चंडीगढ़, 28 अगस्त- किसी भी विद्यार्थी की मंशा परीक्षाओं के माध्यम से स्नातक या स्नातकोत्तर की अंतिम वर्ष की डिग्री लेने की रहती है न कि बिना परीक्षा के औसतन आधार पर उसे डिग्री हासिल हो और यही बात सर्वोच्च न्यायालय ने आज के अपने फैसले में कही है। हरियाणा के शिक्षा मंत्री श्री कंवर पाल ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है, जिसमें कहा गया है कि कोविड-19 को स्नातक व स्नातकोत्तर की अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाएं न करवाने को आधार नहीं माना जाता और राज्यों के विश्वविद्यालयों व कॉलेजों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की योजना के अनुसार 30 सितम्बर, 2020 तक परीक्षाओं का आयोजन करना है । यदि कोई राज्य इस अवधि में परीक्षाएं करवाने में असमर्थ है तो उसे यूजीसी को आग्रह करना चाहिए। शिक्षा मंत्री ने कहा कि जब एक विद्यार्थी स्नातक स्तर तक की पढ़ाई में 14 वर्ष तक मेहनत करता है और उसे वाजिब डिग्री न हासिल हो तो उसे उचित नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि हरियाणा उच्चतर शिक्षा विभाग विद्यार्थियों की ऑनलाइन या ऑफलाइन परीक्षा का आयोजन करवाने की तैयारी कर चुका है। इसके लिए कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए परीक्षा आयोजित करने के लिए बेहतर व्यवस्था की जाएगी। Post navigation पंजाब की तरह हरियाणा सरकार भी 3 किसान विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ प्रस्ताव पास करके केंद्र को भेजे : बलराज कुंडू। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में कोरोना का कहर लगातार बढ़ रहा