गुरुग्राम में मुख्यमंत्री की चेयरमैनशिप में चल रहा जीएमडीए विभाग कोरोंना के प्रति कितना संवेदनशील है इस बात का जायजा लेने के लिए जीएमडीए के एडमिन डिपार्टमेंट से फोन पर जानकारी हासिल की I

बताया गया कि जीएमडीए में आज तक कोई भी कोरोना जांच विभाग की तरफ से नहीं करवाई गई है जबकि यहां 60 से ज्यादा सेवानिवृत्त कर्मचारी अभी भी नौकरी कर रहे हैं I

गुरुग्राम के जिलाधीश की कोविड 19 के दिशा निर्देशों के अनुसार 65 वर्षीय बुजुर्गो को घर पर रहना चाहिए जबकि जीएमडीए में कई बुजुर्ग हैं जिनकी आज तक कोरोना जांच नहीं हुई है I

इस विभाग में ज्यादातर सेवानिवृत्त कर्मचारियों जिन पर प्रशासनिक अधिकारियों या राजनैतिक नेताओं का आशीर्वाद है को नौकरी पर रखा हुआ है और मजे की बात तो ये है कि इन कर्मचारियों को हर तीन से छह महीने में नई नियुक्ति दे दी जाती है I जबकि नई नियुक्ति या कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाते हुए इनकी स्वास्थ्य जांच भी नहीं की जाती I कई तो ऐसे बुजुर्ग हैं जिनके कॉन्ट्रैक्ट को दर्जनों बार बढ़ाया गया है I क्या सरकार को अपने युवाओं की क्षमता पर भरोसा नहीं है कि प्रदेश बेरोजगारी में प्रथम स्थान पर होते हुए भी युवाओं को रोजगार देने की बजाए इन्हीं बुजुर्गों को सरकारी सेवा से निवृति के उपरांत भी नौकरी पर बनाए हुए है I

किसी भी संस्था या प्राइवेट कम्पनियों में नौकरी ज्वाइन करने से पहले मेडिकल फिटनेस जांच प्रस्तुत जरूरी है , लेकिन इस विभाग में बिना किसी जांच के ही कॉन्ट्रैक्ट बढ़ा दिया जाता है I

कुछ ऐसी स्थिति गृहमंत्री के विभाग गुड़गांव नगर निगम की भी है यहां भी कॉन्ट्रैक्ट पर पदाधिकारी रखे हुए हैं और उनकी भी कोई जांच नहीं हुई है.

जैसा विधानसभा में कोरोना विस्फोट हुआ ऐसा जीएमडीए, गुड़गांव नगर निगम में नहीं होगा इसकी क्या गारंटी है I क्या यहां जिलाधीश के आदेश की पालना इसलिए नहीं होती कि ये मुख्यमंत्री का अपना खुद का महकमा है व यहां ज्यादातर उच्च आशीर्वाद प्राप्त ही नौकरी पर हैं I

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