वैक्सीन नही बनी तो तब तक प्लाज्मा से हो रहे कोरोना मरीज ठीक

युवा कल्याण संगठन द्वारा 31 मरीजों का प्लाज्मा डोनेट के लिए किया जा चुका है पंजीकरण

भिवानी/मुकेश वत्स  

भले ही कोरोना बीमारी को लेकर कोई भी कारगर वैक्सीन अभी तक न बनी हो, परन्तु कोरोना बीमारी से पीडि़त मरीजों में इस बीमारी के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा होने से बनी एंटीबॉडी जरूर सीरियस पैसेंट की जान प्लाज्मा के रूप में बचा रही हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए युवा कल्याण संगठन ने अब कोरोना बीमारी से पीडि़त होकर स्वस्थ हो चुके मरीजों का पंजीकरण प्लाज्मा दान देने के लिए शुरू कर दिया हैं, ताकि गंभीर मरीजों को एंटीबॉडी प्लाज्मा चढ़ाकर उन्हे स्वस्थ किया जा सकें।

संगठन के संरक्षक कमल सिंह ने बताया कि भिवानी जिला में 726 मरीज कोरोना पॉजिटीव हो चुके है, जिनमें से 635 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं। ऐसे स्वस्थ मरीजों में से अब तक 31 मरीजों ने उनकी संस्था को अपनी प्लाज्मा दान देने की सहमति दी है। उन्होंने बताया कि प्लाज्मा का निर्माण रक्त से होता है। प्लाज्मा निकालने की मशीन शरीर से रक्त निलाककर उसमें से पीले रंग का तरल पदार्थ प्लाज्मा को रक्त से अलग करके बचे हुए रक्त को वापिस रक्तदाता मनुष्य के शरीर में पहुंचा देती है। इससे प्लाज्मा दानदाता के शरीर में प्लाज्मा की पूर्ति 48 घंटे में हो जाती है।

गौरतलब है कि कोरोना बीमारी की वैक्सीन का मानव शरीर पर परीक्षण भी देश भर में शुरू हो चुका है। जिसके प्रथम चरण का कार्य हरियाणा के रोहतक मैडिकल कॉलेज में किया जा रहा है, जो अब तक सफल रहा है। ऐसे में कोरोना बीमारी से गंभीर रूप से पीडि़त मरीजों के लिए प्लाज्मा थैरेपी सबसे बेहतर विकल्प साबित हो रही है। जिसकी इजाजत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से जुडुी संस्था आईसीएमआर ने भी दे रखी है।

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