विधानसभा को सरकार ने बनाया मछली बाजार: अभय सिंह चौटाला

चंडीगढ़, 26 अगस्त: इनेलो के प्रधान महासचिव एवं विधायक चौधरी अभय सिंह चौटाला ने बुधवार को हरियाणा निवास पर कहा कि विधानसभा को सरकार ने मछली बाजार बना दिया है। लॉकडाउन में नौ बड़े घोटाले किए गए लेकिन आज तक सरकार द्वारा इस पर कोई जवाब नहीं आया। एक हाथ से घोटाले किए और दूसरे हाथ से क्लीन चिट दे दी गई। हमने 12 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिए थे जिसमें से दो को मंजूरी दी गई और कांग्रेस की श्रीमती किरण चौधरी की तरफ से एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिया गया था लेकिन वह स्वयं सदन में उपस्थित नहीं थी। इससे पता चलता है कि सरकार और मुख्य विपक्षी दल प्रदेश की जनता की समस्याओं के प्रति कितना गंभीर है।

इनेलो नेता ने बताया कि पहले तीन दिन का विधानसभा सत्र रखा गया था फिर इसे दो दिन का कर दिया और आज एक दिन में ही समेट दिया। आज न तो कोई शून्यकाल था और न ही प्रश्नकाल पर कोई चर्चा थी। सरकार की मंशा कोरोना की आड़ में कुछ ऐसे बिल पास करने की थी जिससे वो अपनी पीठ थपथपा सके। हमने जो ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिए थे वो बहुत ही महत्वपूर्ण थे, जिन पर चर्चा होनी चाहिए थी लेकिन इसलिए मंजूर नहीं किए क्योंकि सरकार को जवाब देना मुश्किल हो जाता। जो दो ध्यानाकर्षण प्रस्ताव मंजूर किए गए उनमें से एक लॉकडाउन के दौरान च्शिशु मृत्यु दरज् में बढ़ौतरी पर था। यह बहुत बड़ा मुद्दा था जिस पर स्वास्थ्य मंत्री को जवाब देना था कि इसका जिम्मेदार कौन है? डिप्टी स्पीकर ने कहा कि जो लिख कर दिया गया है उसे ही आपका जवाब मान लिया गया है, जबकि मैं डिप्टी स्पीकर के इस जवाब से सहमत नहीं था। आज डिप्टी स्पीकर की भूमिका दयनीय व निंदनीय थी।

उन्होंने कहा कि चार बिल ऐसे थे जिन पर बहुत बड़ा झूठ बोला गया। एक जो 75 प्रतिशत युवाओं को रोजगार देने का है जिसका सरकार ने बहुत प्रचार किया। इसमें कहा गया है कि जो नए उद्योग प्रदेश में लगेंगे उसके तीन साल बाद 75 प्रतिशत रोजगार का कानून लागू होगा। उससे पहले जो वो भर्ती करेगा उस पर कोई कानून लागू नहीं होगा। तो जब उद्योग में भर्ती पूरी हो जाएगी तो तीन साल बाद प्रदेश के युवाओं को कैसे नौकरी मिलेगी? दूसरा बिल पंचायती राज को लेकर था जिसमें महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने का था। 50 प्रतिशत महिलाओं का, 27 प्रतिशत पहले से ही है, सात प्रतिशत पिछड़ा वर्ग को शामिल कर लिया जो कि कुल 85 प्रतिशत हो गया है। 50 प्रतिशत सामान्य वर्ग के लिए है। सरकार खुद मानती है कि 50 प्रतिशत से ’यादा रिजर्वेशन नहीं हो सकती तो फिर इस बिल का क्या मतलब था? इसी तरह से तीसरा बिल शहरों में अवैध कॉलोनियों को लेकर था जिसमें एक एकड़ में बनी कॉलोनी को भी वैध किया जाएगा। ये भी लूट का एक साधन है जिसमें अपने लोगों द्वारा छोटी-छोटी कॉलोनियां बनवाकर बेचने का काम करेंगे। चौथा बिल, जिसमें पंचायतों को री-कॉल किया जा सकता है। ये भी एक बहुत बड़ा झूठ है, ये कानून 1994 से है जिसमें 50 प्रतिशत से ’यादा लोग अगर असहमत हैं तो सरपंच के खिलाफ मत डालकर वापिस बुलाया जा सकता है।

पत्रकारों द्वारा जब पूछा गया कि सरकार साढे 17 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने जा रही है तो इस पर उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि कोविड-19 के नाम पर मुख्यमंत्री ने स्कूल वालों से पैसे लीए, किसान से पांच-पांच किलो गेहूं मांगी, एक-एक रुपया प्रति बोरी गेहूं, चने व सरसों में लीए, उद्योगपतियों से पैसे लीए, स्कूल संचालकों से पैसे लीए गए। इसके अलावा जितने सरपंच थे, सभी से पैसे लीए गए। सरपंचों और पंचों का एक-एक माह का वेतन ले लिया गया। सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह से 30 प्रतिशत से अधिक वेतन काट लिया। स्कूल में पढनÞे वालों बच्चों से पांच-पांच रुपए मांग लीए। कोई ऐसी जगह नहीं छोड़ी जहां से मुख्यमंत्री ने पैसा न लिया हो। एक भी जगह ऐसी नहीं है जहां पर कोरोना के लिए सरकार ने हजारों करोड़ रुपए खर्च किए हों। इनके पास पीपीई किट्स, मास्क, हाथ में पहनने वाले गलव्स व सेनेटाइजर भी नहीं थे। इनके पास गरीब आदमी को देने के लिए राशन तक नहीं था, वो भी समाज सेवकों ने उपलब्ध करवाया था। इन्होंने एक काम किया कि कोरोना की आड़ में फर्जी बिल बनवाए और हजारों करोड़ रुपए अपनी जेब में डाल लीए। कैसे इस प्रदेश को लूटा व बर्बाद किया जाए, इसके लिए इन्होंने सारे हथकंडे अपनाने का काम किया है।

You May Have Missed

error: Content is protected !!