औपचारिक ऋण की सुविधा से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के कई अवसर पैदा होने की उम्मीद है, जिससे आने वाले समय में ग्रामीण भारत आत्मनिर्भर बन सके. वर्तमान लॉकडाउन अवधि के दौरान किसानों की सहायता के लिए लगभग 22,000 करोड़ रुपये विभिन्न  योजनाओं के जरिये देश भर के किसानों के लिए जारी किए गए.

—प्रियंका सौरभ   रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कृषि अवसंरचना कोष के तहत 1 लाख करोड़ रुपये की वित्तपोषण सुविधा का शुभारंभ किया। किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आत्मानिर्भर भारत ’ के हिस्से के रूप में यह फंड लॉन्च किया गया है। यह कोष कोष ‘कटाई बाद फसल प्रबंधन अवसंरचना’ और ‘सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों’ जैसे कि शीत भंडार गृह, संग्रह केंद्रों, प्रसंस्करण इकाइयों आदि बनाने में मददगार होगा।

यह एक नयी पैन इंडिया सेंट्रल सेक्टर स्कीम है। इस योजना के बाद फसल प्रबंधन के लिए व्यवहार्य परियोजनाओं में निवेश के लिए एक मध्यम दीर्घकालिक ऋण वित्तपोषण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। योजना की अवधि (10 वर्ष) तक होगी।

कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की अवधि 10 सालों के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में कृषि क्षेत्र से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में मदद मिलेगी। इस वित्तपोषण के जरिये ग्रामीण क्षेत्र में निजी निवेश और नौकरियों को बढ़ावा देना है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए  बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा प्राथमिक कृषि ऋण समितियों, किसान समूहों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), कृषि-उद्यमियों, स्टार्टअप्स और एग्री-टेक खिलाड़ियों को ऋण के रूप में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे।

योजना के तहत, रु एक लाख करोड़ बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा प्राथमिक कृषि साख समितियों (पीएसीएस), विपणन सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), एसएचजी, किसानों, संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी, बहुउद्देशीय सहकारी समितियों, स्टार्टअप्स) को ऋण के रूप में प्रदान किया जाएगा।

मोदी जी की ये योजना  ब्याज अनुदान और वित्तीय सहायता के माध्यम से फसल के बाद बुनियादी ढांचा प्रबंधन और सामुदायिक कृषि परियोजनाओं में निवेश के लिए मध्यम-लंबी अवधि के ऋण वित्तपोषण की सुविधा भी किसानों को प्रदान करेगी। जो देश के किसानों को अपनी उपज के अधिक मूल्य प्राप्त करने में सहायता होगी। इस वित्तपोषण की बदौलत बदौलत किसान अपनी उपज का भंडारण करने एवं ऊंचे मूल्यों पर बिक्री करने, बर्बादी कम करने, और प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन में वृद्धि करने में समर्थ हो सकेंगे और ज्यादा मुनाफा ले सकेंगे.

इस वित्तपोषण सुविधा के तहत सभी ऋणों पर  3% प्रति वर्ष का ब्याज सबवेंशन होगा।  यह उपखंड अधिकतम सात वर्षों के लिए उपलब्ध होगा। इस गारंटी सुविधा के लिए पात्र गारंटी के लिए क्रेडिट गारंटी कवरेज सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट  योजना के तहत उपलब्ध होगा।

इस कवरेज के लिए शुल्क का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा। एफपीओ के मामले में क्रेडिट गारंटी का लाभ कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग (डीएसीएफडब्ल्यू) के एफपीओ प्रोत्साहन योजना के तहत बनाई गई सुविधा से लिया जा सकता है।

इसका प्रबंधन और निगरानी एक ऑनलाइन प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) मंच के माध्यम से की जाएगी। वास्तविक समय की निगरानी और प्रभावी फीड-बैक सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर की निगरानी समितियों की स्थापना की जाएगी.

 लागू किया गया कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड ऑनलाइन प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रबंधित और मॉनिटर किया जाएगा। जिस से यह ऋण के लिए आवेदन करने के लिए सभी योग्य संस्थाओं को सक्षम करेगा। नए वित्तपोषण से कृषि और कृषि प्रसंस्करण आधारित गतिविधियों के लिए औपचारिक ऋण की सुविधा से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के कई अवसर पैदा होने की उम्मीद है, जिससे आने वाले समय में ग्रामीण भारत आत्मनिर्भर बन सके.

देखा जाये तो वर्तमान सरकार खासतौर पर किसान हितैषी योजनाओं को ला रही है,  दिसंबर 2018 को आरंभ की गई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के तहत 9.9 करोड़ से भी अधिक किसानों को 75,000 करोड़ रुपये से ज्यादा  का प्रत्यक्ष नकद लाभ सीधे प्रदान किया गया है। इस योजना ने किसानों को अपनी कृषि आवश्यकताओं को पूरा करने और अपने-अपने परिवारों को आवश्यय सहारा देने में सक्षम और काबिल बनाया है।

 वित्तपोषण  योजना कोरोना वायरस महामारी के दौरान किसानों को आवश्यक सहारा देने में भी सहायक होगी । वर्तमान लॉकडाउन अवधि के दौरान किसानों की सहायता के लिए लगभग 22,000 करोड़ रुपये विभिन्न  योजनाओं के जरिये देश भर के किसानों के लिए जारी किए गए. किसानों को इन योजनाओं का पूरा फायदा उनकी माली हालत सुधारने में सहायक होगा.

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