भिवानी/शशी कौशिक पांडुलिपियों में भारतीय संस्कृति का स्वर्णिम इतिहास छिपा हुआ है। इसलिए पांडुलिपियों का संरक्षण किया जाना अति आवश्यक है। यह विचार महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र कुमार ने स्थानीय श्री सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित विद्वत गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा में आयुर्वेद के महान ग्रंथों में विश्व में व्याप्त सभी बीमारियों का उपचार लिखा हुआ है। आज पांडुलिपियों को अध्ययन करने से अनेक पुस्तकें देखने को मिली जिसमें महामारी विनाश के उपाय बताए गए हैं। समारोह के विशिष्ट अतिथि संस्कृत विभाग डॉक्टर रवि दत्त ने कहा कि संस्कृत वैज्ञानिक आधार पर एक परम विशुद्ध भाषा है। नासा के वैज्ञानिकों ने रिसर्च करके यह साबित किया है कि कंप्यूटर के लिए सबसे प्रमाणिक भाषा संस्कृत की है। संस्कृत भाषा एक देव भाषा होने के साथ-साथ कंप्यूटर भाषा भी है आज संस्कृत भाषा का प्रचार प्रसार विश्व के विभिन्न देशों में बहुत तेजी से बढ़ रहा है। समारोह के मुख्य वक्ता आचार्य रमेश मिश्र ने कहा कि आज संस्कृत भाषा को उसके गौरवपूर्ण इतिहास को फिर से वापस पाने के लिए भरसक प्रयास करना होगा। महाविद्यालय के प्राचार्य आचार्य विनय मिश्र ने कहा कि आज हरियाणा में संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए विभिन्न स्तरों पर कार्य हो रहे हैं। संस्कृत के उत्थान के लिए इसे जन भाषा बनाने का प्रयास किया जा रहा है संस्कृत संभाषण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है । कोई भी व्यक्ति संस्कृत भाषा में वार्तालाप कर सकता है। Post navigation अतिक्रमण नहीं सेक्टर-21 में बनेगा पार्क आढतियों की मांगों को लेकर मिले सांसद से