चंडीगढृ। हरियाणा में बिजली क्षेत्र के कर्मचारियों और इंजीनियरों ने बिजली बिल 2020 वापस लेने, निजीकरण ,और एसोसिएशन के महासचिव केके मलिक के निलंबन के विरोध में प्रदर्शन और शांतिपूर्ण विरोध बैठके की। हरियाणा पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष रामपाल सिंह ने कहा कि महासचिव केके मलिक के निलंबन आदेश वापस लेने की मांग की है।

30 जुलाई के आदेश के अनुसार बिना कोई कारण बताए उन्हें निलंबित कर दिया गया है। आॅल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के प्रवक्ता विनोद कुमार गुप्ता ने कहा कि 03 जुलाई को आयोजित बिजली मंत्रियों के सम्मेलन में ग्यारह राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के कड़े विरोध के बाद केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने बिजली (संशोधन) विधेयक 2020 का संशोधित मसौदा पेश करने की प्रतिबद्धता जताई लेकिन 45 दिन से अधिक समय बीत जाने के बाद भी सरकार ने टिप्पणियों  के लिए सार्वजनिक डोमेन पर कोई नया संशोधित मसौदा नही रखा है और केंद्र शासित प्रदेशों को जमीनी वास्तविकताओं के ब्योरे में शामिल किए बिना निजीकरण में कूदने को कहा गया है। निजी फ्रेंचाइजी या उप-लाइसेंसी की अनुमति देने के लिए संशोधन विधेयक के मसौदे में प्रावधानों से ही लाभकारी क्षेत्रों का लाभकारी क्षेत्र बनेगा जिससे डिस्कॉम की वित्तीय व्यवहार्यता प्रभावित होगी।

उल्लेखनीय है कि सभी जगहों पर निजीकरण और शहरी वितरण फ्रेंचाइजी मॉडल बुरी तरह फेल हो गया है। अब वित्तीय मदद के नाम पर राज्यों पर एक ही असफल मॉडल थोपना ब्लैकमेल के अलावा कुछ नहीं है। जो बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों को स्वीकार्य नहीं है और देश भर के बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों द्वारा इसका पुरजोर विरोध किया गया है। ऐसा लगता है कि सरकार निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियों के मुनाफे को लेकर ज्यादा चिंतित है।

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