तीन करोड़ 27 लाख रुपए से तीन मंजिला बनेगा भव्य भवन. निर्माण कार्य में श्रम नियम-श्रम कानून की उड़ रही धज्जियां फतह सिंह उजाला पटौदी । विकास कार्य होनी चाहिए, आम जनमानस को सुविधाएं मिलनी चाहिए , विकास कार्य का कोई भी विरोध नहीं होना चाहिए और विरोध अनुचित ही होता है । लेकिन जब संबंधित कार्य में पारदर्शिता का अभाव दिखाई दे तो सवाल उठने स्वाभाविक हैं । ऐसा ही कुछ पटौदी हलके के हेली मंडी नगर पालिका क्षेत्र में वार्ड पांच में हेलीमंडी नगरपालिका के नव निर्माणाधीन भव्य शानदार कार्यालय को लेकर पारदर्शिता का अभाव साफ साफ महसूस किया जा सकता है । इस पूरे प्रोजेक्ट के बारे में हेलीमंडी पालिका सचिव से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारी से बात करके पूरे प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी उपलब्ध करवा रहा हूं , लेकिन समाचार लिखे जाने तक पालिका सचिव संजय रोहिल्ला के द्वारा इस पूरे प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा सकी। बहर हाल सीधी-सीधी बात है नव निर्माणाधीन हेलीमंडी नगरपालिका कार्यालय की यह साइट वार्ड 5 जहां पर अतीत में पालिका चेयरमैन का आवास स्थान होता था ,उसी के बगल में ही पालिका कार्यालय का निर्माण कार्य आरंभ किया जा चुका है । आम लोगों में जिज्ञासा यही है कि ना तो यहां कोई शिलान्यास पट्ट है और ना ही शिलापट्ट है । जिससे कि यह पता लग सके किस जनप्रतिनिधि या फिर स्थानीय नेता या किसी सांसद , किसी मंत्री के द्वारा इस निर्माण कार्य का श्रीगणेश करवाया गया अथवा हुआ हो। इससे अलग सूत्रों के मुताबिक मिली जानकारी के अनुसार हेलीमंडी पालिका का नया कार्यालय तीन मंजिला बनाया जाता है और इसकी कीमत 3 करोड़ 27 लाख रुपए के करीब बताई गई है । करोड़ों रुपए के इस भारी-भरकम प्रोजेक्ट के बारे में निर्माण साइट पर आज जो हालात बने हैं ,वह अपने आप में बड़ा सवाल और गंभीर चिंता की बात है । बरसात होते ही निर्माण साइट पूरी तरह से जोहड़ के रूप में तब्दील दिखाई दे रही है । निर्माण कार्य में जो भी पिलर इत्यादि के लिए सरिए का काम होता है , वह सरिए पानी में डूबे हुए हैं और भी निर्माण कार्य में आने वाली चीजें पानी में डूबी हुई दिखाई दे रही है । सबसे बड़ा सवाल यही है कि इस प्रोजेक्ट साइट पर किसी भी प्रकार की सार्वजनिक सूचना नहीं है। कथित रूप से एक करोड़ रुपए से ऊपर के किसी भी निर्माण कार्य के लिए मौके पर नक्शा और पूरे प्रोजेक्ट की जानकारी का साइन बोर्ड लगाया जाना जरूरी है । इस साइन बोर्ड के ऊपर कब कार्य शुरू हुआ ,कब कार्य समाप्त होगा, निर्माण कार्य की पूरी क्या कीमत है , यह लिखा हुआ होता है । इसके अलावा इतने बड़े प्रोजेक्ट पर काम करने वाले लोगों की अथवा मजदूरों की संख्या 1-2 तो हो नहीं सकती। स्वभाविक है के दर्जनों की संख्या में मजदूर काम करते हैं, अब सवाल यह उठता है कि जब इतना बड़ा भारी भरकम कार्यालय बन रहा है , करोड़ों रुपए का प्रोजेक्ट है तो मौके पर किसी भी प्रकार का साइन बोर्ड नहीं लगाकर इस जानकारी को क्यों छुपाया गया ? कि निर्माण कार्य की देखरेख के लिए कौन जिम्मेदार है, किस एसडीओ की जवाबदेही होगी, अथवा कौन निर्माण कंपनी है, निर्माण कंपनी का कौन सुपरवाइजर है और किसकी देखरेख में यह सारा कार्य हो रहा है । इस संदर्भ में किसी भी प्रकार का किसी का भी कोई भी टेलिफोन नंबर साइट पर उपलब्ध नहीं है। किसी आपात स्थिति में कहां और किस से मदद मांगी जाए या आसपास के लोगों के द्वारा सूचना दी जाए , यह फोन नंबर भी मौके पर साइट पर किसी बोर्ड पर नहीं लिखा गया है । जब बोर्ड और बोर्ड के साथ-साथ प्रोजेक्ट का नक्शा ही नहीं है तो इस प्रकार की जानकारी साइट पर उपलब्ध होना संभव ही नहीं है । स्थानीय लोगों का निर्माण साइट को लेकर अपना-अपना तर्क है । आरटीआई कार्यकर्ता मुकेश गुप्ता ने भी साफ-साफ सवाल उठाया कि इतने बड़े प्रोजेक्ट के बारे में निर्माण साइट पर किसी भी प्रकार की सूचना को सार्वजनिक नहीं किया गया है। न तो निर्माण साइट का नक्शा मौजूद है और ना ही ऐसा कोई साइन बोर्ड है जिसके ऊपर इस पूरे प्रोजेक्ट से संबंधित अधिकारियों ,निर्माण एजेंसी, निर्माता ठेकेदार या अन्य किसी जवाबदेयं अधिकारी का टेलीफोन नंबर लिखा हुआ है। वही गुडलक स्कूल के चेयरमैन ठाकरदास सहगल का भी कहना है कि वह बीते करीब 25 वर्षों से लगातार विभिन्न स्तर पर लिखित में मांग करते आते रहे हैं कि सार्वजनिक पार्क बनाया जाना अधिक उपयोगी हो सकता है । जहां तक पालिका के नए कार्यालय की बात है, यह बनना चाहिए जनहित में बहुत जरूरी और उपयोगी है । लेकिन जहां पर पालिका कार्यालय बनाया जा रहा है , उसके बराबर में ही पालिका नियंत्रण की अधिकार क्षेत्र की काफी जगह है । जहां पर अतीत में पालिका चेयरमैन का आवास स्थान रहा है । उस जगह को कभी दमकल विभाग को दे दिया जाता है । उसी कैंपस को कभी कबाड़ का गोदाम बना दिया जाता है । उसी कैंपस में कूड़ा कचरा उठाने वाले वाहनों का आजकल स्टैंड भी बनाया हुआ है । सहगल के मुताबिक जहां पालिका कार्यालय बनाया जा रहा है , वहां पार्क बनता ज्यादा बेहतर रहता और जहां अतीत में पालिका चेयरमैन आवास रहा, उस साइट पर पालिका कार्यालय का निर्माण किया जाना और भी अधिक उपयोगी साबित हो सकता है । लेकिन अब काम शुरू हो चुका ,इसमें किसी प्रकार का बदलाव संभव नहीं है । वहीं कुछ लोगों का कहना है कि अपनी-अपनी ढपली और अपना अपना राग अपनी सुविधा के मुताबिक पालिका प्रशासन और पार्षदों के द्वारा कथित दबाव के बीच में काम किए जा रहे हैं । जितने भी विकास कार्य हो रहे हैं , सबसे बड़ा सवाल यह उठाया गया लोगों के द्वारा की बरसात के सीजन में ही निर्माण कार्यों को क्यों प्राथमिकता दी जा रही है ? यह अपने आप में अबूझ पहेली है, जिसका शायद ही किसी के पास जवाब हो । Post navigation अरावली क्षेत्र में वीरवार को भी हटाए गए अवैध कब्जे कोरोना कॉविड 19 अपडेट्स देहात में कोरोना कॉविड 19 की पकड़ हो रही और मजबूत