• हरियाणा गुजर रहा है सबसे बदतर कानून-व्यवस्था के दौर से, यदि अब भी सरकार की आंखें नहीं खुली तो कब खुलेंगी • कभी बेहतरीन कानून-व्यवस्था के लिये आदर्श राज्य हरियाणा अब अपराधियों की शरणस्थली बन गया है, 6 साल से यहां जंगलराज चल रहा

चंडीगढ़, 30 जून। राज्य सभा सांसद व CWC सदस्य दीपेंद्र हुड्डा ने सोनीपत में देर रात डयूटी के दौरान शहीद हुए बुटाना पुलिस चौकी के सिपाही रविन्द्र व एसपीओ कप्तान की निर्मम हत्या पर गहरा दुःख प्रकट करते हुए शहीदों को श्रद्धांजलि दी और शहीद पुलिसकर्मियों के परिवार के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त की। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। रोज़ गोली मारकर हत्या जैसी जघन्य वारदातें आम बात हो गई हैं। सोनीपत में बीते 48 घंटे में 5 हत्याएं हो चुकी हैं। प्रदेश में जून महीने की वारदातें व पिछले कुछ सालों के एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि हरियाणा प्रदेश अब अपराधियों की शरणस्थली बन गया है और यहां 6 साल से जंगलराज चल रहा है। ऐसे हालात शर्मनाक ही नहीं, ख़तरनाक भी है। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि प्रदेश के वीर जवानों ने अपना कर्तव्य निभाते हुए प्राण न्योछावर किये हैं। उन्होंने शहीदों के परिवाराजनों को पूरी आर्थिक सहायता के साथ ही आश्रितों को सरकारी नौकरी देने की मांग की। साथ ही, उन्होंने दोहराया कि हत्यारों को जल्द से जल्द पकड़ने और कानून के तहत कड़ी से कड़ी सजा दिलायी जाए, जिससे कानून के रक्षक हतोत्साहित न हों। 

उन्होंने कहा कि सोनीपत में दो पुलिसकर्मियों की निर्मम हत्या से पूरे प्रदेश में भय और गुस्से का माहौल है। प्रदेश में अपराध और अपराधी बेलगाम हैं, क़ानून-व्यवस्था का जनाजा निकल चुका है। हत्या, लूट, डकैती, चोरी, महिलाओं के खिलाफ अपराध आम हरियाणवी के मन में भय का माहौल पैदा कर रहे हैं। सोनीपत में 2 पुलिसवालों की हत्या बताती है कि प्रदेश में कोई भी सुरक्षित नहीं है… न आमजन सुरक्षित है और न ही पुलिस। हरियाणा में रोजाना 3-4 कत्ल, 5 रेप, 10 अपहरण, 1 डकैती, 6 छेड़छाड़, 51 वाहन चोरी के मामले सामने आते हैं, ये जंगलराज नहीं तो क्या है।

 दीपेंद्र हुड्डा ने आगे कहा कि इस घटना ने सुशासन का दावा करने वाली हरियाणा सरकार को शीशा दिखा दिया है। हरियाणा सरकार शीशे के सामने अपनी आंखें बंद किये खड़ी है। ये हत्याएं चरमराती हुई कानून-व्यवस्था का ज्वलंत उदाहरण हैं। हरियाणा बदतर कानून-व्यवस्था का नमूना बन चुका है। सरकार अगर अब भी आंख नहीं खोलेगी तो कब खोलेगी। सरकार को अपनी पीठ खुद थप-थपाने की बजाय इस दिशा में गंभीर कदम उठाने चाहिए। जो हरियाणा कभी बेहतरीन कानून-व्यवस्था के लिये एक आदर्श राज्य के रूप में जाना जाता था, आज देश भर में उसे बदतर कानून-व्यवस्था वाले सूबे के उदाहरण के तौर पर पेश किया जाता है। 

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