7 दिनों के भीतर ले निर्णय— एनएसयूआई ने छात्रहितों में खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा : दिव्यांशु बुद्धिराजा— एनएसयूआई ने कहा,परीक्षाओं के सन्दर्भ में राज्य सरकार व विश्वविद्यालयो का स्टैंड साफ नही,— यूजीसी की गाइडलाइंस को भी नही किया जा रहा फोलो,पेन पेपर परीक्षाए छात्रों की जान से खिलवाड़-आॅनलाइन परीक्षाए लेने के लिए नही उपयुक्त संसाधन चंडीगढ़, 09 जून कोरोना महामारी के चलते बिना परीक्षाओं के छात्रों को प्रोमोट करने के लिए एनएसयूआई हरियाणा द्वारा निरन्तर प्रयास किए जा रहे है,इस संदर्भ में प्रदेशाध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा द्वारा महामहिम रा’यपाल समेत एनएसयूआई नेताओ द्वारा मुख्यमंत्री व विश्वविद्यालयो के उप कुलपतियों को प्रदेशभर में ज्ञापन के माध्यम से मांग की जा चुकी है परन्तु अभी तक राज्य सरकार द्वारा इस मामले पर कोई स्थिति स्पष्ट न किए जाने पर एनएसयूआई के ऋतु रानी, गुलशन, अजय कुमार व सचिन द्वारा विभिन्न याचिकाओं के माध्यम से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। हाईकोर्ट ने मामले को सुनते हुए 9 जून 2020 को याचिकाकर्ताओ को हरियाणा सरकार, एमडीयू रोहतक-कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र-सीडीएलयू सिरसा के उपकुलपतियो को 2 दिनों के भीतर अपनी मांग रखने के लिए कहा है जिसके तत्पश्चात राज्य सरकार व विश्वविद्यालयो को 7 दिनों के भीतर मामले पर निर्णय लेने के सख्त निर्देश दिए है जबकि राज्य सरकार ने न्यायलय के समक्ष अंडरटेकिंग भी दी है कि 7 दिनों के भीतर निर्णय लेलिया जाएगा। दरअसल,हरियाणा में छात्रों की परीक्षाओं के सम्बंध में विश्वविद्यालय द्वारा एक अधिसूचना 21 मई 2020 को जारी की गई जिसमें कहा गया कि 1 जुलाई 2020 से परीक्षाए होंगी जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार इस मामले को लेकर फेज 2 यानी जुलाई में स्थिति का आंकलन करने का निर्णय लिया जाना था तो वही यूजीसी ने भी स्पष्ट किया है कि इस मामले को लेकर विश्वविद्यालय छात्रों के अभिभावकों व अन्य स्टेकहोल्डर्स को विश्वास में लेकर निर्णय लेंगे,हालांकि ऐसा न होकर नियमो को ताख पर रखकर निर्णय लिया गया। याचिकाकर्ताओ ने न्यायलय में याचिका के माध्यम से गुहार लगाई कि सेमेस्टर शुरू होते ही लोकडाउन लग गया जिसके कारण उनका सिलेबस भी अभी अधूरा है,अनेको छात्र अन्य प्रदेशों से आते है ऐसे में उनके लिए भी कोई नीति व योजना नही है,रा’य सरकार व विश्वविद्यालयो द्वारा यह साफ नही किया गया कि परीक्षाए किस माध्यम से ली जाएगी,यदि आॅनलाइन ली जानी है तो क्या वाइवा के आधार पर नम्बर लगाए जाएंगे या इंटरनेट के माध्यम से परीक्षाए ली जाएगी जबकि छात्रों का कहना है कि अधिकतर छात्रों के पास लेपटॉप कम्प्यूटर तक नही है व न ही आॅनलाइन परीक्षाओं के लिए कोई तैयारी है जबकि रा’य सरकार व विश्वविद्यालयो के पास भी आॅनलाइन परीक्षाए लेने के लिए उपयुक्त संसाधन नही है वही यदि पेन पेपर से परीक्षाए ली जानी है तो सरकार ने कोई नीति स्पष्ट नही की जिससे छात्रों को कोरोना संक्रमण का डर मंडराया रहेगा।यूजीसी गाइडलाइंस के अनुसार यदि परीक्षाए ली जानी है तो छात्रों को परीक्षाओं का माध्यम स्पष्ट किया जाना जरूरी है जबकि अभी तक ऐसा नही किया गया है। एनएसयूआई हरियाणा के अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा ने कहा कि छात्रों के जीवन से खिलवाड़ नही होने दिया जाएगा और जब तक राज्य सरकार स्थिति स्पष्ट नही करती व राज्य में हालातो को देखकर कोई ठोस निर्णय छात्रहित में नही लेती तब तक एनएसयूआई के प्रयास जारी रहेंगे। दिव्यांशु ने दिल्ली विश्वविद्यालय, महाराष्टÑ सरकार,एमिटी विश्वविद्यालय, आईआईटी कानपुर-मेरठ-मुम्बई,एनआईटी कुरुक्षेत्र समेत प्रदेशो व विश्वविद्यालयो का छात्रों को बिना परीक्षाओं के प्रोमोट करने के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि जब यह प्रदेश छात्रहित में निर्णय ले सकते है तो हरियाणा क्यो नही,क्योंकि छात्रों के लिए एक यूनिफार्म सिस्टम होना जरूरी है,यदि हरियाणा छात्रों को यूजीसी की गाइडलाइंस के अनुसार प्रमोट नही करता तो छात्रों के भविष्य के साथ साथ जीवन से भी खिलवाड़ रहेगा। Post navigation पीएचडी और मास्टर डिग्री छात्रों का शोध कार्य शुरू करवाने के लिए राज्यपाल से मिले उपमुख्यमंत्री प्राइमरी स्कूलों को 31 अगस्त तक खोलने का नही कोई विचार: मनोहर लाल