15 जून 2020 , रविवार को हरियाणा में भाजपा द्वारा मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का एक वर्ष पूर्ण होने पर की गई वर्चुअल रैली पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर व भाजपा नेताओं से पूछा वे वर्चुअल रैली करके किस बात का जशन मना रहे थे? कोविड कारण लोगों की हुई मौतों पर, आमजनों की आर्थिक बदहाली पर या प्रवासी मजदूरों, गरीबों पर? या कोविड संकट से लोगों पर आए दुखों के पहाड़ पर?

विद्रोही ने कहा कि रविवार को मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के नेतृत्व में वर्चुअल रैली के माध्यम से संघी मोदी सत्ता का एक वर्ष पुरा होने का जश्न मना रहे थे1 वही प्रदेश में उसी समय 10 लोगों की कोरोनावायरस संक्रमण से मौत हो गई1 क्या यह जश्न कोविड-19 संक्रमण से हुई मौतों पर दुखी परिवारों व लोगों के जख्मों पर नमक-मिर्च छिडक़ने के समान नहीं था? वही वर्चुअल रैली की कथित सफलता पर मीडिया में लंबे-चौड़े बयान दागकर खुशी मनाने वाले दक्षिणी हरियाणा के भाजपा-संघी नेताओं को बताना होगा क्या यह क्षेत्र के साथ मनेठी एम्स निर्माण के नाम से की जा रही धोखाधड़ी का जश्न था? या विगत 6 वर्षों से कांग्रेस राज में के शुरू किए, स्वीकृत किए विकास प्रोजेक्टों को ठंडे बस्ते में डालने का जश्न था? या पेट्रोल-डीजल के अंधाधुंध भाव बढ़ाकर लोगों की जेबों पर डाका डालने का जश्न था? या हरियाणा में इतिहास की सबसे बड़ी बेरोजगारी का जश्न था?

  विद्रोही ने कहा कि विगत एक साल में मोदी-भाजपा सरकार के नेतृत्व में संघीयो ने देश को आर्थिक बर्बादी, बेरोजगारी, बदहाली के सिवाय कुछ नहीं दिया1 हरियाणा में भाजपा-जजपा सरकार ने मनोहर लाल खट्टर नेत्रत्तव मे प्रदेश को घोटालों व ऐतिहासिक बेरोजगारी का तोहफा दिया1 क्या इस पर संघी जश्र मना रहे थे? भाजपाई-संघी सत्ता बल पर किस बात का जशन मना रहे थे, यह समझ से परे है1

  विद्रोही ने कहा जो सत्तारूढ़ दल कोरोना जैसी महामारी में भी स्वास्थ्य सेवा से जुड़े घोटाले करने से बाज नहीं आ रहा हो1 प्रवासी मजदूरों की सहायता के नाम पर खर्च होने वाले पैसों को सत्ता दुरुपयोग से हड़प रहा हो1 तुगलकी निर्णयों से लोगों को बेरोजगार बना रहा हो, व्यापार-धंधे चौपट हो रहे हो1, किसान गहरे आर्थिक संकट में हो, मजदूर गरीब रोजी रोटी के लिए मारा-मारा फिर रहा हो1 ऐसी विकट परिस्थितियों में कोई स्वार्थी, संवेदनहीन, फासिस्ट, बेशर्म प्रवृत्ति का राजनीतिक दल ही सत्ता दुरुपयोग से जश्न मनाने की हिमाकत कर सकता है1

विद्रोही ने हरियाणा के मेहनतकश, कमरे लोगों से आग्रह किया कि वे गंभीरता से विचारे जो भाजपाई-संघी उनकी आर्थिक बदहाली, बढ़ती बेरोजगारी, बर्बाद होते उद्योग, व्यापार, धंधों, लोगों की मौतो, गरीब की बेबसी पर इस तरह सत्ता बल पर जश्रन मनाने की बेशर्मी कर सकता हो उनमें इंसानियत है भी या नहीं? क्या ऐसे संवेदनहीन लोगों को सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार है भी या नहीं?

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