भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक
गुरुग्राम। कोविड-19 तो गुरुग्राम में बढ़ता ही जा रहा है। शायद जनता को संतुष्ट करने के लिए आज उपायुक्त ने कहा कि 80 प्रतिशत लोगों को तो कोरोना अपने आप उनके घर में रहने से ही ठीक हो जाएगा। उन्होंने स्पष्ट रूप से कोरोना को घातक नहीं बताया। तात्पर्य यह है कि जनता को इससे घबराने की जरूरत नहीं।

लॉकडाउन-4 में भी कुछ राहतें मिली थीं, कुछ काम आरंभ हुए थे और अब बहुत कुछ अनलॉक होना शुरू हो गया है और इसके साथ ही लोगों को कुछ परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है। जैसे बिजली कट, कई स्थानों पर पानी की कमी, इन समस्याओं की ओर क्यों नहीं ध्यान दिया अब तक प्रशासन ने और अब जैसे-तैसे राहतें बढ़ेंगी, काम होंगे और बिजली-पानी का उपयोग बढ़ेगा तो कमी और आने की संभावना ही दिखाई देती है। ऐसे में प्रशासन कैसे संभालेगा, यह प्रशासन को ही देखना है।

अब दो दिन से मौसम में ठंडक है। प्री मॉनसून की बरसात आने की संभावना है और ज्ञात हुआ है कि मॉनसून भी अभी तक की सूचनाओं के अनुसार तय समय 28 जून को ही आ रहा है। ऐसे में प्रशासन के सामने शहर के नालों और सीवरों आदि की सफाई का कठिन काम चुनौतियां दे रहा है। इसी समस्या में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के यूनिट जो प्रशासन की ओर से लगे हुए हैं उनकी सफाई करना आदि कार्य भी हैं। हालांकि नगर निगम आयुक्त ने आदेश दे दिए हैं कि 100 वर्ग मीटर या इससे अधिक छत वाले हर भवन को वॉटर हार्वेस्टिंग इस समय अपने परिसर में लगवाना होगा, अन्यथा उस पर कार्यवाही की जाएगी।

आदेश तो दे दिया, क्या यह सोचा कि कितने लोगों को वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने पड़ेंगे और वे कैसे लगवाएंगे। जबकि इस लॉकडाउन के समय में हर व्यक्ति पैसे की कमी से जूझ रहा है। चाहे वह कोई भी कार्य करता हो। ऐसे में 50-60 हजार रूपए का प्रबंध करना अपने आपमें बड़ी बात है और उसके पश्चात लॉकडाउन में जहां मजदूर मिल ही नहीं रहे, ऐसे में किसी ने पैसों का इंतजाम कर भी दिया तो बिना मजदूर के वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कैसे लगवाएगा। शायद निगमायुक्त का इस आदेश को देने के पीछे यह विचार रहा होगा कि जो कोई पानी भराव की समस्या कहे तो उसके ऊपर यह कहा जा सके कि इसके जिम्मेदार आप भी हो, हमने तो कहा था कि वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवा लो।

हर वर्ष निगम अंतिम समय में जागता है नालों की सफाई के लिए और प्रमाण तो नहीं हैं लेकिन जनता में जो चर्चा रहती है, वह यही रहती है कि कागजों में नाले साफ हो जाते हैं वास्तव में वहां कुछ होता नहीं। क्या यही इस वर्ष भी होने वाला है कोरोना के नाम पर।

अभी बार-बार उपायुक्त और निगमायुक्त की ओर से आदेश आते हैं कि दुकानदार अपनी दुकानों के सामने वाहन खड़े न करें, वे वाहनों को पार्किंग में खड़ा करें लेकिन अभी भी दुकानों के सामने वाहन खड़े रहते हैं और जैसे-जैसे राहत का समय बढ़ता जाएगा, वैसे-वैसे दुकानदार स्वछंद होते जाएंगे और दुकानों के आगे कब्जे भी करेंगे और पटरी वालों को भी बिठाएंगे।

अब यही प्रशासन के लिए परीक्षा होगी कि किस प्रकार व्यापारियों को समझाएं, जिससे शहर का माहौल भी न बिगड़े और शहर में सोशल डिस्टेंसिंग के नियम भी न टूटें, जिससे कोरोना को बढ़ावा मिल सके।

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