अपने को राजनीति से परे कर सबको साथ लेकर चलने का दे रहे हैं संदेश, वर्तमान पदाधिकारियों के अनुभव को नए संगठन संचालन में करेंगे शामिल

ईश्वर धामु 

चंडीगढ़। भाजपा के नव नियुक्त प्रदेश प्रधान ओम प्रकाश धनखड़ ने पदभार सम्भालने के बाद संगठन को मजबूत करने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी है। साथ ही उन्होने पार्टी के शीर्ष नेताओं से मिलने का सिलसिला शुरू किया है, उसको चर्चाकार नई परम्परा और सबको साथ लेकर चलने से जोड़ कर देख रहे हैं। प्रदेश प्रधान बनते ही धनखड़ ने अपने आपको राजनीति से बाहर निकाल कर संगठन की परम्पराओं से जोड़ लिया। सत्ता में मंत्री रहते हुए जिन नेताओं से उनका कहीं वैचारिक मतभेद रहा था, वें उनके पास भी पहुंच गए।

जब एक जानकारी सामने आई कि ओम प्रकाश धनखड़ अपने सम-प्रभावी पूर्व वित्तमंत्री कैप्टन अभिमन्यु के निवास पर उनके साथ करीब एक घंटा रहे हैं तो सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया। क्योकि मंत्री रहते हुए कहीं पर या किसी स्तर पर दोनों नेताओं में वैचारिक मतभेद सामने आते रहे थे। पर प्रदेश प्रधान बनने के बाद धनखड़ ने अपने को राजनीति से एकदम अलग कर लिया, जो अपने आप में एक मिशाल बन गया है। दूसरे, प्रदेेश प्रधान का पदभार सम्भालने के बाद केंद्रीय नेताओं के अलावा वें पार्टी के सांसदों से भी मुलाकात करने पहुंचे तो चर्चाकारों को विश्वास नहीं हुआ। इतना ही नहीं संगठन की गतिविधियों में आपेक्षित सक्रिय न रहने वाले केंद्रीय मंत्री राव इंदरजीत सिंह से मुलाकात कर धनखड़ ने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि संगठन में इस बार हर वर्ग को स्थान और सम्मान दिया जायेगा।

अब वें उन सभी सम्भावनाओं और चर्चाओं को विराम देने में जूटे हुए है कि वें अमूक नेता के साथ पटरी नहीं बैठा पायेंगे। उन्होने जंहा राव इंदरजीत सिंह से मुलाकात की है, वहीं वें मुख्यमंत्री मनोहरलाल से भी औपचारिकता से नहीं बल्कि आत्मियता से मिले थे। अब स्पष्ट होता जा रहा है कि ओम प्रकाश धनखड़ एक मजबूत संगठन खड़ा करना चाह रहे हैं, जिसमें सभी विचारधारा और वर्ग के नेताओं का प्रतिनिधित्व हो। इसी प्रयास के चलते उन्होने एक प्रयोग यह भी किया है कि संगठन को प्रगतिशील और कार्यशील बनाने के लिए उन्होने वर्तमान के पदाधिकारियों से बैठक का उनसे काम का फीडबैक लिया है। उन्होने रोहतक में पहले जिला प्रधानों और फिर प्रदेश पदाधिकारियों व प्रभारियों की बैठक कर उनके अनुभव और सुझाव जाने। यह धनखड़ ने नई परम्परा डाली है।

हालांकि जिला प्रधानों की कार्य अवधि समाप्त हो चुकी है और कभी भी नए जिला प्रधानों की घोषणा हो सकती है। पर धनखड़ ने जाते हुए पदाधिकारियों को सममान दिया। यंहा तक कि उन्होने एक नई ई-मेल बना कर उस पर कार्यकर्ताओं के संगठन के बारे मेंं सुझाव मांगे हैं। धनखड़ से जुड़े सूत्रों का कहना है कि वें सरकार, सत्ता और संगठन में तालमेल बैठा कर संगठन को आगे बढ़ाना चाहते हैं। इसीलिए सबसे पहले उन्होने अपने आपको राजनीति से परे किया है। अब प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों के ऐलान से पता चलेगा कि धनखड़ अपनी मंशा को कितना आगे ले जा पायेंगे।