-कमलेश भारतीय

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें । मजेदार बात कि इससे एक दिन पहले राजस्थान में चल रही पैंतीस दिन से चल रही लोकतंत्र की नकली रिहर्सल पूरी हो गयी । आपको पता हो कि सेना और अग्निशमन में ऐसी नकली कार्रवाई करवाई जाती है ताकि संकट के समय ये डट कर मुकाबला कर सकें । इसे मोक ड्रिल भी कहते हैं । ऐसी नकली रिहर्सल दूसरे राज्यों के विधायकों की करवाई होती तो कांग्रेस सरकारें न गिरतीं । यदि मध्यप्रदेश में पहले ही कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया में ऐसी रिहर्सल करवा दी गयी होती शुरू में ही तो सरकार न गिरती ।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सारा ठीकरा भाजपा पर फोड़ते कहा कि हमने सरकार गिराने का षडयंत्र पूरा नहीं होने दिया । विश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत करते भी कहा गया कि राजस्थान में जनता की चलती है । न किसी शाह की और न किसी तानाशाह की चलती है । भाजपा कह रही है कि हमने कब कहा कि विशावासमत ले लो ? आपने खुद ही ऐसी स्थितियां बना दीं । खुद ही फूट डाली और खुद ही एकजुट हो गये । इसमें हमने क्या किया ? हमारा क्या दोष ? अपना घर संभाल कर रखो । पर मानेसर में मेहमानबाजी किसकी थी ? यह तो बता दो । फिर जैसलमेर या मानेसर में विधायक क्यों छिपाने पड़ें ? अब उपमुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष की दो दो कुर्सियां गंवा कर कह रहे हैं कि हम दिल्ली के डाॅक्टर को दिखा आए हैं और अब हमारी बीमारी दूर हो गयी ।

सारा बोझ उतर गया । सीट बदली गयी विधानसभा में । अंत में बिठाया तो बोले कि सरहद पर भेजा गया हूं और सरहद पर उसी को भेजा जाता है जो सुरक्षा कर सके । मैं अपनी जिम्मेदारी समझता हूं । खडग , ढाल और भाला सब कुछ हूं । ठीक है । मुबारक । आपको । ऊपर भाई बहन भी खुश और नीचे विधायक भी राजी अब क्या करेगा काजी ? जैसे राजस्थान कांग्रेस विधायकों की दोनों तरफ मौज लगी वैसी भविष्य में भी लगेगी , इससे कौन मुकर सकता है ?

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