27 अगस्त 2020 , स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि कांग्रेस व विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के दबाव और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कोरोना संक्रमित होने के चलते सरपंचों के लिए राइट टू रिकॉल बिल एक दिन के संपन्न हुए विधानसभा सत्र में तो टल गया1 पर सरपंचों के लिए राइट टू रिकॉल कानून बनाना ही अव्यवहारिक और गांव में गुटबाजी और आपसी झगड़ों को बढ़ावा देने वाला ऐसा कदम होगा जो गांव में अशांति पैदा करेगा1 विद्रोही ने कहा राइट टू रिकॉल कानून बनाने का कुप्रयास अधकचरी सोच का परिचायक है1 सरपंचों के लिए कोई ऐसा कानून बनाने से पहले जहां प्रदेश में इस पर व्यापक चर्चा की जरूरत है1 वहीं जब तक आम मतदाता को सांसदों, विधायकों को वापस बुलाने का राइट टू रिकॉल अधिकार संसद कानून बनाकर नहीं देती तब तक सरपंचों के लिए ऐसे कानून की बात करना बेमानी है1 यदि भाजपा-जजपा सरकार राइट टू रिकॉल के प्रति गंभीर व ईमानदार है तो पहले केंद्र की मोदी-भाजपा सरकार पर दबाव डालकर संसद से सांसदों, विधायकों को वापस बुलाने के लिए राइट टू रिकॉल बिल पारित करवाए1 विद्रोही ने कहा हरियाणा के सामाजिक परिवेश में सरपंचों के लिए राइट टू रिकॉल का मतलब है बंदर के हाथ में उस्तरा देना1 ऐसा कानून बनने के बाद गांव का विकास तो अवरुद्ध होगा ही साथ में पहले ही गुटबाजी में बटे गांवों में इस कदर गुटबाजी व आपसी झगड़े बढ़ेंगे की पूरा प्रदेश अशांति की चपेट में आ जाएगा1 वहीं जिन जिन गांव में गरीब व ईमानदार व्यक्ति सरपंच बनेगा उसको गांव के ठोंडे किसी भी हालत में सरपंच नहीं रहने देंगे1 और सभी ठोंडे मिलकर ऐसे सरपंच को जब चाहे तब राइट टू रिकॉल कानून के तहत हटा दिया करेंगे1 जो गांवों के सद्भाव व विकास के लिए किसी भी तरह उचित नहीं होगा1 विद्रोही ने मुख्यमंत्री खट्टर से मांग की कि वे सरपंचों के लिए राइट टू रिकॉल कानून बनाने की सोच को आगे नहीं बढ़ाए व इस विचार को त्याग दें1 ताकि गांवों के विकास, सामाजिक सद्भाव व शांति को कोई खतरा उत्पन्न न हो1 Post navigation कोरोना काल में विधानसभा के मानसून सत्र की सफलता के लिए सरकार बधाई की पात्र : धनखड़ सेना की खुली भर्ती दो दिसंबर से रेवाड़ी में