चंडीगढ़,16 जून। युनिवर्सिटी और सरकारी कॉलेजों में अनुबंध पर लगें असिस्टेंट प्रोफेसर स्कूलों में अनुबंध पर लगें जेबीटी गेस्ट टीचर से भी कम वेतन लेने पर मजबूर हैं। सातवे वेतन आयोग की सिफारिशों और माननीय पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के एक आदेश अनुसार जिस पद पर कर्मचारी काम कर रहा है,उसका प्रारंभिक वेतन लेने का पात्र है। जिसके अनुसार असिस्टेंट प्रोफेसर को 57,700 रुपए मासिक वेतन मिलना चाहिए, लेकिन युनिवर्सिटी में अनुबंध पर लगें असिस्टेंट प्रोफेसर और सरकारी कॉलेजों में लगे एक्सटेंशन लेक्चरर को 25 हजार रुपए मासिक वेतन दिया जा रहा है। सरकारी स्कूलों में अनुबंध पर लगे गेस्ट लक्चरर को करीब 40 हजार मासिक वेतन मिलता है। युनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से 32,700 और स्कूलों के गेस्ट लक्चरर से 15 हजार रुपए कम वेतन मिल रहा है। इन्हें यह वेतन भी दो से तीन महीने तक नहीं मिल पाता है अर्थात कभी भी समय पर नहीं मिलता है। युनिवर्सिटीज में लगे असिस्टेंट प्रोफेसर की शैक्षणिक योग्यता यूजीसी नेट व पीएचडी है। इन सभी का चयन यूजीसी द्वारा निर्धारित सभी पात्रता शर्तों एवं चयन प्रक्रिया के मापदंडो जैसे विज्ञापन तथा गठित चयन समिति द्वारा साक्षात्कार इत्यादि को पूर्ण करके किया गया था। उल्लेखनीय है कि हरियाणा के विभिन्न विश्वविद्यालयों में करीब एक हजार और इनसे संबंधित महाविद्यालयों में दो हजार अनुबंधित/अस्थायी शिक्षकों जोकि अलग-अलग पदनाम जैसे असिस्टेंट प्रोफेसर (अनुबंध/अस्थायी),गेस्ट फैकल्टी/रिसोर्स पर्सन/एक्सटेंशन लेक्चरर इत्यादि पदों पर लंबे समय से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनको ना तो पुरा वेतनमान मिल रहा है और ना ही स्कूल गेस्ट टीचर्स की तरह सेवा सुरक्षा प्रदान की जा रही है। जिसके कारण इन असिस्टेंट प्रोफेसर एवं एक्सटेंशन लक्चरर में भारी आक्रोश व अपने भविष्य को लेकर गहरी चिंता हैं। Post navigation शराब घोटाला: बर्खास्त इंस्पेक्टर जसवीर को नहीं मिली राहत, हाईकोर्ट ने खारिज की अग्रिम जमानत अर्जी ऑल हरियाणा रोङवेज वर्कर्स युनियन की कोर कमेटी की बैठक 18 जून को होगी