रजिस्ट्रेशन के बावजूद नही की किसानों की लाखों क्विन्टल गेहूं खरीद

पंचकूला 14 जून। हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने कहा कि गेहूं खरीद के मामले में हरियाणा प्रदेश में किसानों के हितों के साथ खिलवाड़ करते हुए उनके साथ धोखा किया गया है। सरकार के उदासीनता पूर्ण रवैये के कारण रजिस्ट्रेशन के बावजूद ऐसे किसानों के लाखों क्विन्टल गेहूं की खरीद नहीं की गई है और अब वह अपनी फसल बेचने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला किसानों को एक-एक दाना खरीदने का बार-बार आश्वासन देते रहे और उनका यही आश्वासन उन किसानों को भारी पड़ गया, जिन्होंने मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री पर विश्वास किया।

हरियाणा सरकार द्वारा गेहूं की खरीद 6 जून से बन्द कर दी गई है। इसका सीधा खामियाजा उन अनपढ़ और भोले-भाले किसानों को भुगतना पड़ रहा है। जिन्होंने मेरी फसल- मेरा ब्योरा नामक पोर्टल पर रजिस्टर्ड करवाने के बावजूद गेहूं खरीद के बारे में कोई संदेश नहीं मिला और वे आखरी समय तक इंतजार करते रहे। उन्होंने कहा कि ऐसा मामला पलवल जिले का उनके संज्ञान में आया है। जहां किसान अपनी गेहूं की फसल बेचने के लिए अधिकारियों के निरन्तर चक्कर लगा रहे हैं।

चन्द्र मोहन ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए याद दिलाया कि  कोविड -19  नामक विश्व रुपी महामारी के शुरू में मार्च के महीने में  किसानों से वायदा किया था कि 1 जून के बाद गेहूं खरीद पर 150 रूपए प्रति क्विंटल की दर से बोनस दिया जायेगा और किसानों ने उनकी बात पर भरोसा किया। किसानों को बोनस देना तो दूर अब तो उन्हें अपनी गेहूं की फसल बेचने के भी लाले पड़ गए हैं। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार की शिकायते सरसों और चने की खरीद के मामले में भी विभिन्न जिलों से प्राप्त हुई है।    

 चन्द्र मोहन ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि वह किसानों के गेहूं का एक-एक दाना खरीदने के अपने वायदे को पूरा करें और उन किसानों को राज्य सरकार की ओर से 150 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बोनस प्रदान किया जाए। किसान मुख्यमंत्री का सदैव ही आभारी रहेगा। उन्होंने कहा कि हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा फसलों के जो न्यूतम समर्थन मूल्य बढ़ाए गए हैं उसे ऐसा मालूम होता है कि केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा  सन् 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के वायदे का हश्र भी अन्य योजनाओं की तरह होगा जो निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने में पूर्ण रूप से असफल रही हैैं।

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