-वेबीनार में हिन्‍दी का वैश्विक फलक पर हुआ मंथन, वक्‍ताओं ने दिए बहुमूल्‍य सुझाव. -हिन्‍दी को स्‍कूल शिक्षण से जोड़ने पर ही होगा संस्‍कृति के स्‍तर पर चेतना जागृत

गुरुग्राम। विश्‍व हिन्‍दी सचिवालय मॉरीशस और महर्षि दयानंद विश्‍वविद्यालय के सहयोग से सृजन ऑस्‍ट्रेलिया द्वारा अंतरराष्‍ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। हिन्‍दी का वैश्विक फलक विषय पर आयोजित इस वेबीनार की अध्‍यक्षता केंद्रीय गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग के पूर्व संयुक्‍त सचिव डॉ. बिपिन बिहारी ने की। बतौर मुख्‍य वक्‍ता विश्‍व हिन्‍दी सचिवालय मॉरीशस डॉ. माधुरी राजनाथ और विशिष्‍ठ वक्‍ता में हिन्‍दी वक्‍ता संघ (मॉरीशस) के उपाध्‍यक्ष सत्‍यदेव प्रीतम एवं गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग में उपसंपादक डॉ. धनेश द्विवेदी रहे। वहीं, रोहतक स्थित महर्षि दयानंद विश्‍वविद्यालय के मानविकी संकाय के डीन और पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के अध्‍यक्ष प्रो. हरीश कुमार का सानिध्‍य प्राप्‍त हुआ।

डॉ. माधुरी ने कहा, विश्‍व भर में हिन्‍दी का प्रवाह निर्बाध रूप से बढ़ रहा है। इसमें तकनीक की बड़ी भूमिका है। आज विश्‍व के कई देशों में हिन्‍दी दिवस का आयोजन होता है।

अमेरिका, कनाडा, तेहरान, कैरो, ओमान, दोहा, पुर्तगाल, भूटान समेत अन्‍य देशों में हिन्‍दी संगोष्‍ठी, कविता पाठ, भाषण के अतिरिक्‍त फिल्‍मों का प्रदर्शन, साहित्‍य एवं सांस्‍कृतिक कार्यक्रम होते है। उन्‍होंने बताया कि अब तक 11 विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन का आयोजन भी प्रमाणित करता है कि हिन्‍दी अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर स्‍थापित हो रही है।

बतौर वक्‍ता मौजूद महर्षि दयानंद विश्‍वविद्यालय के मानविकी संकाय के डीन और पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के अध्‍यक्ष प्रोफेसर हरीश कुमार ने कहा कि हिन्‍दी सांस्‍कृतिक चेतना को जोड़ने की भाषा है। दक्षिण भारत के दूर दराज के लोग भले अंग्रेजी नहीं जानते, लेकिन वह हिन्‍दी जानते है। समझते है। उन्‍होंने कहा कि यदि हिन्‍दी को स्‍कूल शिक्षण से नहीं जोड़ा गया तो संस्‍कृति के स्‍तर पर चेतना जागृत नहीं होंगे। आने वाले पीढि़यां उन मूल्‍यों से वंचित रह जाएगी, जो भारतीय समाज का मूल्‍य आधार है। इसके लिए जरूरी है कि स्‍कूल, कॉलेज और विश्‍वविद्यालय हिन्‍दी के साथ दूसरी भाषाओं को भी जगह दें। विश्‍वविद्यालयों में हिन्‍दी एवं भारतीय भाषा विभाग बनें और विदेशी भाषा के तर्ज पर अन्‍य भारतीय भाषाओं को पढ़ने का मौका मिले।

बिपिन बिहारी ने कह कि हिन्‍दी अब बाजार की भाषा बन चुकी है। हिन्‍दी में आना और सीखना मल्‍टीनेशनल कंपनियों की मजबूरी है। यदि और हिन्‍दी को रोजगार जोड़ दिया जाता है तो आने वाले वक्‍त में हिन्‍दी को और विस्‍तार मिलेगी। इसमें राजभाषा विभाग की बड़ी भूमिका है। हिन्‍दी के विस्‍तार का ही नतीजा है कि सरकारी प्रतियोगी परीक्षा में हिन्‍दी माध्‍यम के विद्यार्थी तेजी से बढ़ रहे है। तकनीकी समावेश के साथ हिन्‍दी का विस्‍तार और संभव है। इस मौके पर वक्‍ताओं ने हिन्‍दी के विस्‍तार को लेकर चिंतन-मनन किया और बताया कि विदेशी विश्‍वविद्यालयों में हिन्‍दी विभाग बनाकर वहां के छात्रों को हिन्‍दी विदेशी भाषा के तौर पर पढ़ाया जाना सुखद यात्रा की शुरुआत है।

 ————————————सृजन ऑस्‍ट्रेलिया क बारे में

सृजन ऑस्‍ट्रेलिया एक गैर लाभकारी मंच है। जिसका उद्देश्‍य हिन्‍दी को बढ़ावा देना है। इसमें विभिन्‍न विश्‍वविद्यालयों और कॉलेजों के प्रोफेसर स्‍वयंसेवी के तौर पर शामिल है। जल्‍द ही हिन्‍दी भाषी पत्रकारों को भी जोड़ने की योजना है।

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