धर्मपाल वर्मा चंडीगढ़, हरियाणा में कई उपचुनाव ऐसे हुए हैं जिन्होंने राजनीति को राजनेताओं को राजनीतिक दलों को नई दिशा देने का काम किया है l इनमें एक चुनाव 1993 में नरवाना में उस समय हुआ था जब तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी भजन लाल ने एक रणनीति के तहत अपने एक प्रभावशाली कैबिनेट मंत्री चौधरी शमशेर सिंह सुरजेवाला को राज्यसभा भेज दिया और उनकी जगह उनके बेटे रणदीप सिंह सुरजेवाला चुनाव लड़ने आए l इस चुनाव के समय इंडियन नेशनल के नेशनल लोकदल के 16 एमएलए होते थे ,ओम प्रकाश चौटाला भी जीत गए तो केवल विधायकों की संख्या बढ़कर 17 नहीं हुई बल्कि चुनाव के बाद देर से ही सही, इंडियन नेशनल लोकदल का सत्ता में आने का रास्ता खुल गया था l इसके बाद ही श्री चौटाला ने नरवाना और फिर उचाना में चुनाव लड़ने का क्रम जारी रखा और जींद में इंडियन नेशनल लोकदल ने अपना जनाधार इस तरह से बढ़ाया की एक बार जींद जिले की 5 की 5 सीटों पर इनेलो उसी तरह काबिल हुआ जैसे अमूमन सिरसा जिले में रहता आया था l बेशक इस चुनाव से चो ओम प्रकाश चौटाला और चौधरी भजनलाल को एक नुकसान भी हुआ जिसका लाभ भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मिला परंतु हम यह कह सकते हैं कि उस उपचुनाव ने हरियाणा की राजनीति को नई दिशा देने का काम किया l अब हम बात करते हैं एक और उपचुनाव की l वह था जींद का उपचुनाव जो पिछली सरकार में हुआ इस चुनाव से पहले इंडियन नेशनल लोकदल को बड़े दंश झेलने पड़े थे पार्टी का विभाजन हो गया था l जेजेपी अपने पीक पर थी lकांग्रेस ने भी अपने मजबूत उम्मीदवार को मैदान में उतारा था lइस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की कांग्रेस को झटका लगा जेजेपी भी दावों के बावजूद चुनाव नहीं जीत पाई परंतु उस चुनाव में इनेलो को एक बड़ा नुकसान यह हुआ कि उसके उम्मीदवार को बहुत ही थोड़े वोट मिले और पार्टी पूरी तरह से एक्सपोज हो गई और गर्त में चली गई रही सही कसर विधानसभा लोकसभा के आम चुनाव ने पूरी कर दी l इसके बाद ऐसी नौबत आई कि लोगों ने यह कहना शुरू कर दिया कि इंडियन नेशनल लोकदल खत्म l परंतु अभय सिंह चौटाला ने विपरीत परिस्थितियों में विचलित ना होने का प्रमाण देते हुए यह साबित किया कि उनके पिता श्री ओम प्रकाश चौटाला अगर लोह पुरुष हैं तो वह भी उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी हैं और देवीलाल के उस मूल मंत्र के पक्के अनुयाई हैं कि लोकतंत्र में जो व्यक्ति लोगों के बीच में रहता है कुछ ना कुछ ले मरता है lबहुत ही विपरीत परिस्थितियों में भी अभय सिंह ने पीछे मुड़कर नहीं देखा l लगातार आक्रामकता बनाए रखी lपार्टी को सक्रिय रखा l विधानसभा हो ,फील्ड हो ,या मीडिया ,उन्होंने सदा खुद को न केवल mentally maintain रखा बल्कि दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय भी दिया l विरोधियों ,सरकार पर हावी रहने की कोशिश की l कोरोना काल में उनकी सक्रियता ने उन्हें निखार दिया lकिसानों ने यह महसूस किया कि अभय सिंह चौटाला अलग मिट्टी के बने व्यक्ति हैं और उन्हें पारिवारिक दुष्प्रचार ने कमजोर करने की कोशिश की है परंतु वह जुबान के धनी और सक्षम नेता है l उसके बाद मंडियों में जो किसान और उपज की जो बेकद्री हो रही थी उसे भी अभय सिंह ने बड़ी मुस्तैदी से उठाया और इससे वह लोगों में एक विशेष सहानुभूति बटोरने में कामयाब हुए l संयोग से बरोदा में जो उपचुनाव में होने जा रहा है यह इंडियन नेशनल लोकदल और अभय सिंह चौटाला उनके कार्यकर्ताओं के लिए वरदान साबित हो सकता है lऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि परिस्थितियां यह प्रमाणित कर रही हैं कि जेजेपी का वोट बैंक एक बार फिर इनेलो में दोबारा इनेलो में शिफ्ट होने की स्थिति में आ गया है l इसके कई कारण है lएक यह कि लोगों को यकीन हो गया है कि उपचुनाव मै भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार ही चुनाव लड़ेगा मतलब जेजेपी का उम्मीदवार चुनाव में नहीं उतरेगा! बरोदा में जाटों में इस तरह के मतदाताओं की संख्या बहुत है जिन्हें आप बीजेपी विरोधी और कांग्रेस विरोधी विचारधारा के कह सकते हैं यह लोग अब एकजुट होकर इनेलो के झंडे के नीचे आए तो तीन बातें प्रमाणित हो जाएंगी lएक यह की मुख्य मुकाबला कांग्रेस को भाजपा में होगा l दूसरा यह कि इस चुनाव में जेजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान होगा तीन इस चुनाव में सबसे फायदे में इंडियन नेशनल लोकदल रह सकता है lअभय सिंह चौटाला ने पिछले दिनों दो दर्जन से ज्यादा गांव में चुनाव प्रचार किया मतलब चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया l इन सभाओं में उमड़ती भीड़ से न केवल अभय सिंह चौटाला उत्साहित हैं बल्कि उनके कार्यकर्ताओं का हौसला बुलंद हुआ हैl लोग एक तरफ जेजेपी के नेताओं की आलोचना करते देखे जा सकते हैं दूसरी ओर अभय सिंह चौटाला की तारीफ करते देखे जा सकते हैं l हलके के प्रमुख गांव मुंडलाना का एक वाकया यहां चर्चा का विषय बना हुआ है lगांव में जो भगवान राम के किसान के घर में गैस सिलेंडर फटने से सब कुछ जलकर राख हो गया था lगांव में अभय सिंह चौटाला के कार्यक्रम के दौरान एक व्यक्ति ने मांग की कि गरीब भगवान को ₹100000 की मदद दी जानी चाहिए l अभय सिंह चौटाला ने इसे दोगुना करते हुए ₹200000 देने की घोषणा हीं नहीं कर दी बल्कि यह धनराशि अगले दिन ही जय भगवान के खाते में डलवा दी lबेशक अभय सिंह चौटाला लगातार संघर्ष करते आ रहे हैं लेकिन एक समय वह अकेले पड़ गए नजर आते थे lपार्टी को राजनीतिक चेहरों की जरूरत थी l नफे सिंह राठी के अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी से नए चेहरे भी जुड़े हैं lअब यह काफिला बनता नजर आ रहा है lअब पार्टी में ब्राह्मण चेहरे के रूप में बादली से दो बार विधायक रहे नरेश प्रधान है तो दलित चेहरों में बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे श्री भारती अब इंडियन नेशनल लोक दल के ध्वजवाहक बने हुए हैं lकल रविवार को प्रदेश के दलित समाज के बड़े नेता कॉन्ग्रेस मैं लंबे समय से राजनीति करते आ रहे पूर्व सीपीएस राजकुमार बाल्मीकि भी इनेलो में शामिल हो गए हैं lइससे इनेलो को भी और श्री बाल्मीकि को भी काफी लाभ होगा lउनके पास पूरे प्रदेश में कार्यकर्ताओं की एक सक्रिय टीम हैl अभय सिंह चौटाला ने 5 सितंबर से 4 दिन के लिए फिर एक कार्यक्रम बरोदा हल्का मैं जनसंपर्क के लिए बना लिया है lयह कार्यक्रम पार्टी की मजबूती के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है lआने वाले समय में यदि पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश चौटाला इस हलके में आकर लोगों से रूबरू होंगे तो यह सोने पर सुहागा साबित हो सकता हैl इस समय बरोदा में इंडियन नेशनल लोकदल मैं सकारात्मकता साफ नजर आ रही है l पार्टी के नेताओं के पास मजबूत उम्मीदवार का चयन करने का भी शानदार मौका है l कांग्रेस इंतजार में है कि भाजपा के उम्मीदवार का पता चले और भाजपा कांग्रेस के उम्मीदवार का पता करना चाहती है और अभय सिंह चौटाला इन दोनों के फैसले के बाद कोई फैसला लेना चाहते हैं लेकिन एक बात जरूर है कि उनके पास मजबूत विकल्प मौजूद है और इंडियन नेशनल लोकदल बरोदा में चमत्कार करने की स्थिति में लगातार आगे बढ़ रहा है l Post navigation हरियाणा में निर्वाचित सरकार का अफसरशाही पर कोई नियंत्रण नही : विद्रोही पहली बार नहीं ठनी मंत्री और अफसर में