कोरोना में लगे कर्फ्यू और गांव के ठीकरी पहरों के कारण टूटी नशे की सप्लाई लाइनठीकरी पहरों पर नशा तस्करी करते हुए पकड़े गए पंजाब पुलिस के मुलाजिमपंजाब कांग्रेस के राज में ड्रग ओवरडोज से अब तक 383 मौते हुईंअंतर्राष्टÑीय नशा विरोधी दिवस को भूली पंजाब सरकार रमेश गोयत चंडीगढ़, 26 जून। पंजाब में नशे को रोकने के लिए तीन साल से जो कांग्रेस सरकार, पंजाब पुलिस और एसटीएफ. नहीं कर पाई, वो कोरोना ने तीन महीने में नशे की सप्लाई लाइन तोडकÞर कर दिखाया है। आंकड़े बोलते हैं कि पंजाब सरकार के ओट क्लिनिक पर नशा छोडनÞे के लिए 17 जून तक कुल पंजीकृत संख्या 544125 में से 23 फीसदी 129504 सिर्फ 23 मार्च से 17 जून के बीच पंजीकृत हुए हैं, जो 36 महीने में न हुआ वो 3 महीने में हो गया। पंजाब के सेहत मंत्री बलबीर सिद्धू अपने बयान च्लॉक डाउन से नशे की कमर टूटी हैज् में खुद मान रहे हैं। पंजाब की कांग्रेस सरकार और एसटीएफ श्रेय लेना बंद करे। यह कहना है भारतीय जनता पार्टी पंजाब के वरिष्ठ नेता विनीत जोशी का। अंतर्राष्टÑीय नशा विरोधी दिवस पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए जोशी ने कहा कि पंजाब में कांग्रेस के राज में ड्रग ओवरडोज से अब तक 383 मौते हुई हैं। हुई तो बहुत होंगी पर रिपोर्ट बड़ी कम हुई हैं और अक्सर देखा गया है की पुलिस भी मौत का कोई और कारण दिखा देती है। पंजाब सरकार की गंभीरता इसी बात से दिखती है कि आज अंतर्राष्टÑीय नशा विरोधी दिवस पर पिछली साल की तरह एक प्रतिकआत्मक प्रोग्राम कर रही है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर न पिछले साल किसी नशा विरोधी प्रोग्राम में शामिल हुए न इस साल वीडियो कान्फ्रेंस से शामिल हो रहे हैं। विस्तृत जानकारी देते हुए जोशी ने कहा कि नशे की सप्लाई रोकने मे जहां लॉक डाउन, कर्फ्यू कारगर रहे, वहीं पंजाबियों द्वारा गांव-गांव में लगाए गए ठीकरी पहरों का रोल अहम है। इन ठीकरी पहरों पर तो गांववासियों ने नशा तस्करी करते हुए पंजाब पुलिस के मुलाजिमों को भी पकड़ा। नशा तस्करों ने ठीकरी पहरा दे रहे लोगों पर हमले किए और कुछ की मौत भी हो गई। कुछ जगह तो पंजाब पुलिस ने गांव वालों द्वारा पकड़वाए नशा तस्करों को छोड़ दिया। पंजाब में जिस तरह 198 ओट क्लिनिक, 35 सरकारी नशामुक्ति केन्द्र, 108 लाइसेंसशुदा नशामुक्ति केंद्र पर भीड़ बढ़ रही है, उससे साफ है कि पंजाब में लॉक डाउन और कर्फ्यू के कारण नशा रुक है। Post navigation संघ और भाजपा चीन से अपने रिश्तों पर ख़ामोश क्यों ?? शांता कुमार के त्याग से सीखो