Haryana Chief Minister Mr. Manohar Lal addressing Digital Press Conference regarding preparedness to tackle Covid-19 in the State at Chandigarh on March 23, 2020.

चंडीगढ़, 13 अगस्त- हरियाणा सरकार ने सहायता प्राप्त गैर-सरकारी विद्यालयों से 28 जुलाई, 1988 से 10 मई, 1998 तक की अवधि के दौरान सेवानिवृत्त शिक्षकों एवं गैर-शिक्षक अधिकारियों एवं कर्मचारियों को पंडित दीन दयाल उपाध्याय मानदेय योजना के माध्यम से पैंशन के रूप में मासिक मानदेय प्रदान करने का निर्णय लिया है।

इस आशय का निर्णय मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।

         इस निर्णय के अनुसार प्राचार्य को 20,000 रुपये, मुख्याध्यापक को 18,000 रुपये, प्राध्यापक को 16,000 रुपये, अध्यापक/हिन्दी/पंजाबी/संस्कृत/उर्दू अध्यापक को 14,000 रुपये, जेबीटी/कला अध्यापक/पीटीआई/कटिंग एवं टेलरिंग अध्यापक को 12,000 रुपये, नॉन टीचिंग स्टाफ (तृतीय श्रेणी) को 11,000 रुपये और नॉन टीचिंग स्टाफ (चतुर्थ श्रेणी) को 6,000 रुपये मासिक मानदेय दिया जाएगा।

         वर्तमान में, 28 जुलाई, 1988 से 10 मई, 1998 तक की अवधि के दौरान सेवानिवृत्त हुए अधिकारियों एवं कर्मचारियों की संख्या लगभग 352 है, जिन्हें सरकार के इस निर्णय से लाभ होगा।  इन द्वारा भावी पीढ़ी के भविष्य के लिए अपनी सेवा के दौरान बहुत योगदान दिया गया था और इस समय ये लोग वृद्घावस्था में बिना किसी वित्तीय सुरक्षा के अपनी आजीविका के लिए दूसरों पर निर्भर हैं।

         ऐसे अधिकारी एवं कर्मचारी स्कूलों से अपनी सेवानिवृत्ति के समय सहायता प्राप्त स्वीकृत पदों पर 10 वर्ष की न्यूनतम योग्यता सेवा की शर्त पूरी करते हों। यह मानदेय सेवानिवृत्त कर्मचारी की मृत्यु तक प्रदान किया जाएगा और सेवानिवृत्त कर्मचारी की मृत्यु उपरांत उसके आश्रित या कानूनी उत्तराधिकारी को किसी भी परिस्थिति में किसी भी स्तर पर इस लाभ के लिए योग्य नहीं माना जाएगा।  

         इस मानदेय राशि का भुगतान केवल उन्हीं सेवानिवृत्त कर्मचारियों को किया जाएगा जो किसी अन्य स्रोत या सेवानिवृत्त पेंशन का लाभ प्राप्त नहीं कर रहेे हैं। यह नीति पहली जनवरी, 2019 से प्रभावी होगी।

         मानदेय प्राप्त करने के लिए पात्र सेवानिवृत्त कर्मचारी को अपने आवेदन शपथ पत्र सहित उक्त नियम एवं शर्तों का उल्लेख करते हुए संबंधित सहायता प्राप्त गैर-सरकारी विद्यालयों की प्रबंधन मंडल को प्रेषित करना होगा और वे उसे अपनी सिफारिशों के साथ  संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी या जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को भेजेंगे। उन्हें यह अंडरटेकिंग देनी होगी कि वे भविष्य में इस मानदेय राशि को बढ़ाने के लिए नहीं कहेंगे।

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