–कमलेश भारतीय पंजाब की लेखकों की नयी पीढ़ी को वरिष्ठ लेखकों द्वारा प्रोत्साहन की कमी है । एक समय भीष्म साहनी , निर्मल वर्मा , यशपाल , मोहन राकेश और रवींद्र कालिया देश में पंजाब का गौरव बढ़ा रहे थे लेकिन उनके बाद मुख्यधारा में पंजाब के लेखक शामिल नहीं । लेखकों की नयी पीढ़ी कैसे आगे आए ? यह कहना है दैनिक जागरण , अमर उजाला में साहित्यिक पन्नों के साथ फीचर का काम भी देखते रहे और दैनिक सवेरा में बतौर मैगजीन एडिटर कार्यभार संभाला। उन्होंने जालंधर पंजाब से साहित्य सिलसिला हिंदी पत्रिका का प्रकाशन भी किया । जालंधर के मूल निवासी अजर शर्मा की हायर सेकेंडरी तक की शिक्षा साई दास एंग्लो स्कूल में हुई । उसके बाद अमृतसर के श्री लक्ष्मी नारायण आयुर्वेदिक काॅलेज से बी.ए.एम.एस कर डाॅक्टर बन गये । -साहित्य लेखन का शौक कब लगा ?-बी. ए. एम. एस करते समय ।पिता रतनलाल शर्मा एम ए हिंदी थे और स्कूल में लेक्चरर । बचपन से उपन्यास पढ़ने का शौक था । गुलशन नंदा , रानू और कर्नल रंजीत सबके उपन्यास पढ़े ।-पहले क्या लिखा ? कहानी या उपन्यास? -कहानी । जो कहीं भी प्रकाशित नहीं हुई । पहली कहानी तस्वीर पंजाब केसरी में आई । फिर तो कहानियां जालंधर के समाचारपत्रों में आती रहीं । पत्रिकाओं में भी । -पहला उपन्यास कौन सा लिखा ?-चेहरा और परछाईं । -कुल कितने उपन्यास लिखे अब तक ?-बारह । -कौन कौन से उपन्यास किस यूनिवर्सिटी में पाठ्य पुस्तक के रूप में ?-बसरा की गलियां । गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी व पंजाबी यूनिवर्सिटी में । चेहरा और परछाई प्रभाकर के लिए । कागद कलम ना लिखणहार भी । -अब तक लेखन पर कितने शोध ?-अट्ठाइस एम फिल व तीन पीएचडी । -महत्त्वपूर्ण पुरस्कार ?-केंद्रीय हिंदी लेखक पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कार । पत्रकारिता में रहे और अब गोदी मीडिया कहा जाने लगा तो क्या कहोगे ?-सरकार की गोदी में बैठे मीडिया को और क्या कहा जायेगा ? लगता है मीडिया की रीढ़ की हड्डी ही नहीं है । सरकार के अहसान तले दबा मीडिया और करेगा भी क्या ? -आखे क्या लक्ष्य ?-साहित्य सिलसिला पब्लिकेशंस औल साहित्य सिलसिला पत्रिका का प्रकाशन फिर से ।नाटक कितने लिखे ? -पांच ।नाटक कैसे लिखने लगे ? -डी डी किसान और डी डी पंजाबी मेरे नाटकों के एपीसोड आए । आधारशिला के छब्बीस एपीसोड और सरोकार के छह । इस तरह नाटक लिखना जारी रहा । -एक समय मुम्बई भी गये थे । एक्टिंग का शौक था ?-बिल्कुल । पर फिर लेखक ही होकर रह गया। अब तो चेहरे पर लेखक के हस्ताक्षर हो चुके हैं और इसी में खुश । हमारी शुभकामनाएं डाॅ अजय शर्मा को । आप इस नम्बर पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं : 904134567 Post navigation लघुकथा : छायाँजली हिंदी दिवस विशेष : मातृभाषा सीखने से भविष्य की पीढ़ियों को अपने सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने के साथ संबंध बनाने में मदद मिलेगी