7 जून 2020 . स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने महेंद्रगढ़ जिले का नाम बदलकर कथित रूप से नारनोल करने के संघी शिगूफे की कड़ी आलोचना करते हुए इसे लोगों को बांटकर क्षुद्र राजनीति करने का कुप्रयास बताया1

विद्रोही ने नारनोल व महेंद्रगढ़ क्षेत्र के लोगों से आग्रह किया कि वे संघी कुटिल चालों से सावधान रहकर आपसी एकता कायम रखें1 क्योंकि संघीयो की पुरानी फितरत है कि वे लोगों को बांटकर, लड़ाकर, नफरत व अफवाह फैलाकर विगत 70 सालों से राजनीति करते आ रहे हैं1 आज भी उनका चाल चरित्र नहीं बदला1 बटवारा, नफरत, अफवाह आज भी वोट पाने का संघीयो का मुख्य राजनीतिक औजार है1 जब से महेंद्रगढ़ जिला बना है तब से उसका नाम महेंद्रगढ़ व मुख्यालय नारनौल रहा है1 ऐसी स्थिति में वर्षों से चली आ रही परंपरा को तोडऩा व्यर्थ के विवाद को जन्म देगा जिससे दक्षिणी हरियाणा के लोगों की ही एकता को आंच आएगी1

विद्रोही ने कहा कि यदि हरियाणा भाजपा-जजपा सरकार इस क्षेत्र के हितों के प्रति गंभीर व ईमानदार है तो महेंद्रगढ़ को अलग जिला क्यों नहीं बना देती? जब छोटे से हरियाणा में 22 जिले होने पर भी राजनीतिक कारणों से भाजपा हांसी व गोहाना को जिला बनाने की तैयारी कर रही है तो महेंद्रगढ़ को अलग जिला बनाकर जिले के नाम का विवाद सदैव के लिए खत्म क्यों नहीं किया जाता1

विद्रोही ने कहा कि जब सरकार प्रदेश के 22 जिलों को बढ़ाकर 24 जिले करने पर विचार कर सकती है तो महेंद्रगढ़ को भी 25 वा जिला बनाने पर गंभीर प्रयास क्यों नहीं किए जाते? ऐसी स्थिति में महेंद्रगढ़ व नारनोल क्षेत्र के लोगों को नाम के विवाद में फंसकर संघीयो के उनको आपस में लड़ाने की कुकृत्यो से सावधान रहकर दोनों क्षेत्र के लोगों को आपसी एकजुटता के साथ महेंद्रगढ़ को अलग जिला बनाने की दिशा में काम करना चाहिए, जो क्षेत्र के व्यापक हित में है1विद्रोही ने कहा कि महेंद्रगढ़ व नारनोल को दो अलग-अलग जिले बनाना ही नाम के इस विवाद को सदैव के लिए समाप्त करने का एकमात्र सार्थक, रचनात्मक व सर्वमान्य हल है1

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