आज के माहौल में संस्कृत का पठन-पाठन सर्वाधिक उपयोगी: डॉ. सोमेश्वर दत्त

हांसी  ,13जून । मनमोहन शर्मा

  संस्कृत, संस्कृति एवं स्वास्थ्य संरक्षण विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृत वेबिनार संगोष्ठी का आयोजन किया गया I

हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ. सोमेश्वर दत्त शर्मा ने कहा है आज के माहौल में संस्कृत का पठन-पाठन सर्वाधिक उपयोगी है।कोरोना जैसी महामारी का उपचार प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों में निहित है। इसके अलावा महामारी से बचने में सर्वाधिक उपयोगी संयम,अनुशासन की सीख संस्कृत ही दे सकती है। समय का फायदा उठाते हुए चरक संहिता जैसे ग्रन्थों को पढ़ें। 
उन्होंने यह बात हरियाणा  संस्कृत अकादमी एवं श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र के संयुक्त तत्वावधन में  को संस्कृत, संस्कृति एवं स्वास्थ्य संरक्षण विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृत वेबिनार संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कही। इस संगोष्ठी में देश के प्रसिद्ध संस्कृत विद्वानों व शोधार्थियों ने भाग लिया।

 वेबिनार संगोष्ठी का शुभारम्भ वैदिक मंगलाचरण से आचार्य नितिन प्रवक्ता आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, अम्बाला छावनी द्वारा किया गया।

 संगोष्ठी की अध्यक्षता अकादमी निदेशक डाॅ. सोमेश्वर दत्त शर्मा ने की।। अकादमी के निदेशक डाॅ. शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि संस्कृत और संस्कृति भारत का गौरव व विरासत है। इन दोनों का संरक्षण करना प्रत्येक भारतीय का नैतिक कर्तव्य है।    डाॅ. बलदेव धीमान जी कुलपति श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र ने इस संगोष्ठी में मुख्यातिथि रूप में शिरकत की।

सम्बन्धित विषय पर डाॅ. धीमान ने कहा कि स्वास्थ्य के लिये सम्यक् कर्म करना नितान्त आवश्यक है। संस्कृत भारती उतर क्षेत्र के संगठन मंत्री जयप्रकाश जी  संगोष्ठी में, सारस्वत अतिथि रूप में शामिल हुए जयप्रकाश   ने अपने प्रबोधन में कहा कि संस्कृत भाषा अत्यन्त मधुर व सरलतम है। उन्होंने इसे जन-जन की भाषा बनाने की बात कही।

डाॅ. चित्तरंजनदयाल सिंह कौशल, कुरुक्षेत्र इस संगोष्ठी में मुख्य वक्ता रूप में शामिल हुए। डाॅ. कौशल ने कहा कि संस्कृत भाषा भारत की आत्मा है। संस्कत का ज्ञान प्रत्येक भारतीय के लिये अपरिहार्य है। इस अवसर पर संजीव कुमार फतेहाबाद ने भी सम्बन्धित विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया।

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