चंडीगढ़। हरियाणा के दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आईपीएस डॉ केपी सिंह और 1987 बैच के आईपीएस केके मिश्रा मगलवार को सेवानिवृत हो गए। केपी सिंह अप्रैल 2016 से  अप्रैल 2017 तक प्रदेश पुलिस प्रमुख भी रह चुके है। फरवरी, 2019 में तत्कालीन डीजीपी बीएस संधू की मिले चार माह सेवाविस्तार के समाप्त के बाद बाद एवं वर्तमान डीजीपी मनोज यादव की तैनाती से पहले सिंह तीन सप्ताह के लिए प्रदेश के कार्यवाहक पुलिस मुखिया भी रहे थे। वर्तमान में वह स्टेट विजिलेंस ब्यूरो के महानिदेशक थे। वही मिश्रा वर्तमान में हरियाणा पुलिस हाउसिंग कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक के पद पर तैनात थे।

मनोज यादव के 1988 बैच के पीके अग्रवाल इस समय डीजीपी क्राइम के पद पर तैनात है एवं उनकी सेवानिवृति जून,2023 में है। डीजीपी मनोज यादव की अभी पूरे पांच वर्ष की सेवा शेष हैं एवं वो जुलाई 2025 में रिटायर होंगे। वही हालांकि  1994 बैच के आईपीएस अनिल कुमार राव, एडीजीपी जो वर्तमान में हरियाणा सीआईडी (गुप्तचर) के प्रमुख हैं अगले माह 31 जुलाई, 2020 में सेवानिवृत होंगे।

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि केपी सिंह का उनके 1985 बैच के अन्य आईपीएस अधिकारियों-अनंत कुमार ढुल, के सेल्वाराज और डॉ. आरपी सिंह  के साथ डीजीपी के रैंक में प्रमोशन तत्कालीन भूपिंदर हूडा सरकार दौरान निर्धारित अवधि से छ: माह पूर्व जून, 2014 में ही कर दिया गया था हालांकि यह वर्ष 2015 में होनी बनती है। उन्होंने बताया कि आईपीएस प्रमोशन नियमो के अनुसार न्यूनतम तीस वर्ष की सेवा पूर्ण करने के बाद ही योग्य आईपीएस अधिकारी डीजीपी के रैंक में प्रमोट हो सकता है। हालांकि 1987 बैच के केके मिश्रा को वर्ष 2017 में नहीं बल्कि अप्रैल, 2018 में डीजीपी के तौर पर प्रमोट किया गया।

हेमंत ने बताया कि आज से पौने दो वर्ष पूर्व पहले 26 सितम्बर 2018 को हरियाणा सरकार द्वारा 1988 बैच के तीन आईपीएस अधिकारियों-मनोज यादव, प्रशांत कुमार अग्रवाल और सुधीर चौधरी को डीजीपी रैंक में पदोनत्त किया गया हालांकि चौधरी 30 सितम्बर 2018 को ही आईपीएस से सेवानिवृत हो गए थे।

उन्होंने बताया कि 1989 बैच के आईपीएस मोहम्मंद अकील, एडीजीपी जिन्हे बीते माह शराब घोटाले की जांच के लिए गठित एसईटी का सदस्य बनाया गया है एवं जो वर्तमान में पुलिस मुख्यालय में एडीजीपी, हेडक्वार्टर्स के साथ साथ ही गुरुग्राम के पुलिस कमिश्नर भी है। और उनके ही बैच के डॉ. आरसी मिश्रा, एडीजीपी, जो प्रदेश की दक्षिण पुलिस रेंज के मुखिया हैं, दोनों की गत वर्ष 2019 से डीजीपी रैंक में प्रमोशन लंबित है। इस वर्ष मार्च 2020 में केंद्र सरकार की कैबिनेट नियुक्ति संबधी कमेटी द्वारा अकील को केंद्र में अतिरिक्त महानिदेशक और उसके समकक्ष पदों पर तैनाती के लिए इम्पैनल किया है। अकील की सेवानिवृत दिसंबर, 2025 में जबकि  मिश्रा जून, 2024 में रिटायर होंगे।

 1990 बैच के दो आईपीएस अधिकारियों  शत्रुजीत सिंह कपूर और देश राज सिंह भी इसी वर्ष 2020 में  डीजीपी के तौर पर प्रमोट होने के योग्य है। हेमंत ने बताया केपी सिंह और केके मिश्रा की रिटायरमेंट के बाद प्रदेश के पुलिस संगठन में 1988 बैच के पुलिस प्रमुख मनोज यादव के अलावा पांच अन्य डीजीपी रैंक के और 18 एडीजीपी रैंक के अधिकारी है। हालांकि 1994 बैच की एक एडीजीपी रैंक की महिला आईपीएस कला रामचंद्रन बीते 19 वर्ष से निरंतर केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर है।

फरवरी 2017 में केंद्र सरकार ने हरियाणा में आईपीएस अधिकारियों की कैडर संख्या 144 निर्धारित की एवं उसके अनुसार प्रदेश के डीजीपी रैंक के दो पद  एवं छ: एडीजीपी के पद स्वीकृत है। हालांकि राज्य सरकार समय समय पर डीजीपी और एडीजीपी के अस्थायी पद भी सृजित कर सकती है।

हेमंत ने बताया कि केपी सिंह और केके मिश्रा के सेवानिवृति के बाद हरियाणा में डीजीपी मनोज यादव से वरिष्ठ चार आईपीएस. अधिकारियों होंगे जिनमे सबसे ऊपर 1984 बैच के एसएस. देसवाल हैं, जो अगस्त, 2018 से केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं और भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के महानिदेशक  है। उनकी रिटायरमेंट अगस्त, 2021 में हैं। उनके बाद 1985 बैच के आईपीएस के. सेल्वाराज  है और इस समय हरियाणा के जेल विभाग के महानिदेशक हैं और उनकी रिटायरमेंट जनवरी, 2021 में है। उनके बाद 1986 बैच के आईपीएस केके सिंधु है। रैंक में हरियाणा पुलिस हॉउसिंग कारपोरेशन के चेयरमैन हैं और उनकी सेवानिवृति अगस्त, 2021 में है। उनके बाद 1986 बैच के ही प्रभात रंजन देव  हैं जो इस समय  कमांडेट जनरल, सिविल डिफेन्स और होम गार्ड हैं एवं उनकी रिटायरमेंट 30  सितम्बर, 2020 को है।

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