-सब्जी मंडी से नहीं आया था कोई कोरोना मरीज,फिर भी दुकानें खोलने से थी मनाही
— रोजी रोटी से जूझ रहे दुकानदारों ने भूख हड़ताल करने की दी थी चेतावनी

अशोक कुमार कौशिक

नारनौल। आखिरकार आज आजाद चौक में सब्जी की फुटकर सब्जी दुकान खुलने का रास्ता साफ हो गया। उपायुक्त ने मौके का निरीक्षण किया। उनके साथ एसडीएम भी थे । उन्होंने दुकानदारों को हिदायत दी कि पहली बात थोक सब्जी मण्डी अब नई मंडी में शिफ्ट हो चुकी है अत: कोई आढ़ती यहां रिटेल का काम नहीं करेगा। सबसे पहले मंडी की सफाई करके उसे सेनेटाइज किया जाए। किसी भी दुकान के चबूतरों से नीचे सामान नहीं होगा। इसके साथ सोशल डिस्टेसिंग के लिए रस्सी लगाई जाए, दुकानों के सामने एक मीटर की दूरी पर घेरा भी होगा। सभी दुकानदारों को कोरोना की गाइडलाइन का सख्ती से पालन करना होगा। उपमण्डल अधिकारी के पास सभी रिटेलरो की सूची और सम्पर्क नम्बर रहेंगे।

स्मरण रहे कि नारनौल की पुरानी व नई सब्जी मंडी से अभी तक एक भी कोरोना का कोई पॉजिटिव मरीज नहीं आया है, इसके बावजूद जिला प्रशासन नारनौल सब्जी मंडी की रिटेल दुकानें नहीं खुलने दे रहा था। पुरानी सब्जी मंडी की दुकानें नहीं खुलने देने की वजह से रिटेल दुकानदारों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया था। उन्होंने चेतावनी देते हुये कहा था कि यदि प्रशासन अब भी उन्हें दुकानें खोलने की अनुमति नहीं देता है तो वे भूख हडताल पर बैठ जाएंगे। 

सब्जी मंडी के रिटेल दुकानदार लीलाराम, ईश्वर सिंह, लक्ष्मण सिंह, जितेंद्र सैनी, अजीत कुमार, आनंद, सोनू, रूपराम सैनी, कैलाश चंद, विकास, रमेश, महाबीर, वीरेंद्र, सतीश, नरेंद्र, पूर्णचंद, सुरेंद्र कुमार, कमल व सुनील आदि ने गत मंगलवार को सीटीएम मनोज कुमार को उपायुक्त के नाम एक ज्ञापन फिर से दिया।

इन दुकानदारों ने अपना व्यथा बताते हुए कहा कि दुकानें बंद करवाने से उनके परिवार के समक्ष रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। इन लोगों ने कहा कि अब वर्तमान में आढ़ती की दुकानें शहर के बाहर नई मंडी में जा चुकी है। आजाद चौक स्थित यह पुरानी मंडी 30 से 40 फीट चौड़ी और करीब 400 मीटर लंबाई में स्थित है। यहां दुकानों रिटेल की दुकानें भी 25 से 30 ही है। यहां भीडभाड का कोई माहौल नहीं रहता है। एक जून के बाद से वे अपनी दुकानें खोल रहे थे। लेकिन सोशल डिस्टेंस और कोरोनो फैलने की बात पर मार्केट कमेटी ने उनकी दुकानें बंद करवा दी है।

इन दुकानदारों ने यह भी तर्क किया कि शहर के कई बाजारों मे महज सात से आठ फीट चौडी कई मार्केट रोजाना खुल रही है। वहां सोशल डिस्टेंट की अवहेलना सरेआम है। फिर उनकी तरफ प्रशासन का ध्यान क्यों नहीं जा रहा है। शहर की एक 25 दुकानों वाली सब्जी मंडी में कोरोना का भय दिखाकर उनके पेट पर लात मारने का काम क्यों किया जा रहा है, यह समझ से परे हैं। इन दुकानदारों ने नारनौल के उन नेताओं को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि चुनाव के समय वोट लेने आने वाले नेताओं को क्या असली वास्तुस्थिति का ज्ञान नहीं है जो उनकी बात को प्रशासन के सामने मजबूती से नहीं रख रहे हैं। दुकानदारों ने बताया कि अब जब दुकानें नहीं खुलने की वजह से उनके परिवार की भूखों मरने की नौबत आये तो क्यों ना वे खुद ही भूख हडताल पर बैठ जायेगे

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