लिटिल हार्ट पब्लिक स्कूल को हाईकोर्ट ने लड़की को ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखने व अन्य सभी गतिविधियां कराने के दिए आदेश-नियम 134ए के तहत दाखिल लड़की को अगली कक्षा में प्रवेश देने से किया था मना, फीस की डिमांड कर ऑनलाइन काम देना भी कर दिया था बंद-पीडि़त पिता ने लगाई थी पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में गुहार, मामले की सुनवाई तक कोर्ट ने दिए लड़की की पढ़ाई जारी रखे जाने के सख्त आदेश-दाखिला फार्म में स्कूल संचालक ने कॉलम दर्शाया कि बच्चे के साथ स्कूल में किसी भी दुर्घटना के लिए नहीं है स्कूल व ट्रस्ट जिम्मेवार

भिवानी, 30 जून। लिटिल हाई पब्लिक स्कूल में नियम 134 ए के तहत दाखिल एक लड़की को आठवीं पास कर नौंवी में दाखिला देने पर एडमिशन सहित अन्य सभी फंड जमा कराने के लिए मजबूर किया तो अभिभावक को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ी।

दरअसल पतराम गेट पड़ाव मोहल्ला वासी विजय कुमार ने अपनी बेटी जानवी को नौंवी कक्षा में होने पर स्कूल द्वारा नियम 134ए के तहत अगली कक्षा में प्रवेश नहीं देने और ऑनलाइन काम देना बंद किए जाने पर अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल के माध्यम से पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में केस डाला था।

इसी मामले में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बी.एस वालिया ने 25 जून को पहली सुनवाई करते हुए लिटिल हार्ट पब्लिक स्कूल को नोटिस जारी करते हुए लड़की की ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखे जाने व स्कूल द्वारा अन्य सभी प्रकार की गतिविधियां घर बैठे कराए जाने के आदेश दिए।

पड़ाव मोहल्ला वासी विजय कुमार ने बताया कि उसने अपनी बेटी जानवी का 2015-16 में नियम 134ए के तहत लिटिल हार्ट पब्लिक स्कूल में चौथी कक्षा में दाखिला कराया था। तब से लेकर उसकी बेटी इसी स्कूल में पढ़ाई करती आ रही है। लिटिल हार्ट पब्लिक स्कूल ने 26 मार्च 2015 को बीईओ कार्यालय में सीबीएसई बोर्ड के तहत रिक्त सीटें नियम 134ए के तहत दर्शायी थी। इसी के तहत उसकी बेटी को अब तक प्रत्येक कक्षा में अव्वल श्रेणी से उत्तीर्ण किए जाने पर सीबीएसई बोर्ड का ही सर्टिफिकेट दिया जा रहा है।

अब उसकी बेटी नौंवी में दाखिल करने पर एडमिशन फीस सहित अन्य सभी फंड मांगे जा रहे हैं, जबकि उसकी बेटी को सीबीएसई बोर्ड में 12वीं तक मुफ्त पढ़ाई कराए जाने का प्रावधान है। निजी स्कूल संचालक ने उस पर नाजायज दबाव बनाने और उसकी बेटी को मानसिक रूप से प्रताडि़त किए जाने के लिए जून माह में ऑनलाइन काम देना बंद कर दिया और स्कूल के व्हाट्सअप ग्रुप से भी रिमूव कर दिया।

निजी स्कूल संचालक की मनमानी के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने 25 जून की सुनवाई में लिटिल हार्ट स्कूल को नोटिस करते हुए लड़की की ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखे जाने के सख्त आदेश दिए हैं और जब तक पूरे मामले की सुनवाई चलेगी, तब तक उसकी बेटी की सभी शैक्षणिक गतिविधियां जारी रखे जाने का भी कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया है। विजय ने बताया कि दाखिला फार्म में स्कूल ने कॉलम नंबर 16 दर्शाया है बच्चे के साथ किसी भी तरह की दुर्घटना के लिए विद्यालय व ट्रस्ट जिम्मेवार नहीं होगा। 

बच्चे की पढ़ाई नहीं की जा सकती बाधित: बृजपाल सिंह परमार

स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि हरियाणा एजुकेशन एक्ट 2003 के नियम 134ए के तहत गरीब बच्चों की मुफ्त पढ़ाई का प्रावधान किया हुआ है। जबकि एक अप्रैल 2015 को प्रदेश में गरीब बच्चों को नियम 134ए के तहत मुफ्त शिक्षा का अधिकार मिलाहुआ है।

इस बच्ची का स्कूल द्वारा बीईओ को दी गई रिक्त सीट व विभाग द्वारा अपनाई गई दाखिला प्रक्रिया के तहत हुआ है। निजी स्कूल अचानक अगली कक्षा में प्रवेश से पहले इसी के साथ निजी स्कूल बच्चों के अभिभावकों से एक एग्रीमेंट भी साइन करा रहा है, जिसमें दर्शाया गया है कि स्कूल में कंप्यूटर,स्मार्ट क्लास व अन्य गतिविधियों के लिए अलग से चार्ज मांगा गया है, जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि ये केपिटेशन फीस के दायरे में आता है, जो कोई भी स्कूल नहीं ले सकता है।

इसके अलावा लिटिल हार्ट स्कूल प्रत्येक अभिभावक से दाखिला फार्म में ही यह लिखित में ले रहा है कि उसके बच्चे के साथ स्कूल में कोई दुर्घटना होती है तो उसके लिए स्कूल जिम्मेवार नहीं होगा। इस तरह का एग्रीमेंट या शपथ पत्र लेना गैर कानूनी व शिक्षा नियमावली के खिलाफ है, इस पर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।

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