-कमलेश भारतीय मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने मंत्रिमंडल विस्तार किया और 28 नये मंत्री बनाये जिनमें एक दर्जन पूर्व कांग्रेसियों को शामिल किया गया उनमें से भी नौ ज्योतिरादित्य सिंधिया के वे समर्थक शामिल थे जो उनके कहने पर कांग्रेस की सरकार गिराने आए थे । यानी उनको दलबदल का पुरस्कार मिल गया जबकि आए तो बाइस विधायक थे । बाकी दस का क्या होगा ? अभी इनमें से कोई भी चुना हुआ विधायक नहीं है । समझ लीजिए यह एक प्रकार से साथ रखने और सरकार गिराने का इनाम मात्र है । इसीलिए सिंधिया इनके दम पर कह गये पूरे फिल्मी स्टाइल में कि टाइगर अभी जिंदा है । यानी जैसे सलमान खान की कोई फिल्म चल रही हो । यह डायलाॅग पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके निकट सहयोगी दिग्विजय सिंह के लिए है । सिंधिया का यह भी कहना है कि उप चुनाव में सभी जीत कर आएंगे । इसके बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने इस तरह मंत्रिमंडल विस्तार पर आपत्ति जताई है और केंद्र को अपना विरोध दर्ज करवा दिया है । यह इसलिए कि 34 सदस्यीय मंत्रिमंडल में ग्यारह मंत्री तो सिंधिया समर्थक हो गये । उमा भारती समर्थक या भाजपा के विधायक कहां जाएं ? सीधी बात है कि राजनीति में दलबदलुओं के लिए विशेष आदर और स्वागत् है और अपनी पार्टी के विधायक दरियां बिछाते रह जायेंगे । यह बात हरियाणा के अपने चौ बीरेंद्र सिंह अक्सर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मंत्रिमंडल में रहते कहा करते थे । आखिर उनकी मुराद भाजपा ने पूरी की केंद्रीय मंत्री बना कर पर मुख्यमंत्री बनने का सपना अधूरा ही रह गया । अब चौ साहब अपने बेटे बृजेंद्र सिंह को मंत्री बनवाने के लिए अध्यक्ष पद की लाबिंग कर रहे हैं ताकि उनके बेटे को जगह मिल जाये । इस तरह तो चौ बीरेद्र सिंह भी कह सकते हैं कि टाइगर अभी जिंदा है । सिंधिया जी दल-बदल के टाइगर हो आप । जब इन बाइस पूर्व विधायकों को अपने दम पर उपचुनावों में जीता कर लाओगे तब मानेंगे कि आप कौन हो ? यह दलबदल तो आसान है पर जमीनी स्तर पर जीत इतनी आसान नही । आप गुना की अपनी परंपरागत सीट से लोकसभा चुनाव कैसे हार गये थे ? तब आप टाइगर नहीं थे ? अरे । दूसरों के दम पर टाइगर शिकार नहीं करता । अपने दम पर करता है । अब बाइस विधायक जिता कर लाइए महाराज तो टाइगर माने,,, नहीं तो राजनीति में लोग आपको पेपर टाइगर यानी कागजी शेर कहेंगे ,,,। Post navigation लोगों को मुफ्त राशन देने का दावा वास्तविकता के धरातल पर खरा नहीं : विद्रोही लोकतंत्र और लट्ठतंत्र के बीच फंसा विकास,,,,?