खट्टर-चौटाला सरकार द्वारा प्रदेश भर में सरकारी दमनचक्र चलाकर निहत्थे किसानों और व्यापारियों पर लाठी चार्ज करने और उन्हें हिरासत में लेने की कड़ी निंदा की है।

चंडीगढ़, 10 सितम्बर,  वरिष्ठ कांग्रेस नेता और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने खट्टर-चौटाला सरकार द्वारा प्रदेश भर में सरकारी दमनचक्र चलाकर निहत्थे किसानों और व्यापारियों पर लाठी चार्ज करने और उन्हें हिरासत में लेने की कड़ी निंदा की है। 

कांग्रेस पार्टी की तरफ से तीनों अध्यादेश के खिलाफ किसान-आढ़ती-मज़दूर के आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि खट्टर सरकार ये जान ले, पुलिसिया दमन से मंडी व्यापारियों-आढ़तियों की ये जबरन धर-पकड़ ना तो आवाज़ दबा पाएगी और न ही रोक पाएगी और किसान-आढ़ती-मज़दूर का कारवाँ चलता रहेगा। खट्टर साहब और दुष्यंत चौटाला जी, जिस किसान, आढ़ती और मजदूर के सिर पर आप सत्ता में आए थे, आज आप उसी की पगड़ी को लाठियों से कुचल रहे हैं। ये तीनों अध्यादेश सरकार को तुरंत वापिस लेने पड़ेंगे वरना लोग मोदी-खट्टर सरकारों को चलता कर देंगे। 

सुरजेवाला ने कहा कि जो तीन अध्यादेश मोदी सरकार लाई है, उससे मंडी, किसान और मजदूरी खत्म हो जाएगी, रोजगार और रोटी खत्म हो जाएगी। इसलिए अध्यादेशों का विरोध जारी रहेगा, आप चाहे कितने ही लाख किसानों, आढ़ती और मज़दूरों को जेलों में डाल दें, एक को डालेंगे, दूसरा सामने आएगा, ये संघर्ष जारी रहेगा। ये समझ लीजिए, जब तक मोदी और खट्टर सरकारों को हम उखाड़ कर नहीं फेंक देते, यही हमारा संकल्प है।

मुख्यमंत्री खट्टर और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को किसान-व्यापारी नेताओं को धरपकड़ और लाठीचार्ज के सीधे जिम्मेदार ठहराते हुए सुरजेवाला ने कहा कि वे किसानों-आढ़तियों को पीट कर, पगड़ियाँ उछाल, दमन कर भाजपा सरकार के तीनों किसान-व्यापारी विरोधी अध्यादेशों के ख़िलाफ़ लोगों की आवाज़ दबा नही सकते। दोनों की जोड़ी का नाम इतिहास ने दो ऐसे ‘दुर्दान्त शासकों’ के तौर पर लिखा जाएगा जिनका शासन किसान-आढ़ती-मज़दूर पर ‘दमन और जुल्म’ की निशानी बन गया। 

सुरजेवाला ने कहा कि कुरुक्षेत्र की ‘मंडी बचाओ, किसान बचाओ’ रैली को विफल करने के लिए शांतिपूर्वक किसानों और व्यापारियों पर किये अत्याचार के लिए प्रदेश के लोग खट्टर-चौटाला को कभी माफ़ नहीं करेंगे। हरियाणवी किसी जुल्म और दमन से डरने वाले नहीं हैं और कुरुक्षेत्र रैली को विफल करने के लिए किसान-व्यापारी नेताओं की ग़ैरक़ानूनी धर-पकड़ के बावजूद हज़ारों-हज़ारों किसान और व्यापारियों ने पहुँच कर प्रदेश की राजनीति में एक नए अध्याय और खट्टर-चौटाला सरकार के पतन की शुरुआत है। 

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