भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक
गुरुग्राम। आज होने वाली वर्चुअल रैली के बारे में भाजपा का प्रचार है कि यह वास्तविक रैली जैसी होगी। इस रैली के मंच दो जगह लगेंगे। एक पंचकूला में जिस पर विराजित होंगे मुख्यमंत्री खट्टर और उनके सेनापति कहें या प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला। दूसरा मंच दिल्ली में सजेगा, उस पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर और उनके साथ होंगे सांसद और हरियाणा के प्रभारी डॉ. अनिल जैन।

यह रैली ऐसे समय में हो रही है जिसकी स्वीकार्यता कम से कम हरियाणा की जनता को तो इस समय है नहीं। लेकिन भाजपा के अनुसार भाजपा 17 लाख सदस्य हैं, वे तो भाजपा की रीति-नीति के विरुद्ध जाने की शायद सोचेंगे नहीं परंतु लगता है कि भाजपा प्रदेश हाइकमान को अर्थात मनोहर लाल खट्टर और सुभाष बराला को कि 17 लाख लोग हमारे साथ हैं नहीं। वे भी शायद जान रहे हैं कि वर्तमान परिस्थितियों में लोगों को सोशल मीडिया से रैली सुनाना, लोगों को चने चबवाना जैसा होगा और इसीलिए जो उनका कहना है कि सभी प्रकार के सोशल मीडिया, केबल टीबी और कुछ चैनलों पर लाइव प्रसारण के बाद हमें सुनने वाले एक लाख अवश्य होंगे, हास्यापद सा लगता है।
भाजपा की अंदरूनी स्थिति कोई बहुत अच्छी लग नहीं रही है। मुख्यमंत्री, विधायक और संगठन के नेता पूर्णतया पसंद नहीं कर रहे हैं। ऐसा आभास हमें ही नहीं, शायद मुख्यमंत्री को स्वयं ही है, जिसका प्रमाण इस बात से मिलता है कि हरियाणा में संगठन के चुनाव लगभग जनवरी या देर सवेर फरवरी तक हो जाने थे परंतु आज तक वह लटके हुए हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं की मानें तो उनका लटकाने में मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष का पूरा-पूरा हाथ है।

यक्ष प्रश्न यही है कि वह क्यों लटका रहे हैं संगठन चुनाव को। क्या उन्हें अपने नेतृत्व पर भरोसा नहीं है? वैसे भी जो चुनाव शैली भाजपा ने रखी है, उसे चुनाव भाजपा कहती है इसलिए हम भी कहते हैं। वरना वास्तव में तो यह मनोनयन ही होता है। अर्थात पर्ची निकलती है, किसकी निकलेगी, जैसे 2014 में मुख्यमंत्री की निकली थी।

इस समय प्रदेश में गठबंधन सरकार है। गठबंधन सरकार में दस सीट वाला उप मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री खट्टर से अधिक मुखर नजर आता है। वर्तमान में जहां मुख्यमंत्री वित्त प्रभार भी लिए हुए है, वह हर जगह खजाने की कमी का रोना रो रहे हैं और बारंबार यह कह रहे हैं कि हरियाणा के पास पैसा नहीं बचा है। केंद्र से ग्रांट आएगी तो हम कर्मचारियों की सैलरी दे पाएंगे। वहीं दूसरी ओर उप मुख्यमंत्री मुखर होकर जगह-जगह विकास की योजनाएं बनवा रहे हैं, नए जिले बनवा रहे हैं। आज भी अपने फंड से निर्माण कार्यों के लिए धन लेकर आए हैं। ऐसे में किसका संदेश सही मानें, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला कि पैसा है और विकास होंगे या मुख्यमंत्री का कि पैसा आएगा तो वेतन मिलेंगे।

बात तो हम वर्चुअल रैली की कर रहे थे। भाजपा का दावा वर्चुअल रैली सामान्य रैली की तरह ही दिखाई देगी। तो प्रश्न यह उठता है कि सामान्य रैली में दो आदमी का मंच (मुख्यमंत्री और सुभाष बराला) याद नहीं पड़ता कि कभी देखा है। आमतौर से यह देखा जाता है कि मंच पर एक तो मंच संचालक होता है और दूसरा मंच का अध्यक्ष होता है। मुख्य अतिथि होता है तो कई जगह मुख्य अतिथि भी कई होते हैं और बाकी अन्य लोग भी होते हैं। तात्पर्य यह है कि सरकार के मंच पर सरकार के मंत्री तो दिखाई देने चाहिए न। अब यह तो रैली आरंभ होने पर पता चलेगी कि यह मंच सामान्य रैली जैसा दिखाई देगा या फिर उस पर केवल मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष ही दिखाई देंगे।

रैली के बारे में संगठन में भी चर्चाएं चल रही हैं और उनका कहना है कि इस समय जब सारा हरियाणा बहुत बड़ी त्रासदी से गुजर रहा है। यदि यह कहें कि हर प्रकार की परेशानियों से हर वर्ग के लोगों को गुजरना पड़ रहा है और इस सबसे बड़ी बात कि कई स्थानों पर तो नागरिकों को अपने जीवित रहने का भी विश्वास नजर नहीं आ रहा। इन परिस्थितियों में यदि 50 हजार-लाख व्यक्ति इस रैली को सोशल मीडिया इत्यादि पर भाजपा आइटी सेल की मदद से देख भी लेंगे तो यह भाजपा के लिए एक उपलब्धि होगी, क्योंकि इस समय आमजन में भाजपा के सदस्य व कार्य भी शामिल हैं और वह भी विचित्र परिस्थितियों से गुजर रहे हैं, ऐसे में उन्हें वर्चुअल रैली के लिए प्रचार करना ही बोझ से अधिक दिखाई नहीं देता लेकिन जिसके पास जैसे पद हैं, वह उस अनुसार कार्य करते दिखता रहना चाहते हैं। जिससे पार्टी के कोप का भाजन न बनना पड़े।

भाजपा के वरिष्ठ नेता या प्रवक्ताओं से ऑन रिकॉर्ड बात की जाती है तो उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मोदी-2 के एक वर्ष के कार्यकाल में इतने बेहतर कार्य किए है कि जैसे इतिहास में पहले कभी नहीं हुए और उनका उत्सव मनाना तो बनता है। हम इस समय में उत्सव भी मनाएंगे अर्थात प्रधानमंत्री के कार्य भी लोगों तक पहुंचाएंगे और कोविड-19 से बचने के उपाय सेनेटाइजर, मास्क आदि भी जनता में पहुंचाएंगे। यह पूछने पर कि अब तक अधिकांश स्थान ऐसे हैं कि जहां हर बूथ से ढाई सौ घरों में पहुंचने की बात कर रहे हैं, वहां किसी भाजपा कार्यकर्ता की ऑफिशियल उपस्थिति दर्ज नहीं की गई और इस पर उनका उत्तर था कि रैली के पश्चात से यह दिखाई देने लगेगा, भाजपा कार्यकर्ता अपनी ड्यूटी पर लग जाएगा और यह जो लक्ष्य हमने बताया कि हर बूथ पर ढाई सौं घरों तक पहुंचना है यह एक माह में पूर्ण हो जाएगा और इसी एक माह में हम जनता को कोविड से बचने के रास्ते भी बताएंगे, मास्क, सेनेटाइजर भी पहुंचाएंगे और जनता के नजदीक भी जाएंगे।

अब उपरोक्त स्थितियों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि यह मनोहर लाल खट्टर और उनके सेनापति सुभाष बराला की परीक्षा है अपने हाइकमान को अपना अपने संगठन में विश्वास और इसी प्रकार जनता पर भाजपा के प्रभाव को दिखाने की। और यदि हाइकमान की नजरों में यह उतीर्ण नहीं हो पाए तो माना जा सकता है कि तत्काल निर्णय जो होना है प्रदेश अध्यक्ष का, उसकी पर्ची मुख्यमंत्री के पसंदीदा कार्यकर्ता को न मिलकर किसी और को मिल जाए।

error: Content is protected !!