पंचकूला, 13 जुलाई- चैधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के.पी. सिंह ने कहा कि पौधों में आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति न होने के कारण उनसे उत्पादन कम मिल पाता है। इसलिए यदि मिट्टी में किसी तत्व की कमी हो तो उसकी पूर्ति खाद व उर्वरकों से की जानी चाहिए। उर्वरकों की मात्रा का निर्धारण करते समय मिट्टी की उपजाऊ शक्ति तथा फसल द्वारा अवशोषित किये गये पोषक तत्वों की मात्रा को ध्यान में रखना आवश्यक है। प्रोफेसर के.पी. सिंह ने कहा कि किसान फलदार पौधों के बाग तो लगा लेते हैं, लेकिन जानकारी के अभाव के चलते बाग से उचित उत्पादन नहीं ले पाते। इसलिए बाग लगाने से पहले मिट्टी की जांच बहुत जरूरी है ताकि जांच से पता चल सके कि मिट्टी बाग लगाने के लिए सही है या नहीं। परीक्षण से मृदा की समस्याएं जैसे अम्लीयता, क्षारीयता तथा लवणता इत्यादि का भी पता लगता है तथा यदि कोई समस्या है तो उसमें सुधार के लिए सुझाव दिये जा सकते हैं। उन्होंने किसानों को सलाह देते हुए कहा कि यदि खेत की मिट्टी में अंतर हो तो मिट्टी का नमूना अलग-अलग खेत से लेना चाहिए। मृदा नमूना खेत के उस स्थान से न लें जहां पर गोबर खाद अभी डाली हो या जहां गोबर खाद का पहले ढेर लगाया गया हो। उन्होंने कहा कि किसान हाल ही में भूमि सुधारक रसायन या उर्वरक प्रयोग किए गए खेत से भी नमूना नहीं लेना चाहिए। इसके अलावा, नमूनों को खाद, राख या गोबर के संपर्क में न आने दें और नमूनों को उर्वरक वाले बोरों पर न रखें। उन्होंने कहा कि नमूनों को हवा व छाया में ही सुखाना चाहिये। कई किसान नमूनों को गर्म करके या धूप में सूखा देते हैं, जो गलत है। बरसात के दिनों में मृदा का नमूना लेने बारे हिदायतें मृदा विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि बरसात के दिनों में मिट्टी की जांच के लिए मिट्टी के नमूने खेत से सही ढंग से लिए जाने चाहिए। बाग के लिए मिट्टी का नमूना लेने का तरीका फसलों के नमूने लेने के तरीके से अलग होता है। मिट्टी के नमूने बरमे या मृदा ओगर से आसानी से लिये जा सकते हंै। उन्होंने बताया कि सबसे पहले 2 मीटर गहरा गड्ढा खोदना चाहिए। उसके बाद सतह से 15, 30, 60, 90, 120, 150 तथा 180 सेंटीमीटर की गहराइयों पर खुरपी से निशान लगाने चाहिए ताकि नमूने लेने में आसानी हो। उन्होंने बताया कि पहला नमूना जमीन की सतह से 15 सें.मी., दूसरा 15 से 30 सें.मी., तीसरा 30 से 60 सें.मी.,चैथा 60 से 90 सें.मी., पांचवां 90 से 120 सें.मी., छठा 120 से 150 सें.मी. और सातवां 150 से 180 सें.मी. तक की गहराई से लेकर अलग-अलग रख लेना चाहिए। प्रत्येक नमूना आधा किलोग्राम के लगभग होना चाहिए उन्होंने बताया कि यदि कोई कठोर या रोड़ी वाली परत जमीन में आ जाए तो उसका नमूना अलग से लेकर परत की गहराई और मोटाई नोट करनी चाहिए। सभी नमूनों को साफ कपड़े या पॉलिथीन की थैलियों में डालें और हर नमूने पर ध्यान से लेबल लगाएं। लेबल पर नमूने की गहराई लिखें व एक लेबल थैली के अंदर रखें एवं एक बाहर बांध दें। उन्होंने बताया कि मृदा के नमूने के साथ भेजे जाने वाले सूचना पत्र पर किसान का नाम, खेत का खसरा नंबर या नाम, नमूना लेने की तिथि, सिंचाई का साधन, खेत की कोई भी समस्या, यदि कोई है, पत्र व्यवहार का पूरा पता, भूमि की ढलान एवं किस प्रकार के पौधे खेत में हैं या लगाना चाहते हैं। Post navigation पांच साल के बाद भी नही मिला पंचकूला को आयुर्वेद एवं योग संस्थान: सुभाष पपनेजा पंचकूला के सरकारी अस्पताल में डॉक्टर ने की नर्स से छेड़छाड़