पंचकूला 6 जूून- भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों ने पूर्ण सक्रियता के साथ हाई पावर कमेटी के माध्यम से कैदियों की रिहाई के लिए आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने में सक्रिय सहायता की है। इस महामारी के दौरान कुल 58,797 विचाराधीन कैदियों को एवं 20,972 दोषियों को विधिक सेवा संस्थानों की सहायता से रिहा कर दिया गया है और रिमाण्ड स्टेज पर 9,558 व्यक्तियों को कानूनी प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया है। महिलाओं को 1,559 घरेलू हिंसा के मामलों में 16,391 अपराधियों को, 1,882 मजदूरों को एवं 310 किरायेदारों को कानूनी सलाह एवं सहायता प्रदान की गई है। हरियाणा राज्य में 5,752 विचाराधीन कैदी और 3,041 अपराधी रिहा किए गए हैं।

यह जानकारी न्यायमूर्ति एनवी रमना न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, राष्टÑीय विधिक सेवा प्राधिकरण को रा’य विधिक सेवा प्राधिकरणों के अध्यक्ष ने वेबिनार के माध्यम से दी। उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समितियों के अध्यक्षों, सभी राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों के सदस्य सचिवों एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के अध्यक्षों तथा सचिवों की उपस्थिति में न्यायाधीश रमना ने वेबिनार के माध्यम से कानूनी सेवाओं के लिए प्रभावी पुस्तक. जारी की गई।  

यह पुस्तिका कॉनवैल्थ हुमन राईटस इनीसिएटिव के सहयोग से तैयार की गयी है। पुस्तिका विभिन्न प्रारूपों को एकीकृत करने की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम है। यह मानव संसाधनों के प्रबन्धन के लिए एक प्रभावी उपकरण है और भविष्य में सभी को न्याय दिलवाने के लिए एक छोटा परन्तु महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान, यह संज्ञान में आया है कि परिवार के भीतर ही हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं। इस स्थिति में, हर जिले में महिला पैनल वकीलों की टेली-सेवाओं के माध्यम से, पीड़ितों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए लगातार प्रयास किए गए।  

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