पंचकूला। पंचकूला के एक परिवार के 7 सेविंग अकाउंट बंद करने या अन्य किसी प्रतिकूल कार्रवाई के संबंध में आईसीआईसीआई बैंक पर पंचकूला कंज्यूमर कोर्ट ने रोक लगा दी है। आगामी दो सितंबर के लिए बैंक को नोटिस जारी करते हुए, अदालत ने अकाउंट होल्डर्स को सभी मौजूदा लाभ और सुविधाओं के साथ अपने खातों को अगले आदेश तक संचालित करने की अनुमति दी है। शिकायतकर्ताओं नवीन सूद और सेक्टर 2 पंचकूला के परिवार के एडवोकेट पंकज चंदगोठिया ने कहा कि नवीन सूद के अलावा उनकी पत्नी अनुभा, बेटी इनायत और बेटे मोक्षत ने पिछले कई साल में पंचकूला में आईसीआईसीआई बैंक की अलग-अलग ब्रांचेज में कई जॉइंट और व्यक्तिगत सेविंग अकाउंट्स बनाए हैं।प्राइयॉरिटी वाले हाई वेल्यू कस्टमर होने के बावजूद बैंक ने गत 9 जून को पत्र के माध्यम से 30 जून तक उनके सभी खातों को बंद करने की धमकी दी।चंदगोठिया ने कहा कि अलग-अलग ऑपरेशंस के जरिए बैंक ने सात सेविंग अकाउंट्स को अलग-अलग नामों से बंद करने की धमकी दी जो कानून की नजर में सही नहीं है। हर अकाउंट एक अलग कंज्यूमर रिलेशन बनाता है और ऐसे पत्र जो बैंक और कंज्यूमर के बीच के रिश्ते को गलत तरीके से खत्म करना चाहते हैं, उन्हें व्यक्तिगतऔर विशेष रूप से संबोधित किया जाना चाहिए। कोर्ट में यह तर्क दिया गया कि बैंक ने शिकायतकर्ता पर बिना किसी आधार के “प्रोवोकेटिव ऑर रूड एंड डिस्रप्टिव बिहेवियर ” यानीकि उत्तेजक या असभ्य और विघटनकारी व्यवहारका उपयोग करने का आरोप लगाया है। चंदगोठिया ने आगे कहा कि बैंक द्वारा उनके सभी पारिवारिक अकाउंट्स को बंद करना गैरकानूनी और डिफेमेट्री है और बैंक की कंस्ट्रक्टिव क्रिटिसिज्म और सुधार को स्वीकार करने की अक्षमता को उजागर करता है। बैंक द्वारा किसी भी मौजूदा बैंकिंग अकाउंट को केवल तभी बंद किया जा सकता है यदि वह भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित वित्तीय और अन्य आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है। उन कथित आधारों पर नहीं जो बैंक द्वारा गलत तरीके से लगाए जा रहे हैं। कई सालों से मौजूद उक्त बैंक अकाउंट निहित नागरिक अधिकारों को प्रदान करते हैं। विभिन्न लेनदेन उक्त खातों के आधार पर किए जाते हैं। इसके अलावा रूटीन में भी उक्त खातों में विभिन्न क्रेडिट प्राप्त किए जाने हैं। कई बार, ईसीएस और डेबिट इंस्ट्रक्शंन और क्रेडिट कार्ड पेमेंट्स व चेक कई महीनों और वर्षों तक जारी रहते हैं। कोर्ट ने कहा कि उक्त खातों के बंद होने से शिकायतकर्ता को परेशानी,असुविधा और फाइनेंशियल लॉस हो सकता है। चांदगोठिया द्वारा दायर की गई चार याचिकाओं में सूद परिवार ने मानसिक परेशानी , आर्थिक नुकसान और डिफेमेशन के प्रति आईसीआईसीआई बैंक से कुल ४२ लाख रुपए मुआवजे कि मांग की है। Post navigation सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त हुए संगीत प्राध्यापक उस्ताद नीले खान अस्पताल में रोटरी क्लब के सहयोग से कोविड वाटिका बनाई