पंचकूला, सत्यनारायण गुप्ता — माता मनसा देवी परिसर में स्थित श्रीमुक्तिनाथ वेद विद्याश्रम (संस्कृत गुरुकुल ) माता मनसादेवी परिसर का शिलान्यास करते हुए हरियाणा के मुख्यमन्त्री श्री मनोहरलाल जी ने शिक्षा के क्षेत्र में गुरुकुल परम्परा को जीवन्त रखने पर जोर दिया ताकि भारतीय संस्कृति का पोषण हो और वेद,वेदाङ्गों में समाहित विज्ञान जनसाधारण तक पहुंच सके।

माननीय मुख्यमन्त्री जी ने गुरुकुल परंपरा पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरुकुल का आशय है वह स्थान या क्षेत्र, जहां गुरु और शिष्य मिलकर निवास करते हैं और अध्ययन एवं अध्यापन सुचारु रुप से चलता है। प्राचीन भारत में शिक्षक को ही गुरु माना जाता था और उसका परिवार उसके यहां शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों से ही पूर्ण माना जाता था।

शास्त्रों में लिखा गया कि मातृ देवो भव, पितृ देवो भव,आचार्य देवो भव। यही कारण है कि सम्पूर्ण प्राचीन भारत के वाङ्मय से लेकर वर्तमान तक हमें इस गुरुकुल व्यवस्था के दिग्दर्शन होते हैं। गुरु की महत्ता को प्रतिपादित करने के लिए यहाँ तक कह दिया गया है कि गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है, गुरु ही महेश्वर है, गुरु ही साक्षात् परमब्रह्मा है अतः तस्मै श्री गुरुवे नमः, अतः ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूँ । आगे उन्होंने कहा कि गुरुकुल व्यवस्था की परंपरा से ही देश में शिक्षा प्रणाली की व्यवस्था अधिक श्रेष्ठ बनती है, जिसमें शिक्षा के स्तर पर अमीर-गरीब का कोई भेद नहीं। श्री कृष्ण और बलराम गुरुकुल में उस ब्राह्मण बालक सुदामा के साथ शिक्षा ग्रहण करते हैं, जिसके पास कोई पारिवारिक संपत्ति नहीं होती। ऐसे एक नहीं, अनेक अनुपम उदाहरण गुरुकुल शिक्षा पद्धति के दिखाई देते हैं। इस अवसर मुख्यमंत्री जी नें गुरुकुल के मेधावी छात्र डॉ रामानन्द मिश्र , दिग्विजय मिश्र को सम्मानित किया ।

महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्याल के माननीय कुलपति डॉ.श्रेयांश द्विवेदी जी ने भी कार्यक्रम में शिरकत की उन्होंने कहा कि देश में अंग्रेजी राज आते ही लॉर्ड मैकाले ने बाबू बनाने वाली तथा अंग्रेज भक्त भारतीयों के निर्माण के लिए आधुनिक शिक्षा के नाम पर अपनी वैचारिकी परोसने का काम किया, साथ में योजनाबद्ध गुरुकुलों का नाश किया। लेकिन अब उन्होंने भी जान लिया कि आधुनिकता के नाम पर दी जाने वाली सिर्फ अंग्रेजी शिक्षा से योग्य और उत्तम पीढ़ियां नहीं बना करतीं।

भारतीय चिंतन से प्रेरित बौद्धिक वर्ग तो कब से यह मांग कर रहा है कि विद्यालयों और महाविद्यालयों में गुरुकुल जैसी श्रेष्ठ परंपराओं को जोड़ने के प्रयास शुरू किए जाए और इसी को हरियाणा प्रदेश के माननीय मुख्यमन्त्री श्री मनोहरलाल खट्टर जी ने चरितार्थ करके दिखाया है।

गुरुकुल के प्राचार्य श्री स्वामी प्रसाद मिश्र ने कहा कि प्राचीन भारत में, गुरुकुल के माध्यम से ही शिक्षा प्रदान की जाती थी। इस पद्धति को गुरु-शिष्य परम्परा भी कहते है। इसका उद्देश्य था – चरित्रवान, और आत्म-संयमी राष्ट्रभक्त ,मौलिक व्यक्तित्व और बौद्धिक विकास,,आध्यात्मिक विकास,ज्ञान और संस्कृति का संरक्षण करना है।

उन्होंने कहा कि हमें गुरुकुल परम्परा को समझने की जरुरत है कि वह कैसे काम करता है ? प्राचीन काल की गुरुकुल शिक्षा व्यवस्था को भुलाया ही नहीं जा सकता है , जहाँ संस्कार, संस्कृति और शिष्टाचार और सभ्यता सिखाई जाती हो और हमारा यह मक्तिनाथ वेद विद्याश्रम संस्कृत गुरुकुल मनसा देवी इस क्षेत्र में अग्रगण्य है और माननीय मुख्यमन्त्री जी के विशेष प्रयासों और आशीर्वाद से उत्तरोत्तर उन्नति प्राप्त करेगा। उन्होंने गुरुकुल के भवन के बारे में बताते हुवे कहा कि 0.56 एकड़ में निर्माणाधीन इस संस्कृत गुरुकुल में 15 कमरे एवं लगभग 125 छात्र छात्रावास में रहकर अध्ययन कर सकेंगे, गुरुकुल में भोजन की व्यवस्था नि:शुल्क की जाती है यहाँ विद्यार्थी वेद , ब्याकरण, ज्योतिष , एवं कर्मकांड , के साथ ही योग एवं संगीत की शिक्षा ले सकेंगे ,कार्यक्रम में गुरुकुल के संरक्षक श्रीदिनेश सिंगला सपरिवार उपस्थित होकर गुरुकुल को पंचकूला की शान समझते हुवे गुरुकुल निर्माण के लिए महत्वपूर्ण सहयोग देने का शंकल्प लिया।

इस मौके पर पंचकूला के उपायुक्त श्री मुकेश कुमार आहूजा , मनसादेवी श्राइन बोर्ड़ के मुख्यकार्यकारी अधिकारी श्री एम.एस. यादव, प्रधान श्री दौलत राम अग्रवाल, सचिव मुकेश कुमार गुप्ता ,कोषाध्यक्ष बालकृष्ण सिंगला , सदस्य ईश्वर जिंदल,भंडारा कमेटी के चियरमैन सतपाल गुप्ता , जनक राज गुप्ता, आर. एन. शर्मा , प्रभाशंकर मिश्र ,सुरेश तिवारी, राकेश बंसल , ओमप्रकाश गिरी , सत्यनारायण गुप्ता,……….थे.