चंडीगढ़। पेट्रोल-डीजल की महंगाई के नाम पर कांग्रेस ने धरना—प्रदर्शन की नई नौटंकी शुरू कर दी है। जबकि सच्चाई ये है कि कांग्रेस शासित प्रदेशों में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें भाजपा शासित प्रदेशों से कहीं ’यादा हैं।लॉकडाउन में राजस्थान सरकार ने तीन बार वैट बढ़ाया। फलस्वरूप राजस्थान में पेट्रोल की कीमतें देश में कोंग्रेस सहयोगी महाराष्टÑ सरकार के बाद 87.57 रुपये और डीजल 81.32 रुपये/लीटर हैं। दूसरी ओर, भाजपा शासित हरियाणा जैसे प्रदेशों ने वैट में कोई वृद्धि नहीं की। लिहाजा पेट्रोल-डीजल की कीमतों में ’यादा इजाफा नहीं हुआ। हर प्रदेश सरकार को अधिकार प्राप्त होता है कि वह पेट्रोलियम पदार्थों पर कितना भी वैट लगा सकती है। वैट के कारण ही कीमतें बढ़ती—घटती हैं। आज देश के चार प्रदेशों राजस्थान, छत्तीसगढ़, पुदुचेरी और पंजाब में कांग्रेस पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकारें हैं। इन्हीं प्रदेशों में ही पेट्रोल-डीजल की कीमत सबसे ज्यादा है।उदाहरणस्वरूप छत्तीसगढ में पेट्रोल 79.18 रुपये और डीजल 78.24 रुपये, पांडिचेरी में पेट्रोल 81.88 रुपये और डीजल 77.79 रुपये और पंजाब में पेट्रोल 76.92 रुपये और डीजल 73.17 रुपये है। महाराष्टÑ में भी कांग्रेस—शिवसेना गठबंधन की सरकार है, यहां भी पेट्रोल 88.55 रुपये और डीजल 76.71 रुपये है। इन सभी प्रदेशों में वैट 30 प्रतिशत से ’यादा है। इस समय पेट्रोल पर सबसे ’यादा वैट महाराष्टÑ और राजस्थान सरकार द्वारा लगाया जा रहा है, जो क्रमश: 39.12 और 38 प्रतिशत है। दूसरी तरफ भाजपा शासित प्रदेश वैट को सतुंलित करते हुए पेट्रोल—डीजल कीमतों को स्थिर बनाए हुए है। वर्तमान समय में हरियाणा में पेट्रोल पर 25 प्रतिशत और डीजल पर 17.22 प्रतिशत वैट निर्धारित है, जो कांग्रेस शासित प्रदेशों से काफी कम है। इसी कारण हरियाणा में पेट्रोल की कीमतें 76.92 रुपये और डीजल 72.88 रुपये औसतन हैं। वैट के इस खेल में पड़ोसी प्रदेश दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने कमाल कर रखा है। दिल्ली सरकार ने पेट्रोल में 27 से 30 प्रतिशत वैट वृद्धि की। जबकि डीजल में वैट दुगुना करते हुए 16.75 प्रतिशत से 30 प्रतिशत कर दिया। इसी कारण पहली बार देश में डीजल के दाम पेट्रोल से ’यादा हो गए। फिलहाल दिल्ली में पेट्रोल 80.43 रुपये और डीजल 80.53 रुपये प्रति लीटर की कीमत है। दरअसल, कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टी वैट के नाम पर पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत बढ़ाने का काम कर रही है और इसका ठीकरा मोदी सरकार के सिर फोड़ना चाहती है। Post navigation बिंदर दनौदा और प्रांजल दहिया का नया हरियाणवीं गाना ‘फुकरि ना मार’ ने मचाई धूम रोङवेज कर्मचारियों की समस्याओं का नहीं हो रहा समाधान