परीक्षाओं को लेकर यूजीसी के दिशा निर्देशों को लेकर छात्र हित में छेड़ा अभियान

चंडीगढ़, 14 जुलाई 2020. ,

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् हरियाणा के प्रदेश संगठन मंत्री श्याम राजावत ने यूजीसी के परीक्षाओं को लेकर दिए गए दिशा निर्देशों को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब से यूजीसी ने अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों के अंतिम सेमेस्टर की  परीक्षाओं के संदर्भ में नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं शिक्षा के क्षेत्र में बहस छिड़ी है कि इस वर्ष आखिर कभी भी, किसी भी प्रकार से विद्यार्थी का शैक्षणिक मूल्यांकन होना चाहिए या नहीं।

उन्होंने कहा कि एक तरफ त्रष्ट यह कह रही है कि देश के सभी विश्वविद्यालय के अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों के अंतिम सेमेस्टर का शैक्षणिक मूल्यांकन होना चाहिए द्य वही दूसरी तरफ  कुछ राजनीतिक दलों के अग्रिम छात्र संगठनों ने लगातार दबाव बनाते हुए उनको भ्रमित कर रहे है कि इस वर्ष कोरोना का बहाना बनाकर किसी भी प्रकार से परीक्षा से बचना चाहिये और इस कारण कुछ विद्यार्थी इन बातों से भ्रमित होकर  तात्कालिक लाभ के चक्कर में इनके साथ मिलकर के विभिन्न माध्यमों से बहुत शोर  कर रहे हैं। आवाज उठा रहे है त्रष्ट के बहाने सरकार का विरोध कर रहे है जो 80-90त्नविद्यार्थी परीक्षा देना चाहते है उनकी आवाज को दबा रहे है।

 राजावत ने बताया कि अगर बिना परीक्षा के विद्यार्थी को प्रमोट किया जाता है तो उसके आने वाले भविष्य में रोजगार को लेकर एवम् हायर एजुकेशन को लेकर के दिक्कतें आ सकती हैं। इसके साथ ही एक विद्यार्थी जिसने पूरी लगन के साथ अपनी पढ़ाई की हो और उसके डिग्री पर सामूहिक प्रोन्नति लिख दिया जाए उस विद्यार्थी की पूरी मेहनत पर पानी फेर देने जैसा प्रतीत होगा, आज सामूहिक प्रोन्नति से प्राप्त डिग्री जीवन भर हीन भावना लाएगी। उन्होंने कहा कि तात्कालिक सुख के चक्कर में हम आने वाले समय की जो परेशानियां हैं उसे बिल्कुल ही अनदेखा कर रहे हैं जो की सही नहीं है। पिछले वर्ष जिस छात्र ने 55त्न नंबर पाया हो और दूसरे वर्ष की परीक्षा के लिए उसने अपनी पढ़ाई दुगनी मेहनत के साथ की हो कि वह अगले साल 60त्न नंबर लाएगा वह छात्र सामूहिक प्रोन्नति के कारण फिर से 55त्न नंबर पर ही आकर रुक जाएगा।

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