सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश को पत्र लिख की गई मांग.
अनुरोध पत्र को जनहित याचिका तौर परं स्वीकार किया जाए
. राम मंदिर तोड़ने की धमकी देने से अनावश्यक बन रहा तनाव

फतह सिंह उजाला

पटौदी ।   देश की सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा अयोध्या प्रकरण में राम मंदिर के पक्ष में दिए गए फैसले के बाद और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण आरंभ होने के साथ ही भड़काऊ और भ्रमित करने वाले बयान वक्ताओं के खिलाफ एडवोकेट सुधीर मुदगिल के द्वारा कठोरतम कानूनी कार्रवाई किया जाने की मांग की गई है । इस संदर्भ में एक जनहित याचिका के रूप में एडवोकेट सुधीर मुदगिल के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर मांग की गई है । उन्होंने कहा है कि राम मंदिर और अयोध्या प्रकरण को लेकर पक्ष प्रतिपक्ष के द्वारा तमाम साक्ष्य रखने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने जो फैसला दिया उसका प्रत्येक भारतवासी के साथ-साथ दुनिया में विभिन्न देशों के द्वारा भी स्वागत किया गया ।

यह एक ऐसा संवेदनशील मामला था जिस पर 500 वर्षों से सभी की नजरें टिकी हुई थी । लेकिन जिस सौहार्दपूर्ण माहौल में इस विवाद का निपटारा किया गया , वह न्याययिक इतिहास में एक नजीर बन गया है और कानून से ऊपर कोई भी नहीं है । कानून और देश की सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा दिए गए फैसले का समाज के सभी वर्गों के द्वारा सम्मान करते हुए समर्थन भी किया गया । एडवोकेट सुधीर मोदगिल के द्वारा लिखे गए पत्र में ध्यान दिलाया गया है कि बीते कुछ दिनों से कुछ लोगों के द्वारा विभिन्न माध्यमों से इस प्रकार के विवादित बयान दिए जा रहे हैं, विवादित बयान ही नहीं सीधे-सीधे धमकियां भी दी जा रही हैं । उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का ध्यान दिलाते हुए कहा है कि इस प्रकार के बयान बाजी से देश और समुदायों के बीच में अनावश्यक तनाव पैदा होने के साथ ही अशांति का माहौल बनाने वालों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जानी चाहिए। एडवोकेट सुधीर मेल के मुताबिक 11 अगस्त 2020 को बैंगलोर में भी इसी प्रकार से आगजनी और दंगे का तांडव देखने को मिला जब पूरा पुलिस थाना ही जला दिया गया। इससे यह साबित होता है कि जिन लोगों का कानून और अदालत पर कोई भरोसा नहीं है , वह किसी भी हद तक जाकर हिंसा करते हुए समाज और राष्ट्र के दुश्मन ही साबित हो रहे हैं। बंगलुरु में बड़ा  जान माल का नुकसान भी हुआ है । ऐसी घटनाओं के लिए स्थानीय प्रशासन अधिक जिम्मेदार और जवाब देंय है ।

इसी घटना को ध्यान में रखते हुए ही उनके द्वारा देश की सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को जनहित याचिका के रूप में पत्र लिखकर अनुरोध किया गया है कि देश में अराजकता का माहौल तैयार करने वालों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए जाने चाहिए । उन्होंने इस बात की आशंका भी जाहिर की है कि शासन प्रशासन और संबंधित सरकारों के द्वारा समय रहते उचित कार्रवाई नहीं किए जाने से इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कहीं हालात फिर से हिंसक होकर बेकाबू ना हो जाए और इसका खामियाजा बेकसूर आम जनता को ही भुगतना पड़ जाए । एडवोकेट सुधीर  के मुताबिक सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पीठ के द्वारा ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया । जो कि राम मंदिर और रामलला के हक में आया, इसके साथ ही संबंधित स्थान पर राम मंदिर बनाने की अनुमति भी प्रदान कर दी गई। इसी आदेश के तहत सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को भी 5 एकड़ जमीन मस्जिद बनाने के लिए देने के निर्देश दिए गए थे । यह फैसला दोनों पक्षों को भावनाओं को ध्यान में रखते हुए दिया गया था।  

जब से अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण आरंभ हुआ है कुछ लोग फिर से देश का माहौल और बिगाड़ते हुए समाज में अनावश्यक तनाव पैदा कर रहे हैं । एडवोकेट सुधीर मुदगिल ने देश की सर्वोच्च न्यायालय और मुख्य न्यायधीश का ध्यान दिलाते हुए कहां है कि राम मंदिर निर्माण पर कोई भी भड़काऊ राम मंदिर तोड़ने की बात कहता है तो उसके खिलाफ अविलंब कानूनी कार्रवाई करते हुए कठोर सजा दी जानी चाहिए। इतना ही नहीं उन्होंने कहा है कि राम मंदिर तोड़ने जैसे भड़काऊ बयानबाजी करने वाले और ऐसे बयानों को प्रसारित किए जाने पर भी सुप्रीम कोर्ट को अविलंब रोक लगा देनी चाहिए। जिससे कि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना होने की संभावना ही ना बने ।

इसके साथ ही उन्होंने अनुरोध किया है कि देश में उन संभावित क्षेत्रों की पहचान की जाए, जहां इस प्रकार के बयान से अप्रिय और हिंसक घटनाएं होने की अधिक संभावना है । ऐसे क्षेत्रों में पैरामिलिट्री फोर्स को तैनात किया जाना ही जनहित में और राष्ट्र हित में रहेगा । इसी कड़ी में उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध किया है कि 2013 सर्वोच्च न्यायालय में एक सात सूत्रीय दिशा निर्देशों के तहत पुलिस प्रशासन को राजनीतिक हस्तक्षेप से एकदम स्वतंत्र किया जाए और न्यायपालिका की तर्ज पर ही पुलिस कमीशन बनाया जाए । जो अपने फैसले बिना किसी राजनीतिक दबाव के लेकर उन पर अमल कर सकें । निर्देशों के अनुसार स्टेट सिक्योरिटी कमीशन का गठन किया जाना था, लेकिन किन्ही कारणों से एक या दो राज्यों को छोड़कर वहां की संबंधित राज्य सरकारें इन आदेशों का भी पालन नहीं कर रही है।

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