4 जून 2020. स्वंयं सेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने केंद्र सरकार द्वारा कुछ कृषि उत्पादों को अनिवार्य वस्तु अधिनियम दायरे से बाहर करके किसानों को अपनी उपज देश में किसी भी मंडी, स्थान पर सीधे बेचने की अनुमति देने का स्वागत करते हुए कहा कि इस निर्णय से बड़े साधन संपन्न किसान तो लाभान्वित होंगे पर छोटे, मझोले किसानों को इसका कोई विशेष फायदा नहीं मिलने वाला1

विद्रोही ने कहा कि कुछ कृषि उत्पादों को अनिवार्य वस्तु अधिनियम से बाहर रखने के निर्णय के बाद मोदी सरकार ने फिर से वर्ष 2020 में किसान आय दोगुना करने का जुमला उछाला1 इस निर्णय से बड़े साधन संपन्न किसानों को तो फायदा होगा जो अपना फसल उत्पादन कुछ समय के लिए रखने में सक्षम है1 परंतु छोटे, मझोले किसान जिनको फसल उत्पादन के तुरंत बाद फसल बेचकर अपना घर खर्च चलाना पड़ता है उनके लिए अपने नजदीकी मंडी से बाहर जाकर फसल कहीं भी बेचना मात्र एक सपना है1 वे अपना फसल उत्पादन लंबे समय तक घर में रखने की हैसियत में नही हैं1 और उनके पास इतना ज्यादा अनाज उत्पन्न होता ही नहीं कि वह बाहर जाकर किसी मंडी में उसे बेचे1

 विद्रोही ने कहा कि आश्चर्य है कि कभी संघी कहते हैं किसान आय 2022 में दोगुनी होगी, कभी कहते 2025 में आय दोगुनी होगी1 सवाल उठता है कि आखिरकार कब तक मोदी-भाजपा-संघी सरकार किसान आय दोगुना करने का झांसा देकर किसानों को ठगती रहेगी1 वर्ष 2014 में सत्ता संभालने वाली मोदी सरकार को सत्ता में रहते 6 वर्ष पूरे हो चुके1 इन 6 वर्षों में 2014 की तुलना में 2020 में किसानों की आय में अभी तक एक पैसे की भी बढ़ोतरी नहीं हुई1 किसान पर 2014 की तुलना में कृषि कर्ज डेढ से दो गुना ज्यादा बढ़ गया1 किसान कृषि लागत की तुलना में फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य नाममात्र का बढऩे से किसानों को खेती का घाटा और बढ़ गया1 फिर 2022 में किसान आय दोगुनी कैसे होगी यह समझ से परे है1

 विद्रोही ने कहा कि सरकार आंकड़ों की बाजीगरी, जुमलेबाजी से किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन में मामूली बढ़ोतरी करती है जिनका जमीनी धरातल की वास्तविकता से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं रहता1 अभी मंगलवार को चोदह खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में मात्र दो प्रतिशत से साढ़े सात प्रतिशत की वृद्धि करके सरकार ने दावा ठोक दिया उसने खरीफ फसलों का भाव फसल लागत की तुलना में 50 से 83 प्रतिशत ज्यादा एमएसपी घोषित किया है1 जो बेशर्मीभरा महाझूठा दावा है1             

 विद्रोही ने कहा जब सरकार इस तरह जुमलेबाजी करके आंकड़ों की बाजीगरी से किसानों को ठगेगी तो किसान की आर्थिक स्थिति सुधरने की बजाय और बिगड़ेगी ही1 सरकार किसानों के हितों के प्रति जरा भी गंभीर, ईमानदार है तो कम से कम यह तो सुनिश्चित करें किसानों को सरकारी घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम भाव में किसी भी हालत में फसल अनाज मंडियों में न बिके1 और इसके लिए आवश्यक है कि एमएसपी से से कम भाव पर किसान फसल खरीदने को कानूनी अपराध घोषित किया जाएं1 तभी किसान आय दोगुना करने की दिशा में कोई गंभीर, सार्थक पहल शुरू होगी1

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