक्ट का शुभारंभ करने पहुंचे तो शहरवासियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दरअसल यह प्रोजेक्ट घग्गर पार के सेक्टरों में रहने वाले लोगों के लिए जरूरी होने के साथ-साथ ज्ञान चंद गुप्ता के लिए भी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रहा है। गुप्ता ने ही अपने पिछले कार्यकाल में इसे मंजूर करवाया था। उसके बाद से वे लगातार इस प्रोजेक्ट की प्रगति पर नजर रखे हुए थे। गत 11 जुलाई को उन्होंने साइट का दौरा कर अफसरों को जल्द कार्य पूरा करने के निर्देश दिए थे। तब उन्होंने कार्य में हो रही देरी पर जवाबदेही तय करने के लिए संबंधित ठेकेदार को भी मौके पर बुलाया था। 

ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि लोग बहुत उम्मीदों के साथ अपना जनप्रतिनिधि चुनते हैं, उनकी हर आवश्यकता का ख्याल रखना जिम्मेदार नेता का दायित्व है। इस डंपिंग ग्राउंड में कचरा निष्पादन का प्रोजेक्ट उनकी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल रहा है। गुप्ता ने कहा कि पंचकूला में प्रतिदिन 150 टन सोलिड वेस्ट पैदा होने से शहर में बड़ा कूड़े का ढेर बन गया, जिससे पंचकूला की अधिकांश आबादी प्रभावित हो रही थी। इस प्लांट में कचरा निष्पादन का कार्य रुकने नहीं दिया जाएगा। कचरे का सेग्रिगेशन कर खाद बनाया जाएगा। इसके साथ यहां इस प्लांट के सौंदर्यीकरण का काम भी शुरू कर दिया गया है। यहां पौधरोपण करके सुंदर पार्क विकसित हो रहा है। इससे आसपास के सेक्टरों में रहने वाले लोगों को बदबू और गैस की समस्या से निजात मिलनी शुरू हो गई है।

नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि एक वर्ष के भीतर यहां मौजूद पूरे कचरे का निष्तारण कर दिया जाएगा। बॉयो माइनिंग प्रोजेक्ट से यहां रोजाना 2 से 3 हजार टन कचरे की माइनिंग कर खाद तैयार किया जाएगा। कचरे से निकलने वाले ड्राई वेस्ट को सीमेंट फैक्ट्री भेजा जाएगा। उसके अलावा कुछ ऐसे वेस्ट हैं जो किसी के लिए भी इस्तेमाल नहीं होता है, उन्हें इकट्ठा कर उठा लिया जाएगा। इस अवसर पर  नगर निगम के आयुक्त महावीर सिंह, संयुक्त सचिव संयम गर्ग, कार्यकारी अधिकारी जरनैल सिंह, तहसीलदार पुण्यदीप शर्मा, भाजपा जिला प्रधान अजय शर्मा, पूर्व जिला प्रधान दीपक शर्मा सहित कई पदाधिकारी मौजूद रहे।

जैविक खाद से बदलेगी शहर की आबोहवा 

प्लांट में 30 से 50 प्रतिशत कार्बोनिक अंश से जैविक खाद बनाई जाएगी। 30 से 40 प्रतिशत तक ज्वलनशील अंश अलग अलग करके ईंंधन के लिए उपयोग में लाए जाएंगे। केवल 10 प्रतिशत अंश को रिसाइकिल किया जाएगा। इस जैविक अंश का कम्पोजिंग या बायोगैस उत्पादन के लिए आसानी से उपयोग किया जा सकेगा। जैविक अंश का उपयोग आरडीएफ वैकल्पिक एवं ग्रीन ईंधन एवं रिसाइकिल के रूप में भी किया जा सकता है। इस प्रकार शहर में गड्ढे भरने के अलावा पौधों में भी इस जैविक खाद का प्रयोग किया जा सकेगा। इससे जहां नागरिकों को सोलिड कूड़े से निजात मिलेगी, वहीं जैविक खाद शहर को हरा-भरा करने में सहायक होगा।

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