पंचकूला, 19 जून। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के आह्वान पर कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर उपायुक्त कार्यालय पंचकूला पर जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान कर्मचारियों द्वारा मांगों की तख्तियां हाथों में लेकर विरोध प्रदर्शन करते हुए जमकर नारेबाजी की गई व तहसीलदार पंचकूला को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया। कार्यक्रम की शुरुआत में सीमा पर शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए दो मिनट का मौन रखा गया। यह विरोध प्रदर्शन सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के आह्वान पर किया गया। जिला पंचकूला के प्रधान रामपाल मलिक व सचिव विजय पाल सिंह ने इस प्रदर्शन का नेतृत्व किया।

उन्होंने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी के चलते सरकार द्वारा संकट की इस घड़ी में सभी सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं को किसी भी कर्मचारी की छंटनी न करने की सार्वजनिक अपील की गई थी लेकिन सरकार खुद इसके बिलकुल उल्टा चल रही है। संकट की इस घड़ी में कोरोना रिलीफ फंड में 100 करोड़ रुपए से अधिक की मदद करने वाले कर्मचारियों को ही सरकार निशाना बना रही है। सबसे पहले डीए पर जुलाई 2021 तक तथा एलटीसी पर एक साल तक रोक लगा दी गई। माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 1983 पीटीआई को 10 साल बाद नौकरी से निकाल दिया गया। सरकार को इनकी सेवाओं को बचाने के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर सेवा सुरक्षा प्रदान करने की आवश्यकता थी।

इसी प्रकार आर्थिक संकट के नाम पर नगर निगम, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, हरियाणा टूरि’म, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड व अन्य कई विभागों से सैंकड़ों कर्मचारियों की छंटनी कर दी गई। नगर निगम में नव चयनित जेई की ’वाइनिंग के बाद सालों से अनुबंध पर लगे सैकड़ों जेई को हटाया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग व पालिका के कर्मियों को योद्धा बताने और उनके लिए ताली थाली पिटवाने वाली सरकार ठेका कर्मियों को पे-रोल पर लेने की बजाय टुकड़ों में सेवा विस्तार कर रही है। पालिका कर्मियों के साथ हुए समझौते को लागू नहीं किया जा रहा है। यह सब कार्रवाई सरकार की सार्वजनिक अपील के बिल्कुल उलट चल रही है।

महामारी की आड़ में जनसेवा के विभागों का लगातार निजीकरण कर अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसलिए विरोध प्रदर्शन कर सरकार को ज्ञापन भेजा गया है और न्याय की मांग की गई है। यदि सरकार अब भी अपनी कर्मचारी विरोधी व जनविरोधी नीतियों पर रोक नहीं लगाती है तो कर्मचारी आंदोलन का विस्तार करते हुए अपनी जान जोखिम में डालकर सड़क पर उतरने को मजबूर होंगे।

जिला के वरिष्ठ उपप्रधान रणधीर राघव ने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए 2014 रेगुलराइजेशन पॉलिसी में नियमित हुए कर्मचारियों की प्रमोशन पर रोक लगाने की कड़ी निन्दा की व सरकार से तुरंत रोक हटाने की मांग की।

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