अरोग्यसेतु मोबाइल ऍप की अनिवार्यता की कानूनी वैधता को चुनौती देने का देश का पहला दावा  गुरुग्राम कोर्ट में स्वीकार, सरकार को नोटिस जारी ।

आरोग्यसेतु की अनिवार्यता सूचना प्रौद्योगिकी कानून एवं सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के खिलाफ भारतीय जनमानस की निजता के अधिकार पर हमला है एवं सरासर गैरकानूनी आदेश है, ऐसा दावा है याचिकाकर्ता एवं अधिवक्ता मुकेश कुलथिया का ।

याचिकाकर्ता ने माननीय अदालत में जस्टिस के एस पुत्तास्वामी के मामले में 2017 और 2018 का सुप्रीम कोर्ट का निर्णय पेश किया एवं तेलंगाना हाई कोर्ट का मई 2020 का निर्णय पेश किया साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धाराओं का हवाला दिया जिनके तहत यह स्थापित करने की कोशिश की कि ‘आरोग्य सेतु ऐप’ को अनिवार्य करना गैरकानूनी है, माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेशों के खिलाफ है एवं सरासर भारतीय संविधान के आर्टिकल 21 का  उल्लंघन है

गुरुग्राम कोर्ट सिविल जज श्रीमती सोनिया शिओकन्द की अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिका मंजूर की एवं केंद्र सरकार गृह मंत्रालय, आपदा नियंत्रण अथॉरिटी, रेल मंत्रालय, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया, सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय एवं मानवाधिकार आयोग को नोटिस जारी कर 10 तारीख को अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश पारित किए ।

error: Content is protected !!