चंडीगढ़, 14 अगस्त 2020. भारत में 27 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने के भारत सरकार के प्रस्ताव की पृष्ठभूमि में देश भर में कीटनाशकों के प्रतिबंध के पक्ष में वैज्ञानिकों और नागरिकों की आवाज बढ़ रही है। पंजाब में भी इस आवाज को कृषि वैज्ञानिकों और चिकित्सा वैज्ञानिकों ,दोनों के साथ प्रतिबंध के पक्ष में अपना वजन जोड़ने के साथ ताकत मिल रही है। केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर सार्वजनिक टिप्पणियों की अंतिम तिथि 16 अगस्त 2020 है। पंजाब में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए गैर सरकारी आंदोलन खेती विरासत मिशन ने सरकार के प्रस्ताव का स्वागत किया और अधिक कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने और चरणबद्ध रूप से समाप्त करने को भी कहा।

किसी भी अन्य राज्य की तुलना में पंजाब को कई मायनों में कीटनाशकों के नकारात्मक प्रभावों का खामियाजा भुगतना पड़ा है। उन्होंने कहा, राज्य में जिन किसानों ने जैविक खेती को अपनाया है, वे आगे का रास्ता दिखा रहे हैं, और हमें उनकी इस क्षमता को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार और अनुसंधान निकायों की जरूरत है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के सेवानिवृत पर्यावरणविद एवं  प्रख्यात कीट वैज्ञानिक  डॉ विनोद कुमार  दिलावरी ने कहा कि गसमीक्षा समितियां इस बहाने निषेध के लिए निर्णायक कार्रवाई स्थगित कर रही हैं कि पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य प्रभावों पर अपेक्षित आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। ये समीक्षा समितियां कीटनाशक उद्योग से आवश्यक आंकड़े उत्पन्न करने के लिए स्वयं कह रही हैं। अब, उद्योग ऐसा क्यों करेगा जब तक कि उनके निर्माण या बिक्री का लाइसेंस रद्द नहीं किया जाता है, या यदि उन्होंने ऐसा किया भी है, तो ऐसे आंकड़ों की विश्वसनीयता क्या होगी? क्या वे ऐसे आंकड़े  पेश करेंगे जो हानिकारक प्रभावों को दर्शाते हैं ?, जबकि उनके पास इस मामले में हितों का सीधा टकराव होता है। अभी तक आंकड़ों के अभाव में कोई जवाबदेही तय नही की गई है। सरकार को  कीटनाशक अवशेषों पर आॅल इंडिया नेटवर्क प्रोजेक्ट को नया आकार देने के बारे में पुनर्विचार करना चाहिए। नेटवर्क परियोजना को केवल एक निगरानी परियोजना की बजाये अनुसंधान की तरह लेकर कीटनाशकों के पर्यावरणीय प्रभावों को दर्ज के बारे में तो सोचना ही चाहिए। मैं 27 कीटनाशकों पर सही दिशा में उठाये गए  कदम के रूप में प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव का भी स्वागत करता हूं।

error: Content is protected !!