सूटकेस छिपाने के मामलें में थानेदार की रूकी इन्क्रीमेंट
डेरा सच्चा सौदा प्रकरण में सीवन के पूर्व एसएचओं दोषी करार
कैथल में पकड़ी गई गाड़ियों में नही दिखाए रिकोर्ड में बरामद सूटकेस
कैथल दोषी करार के बाद कुरुक्षेत्र एसपी ने रोकी एक इन्क्रीमेंट

चंडीगढ़। पुलिस अधीक्षक कुरुक्षेत्र आस्था मोड़ी ने तीन साल पहले डेरा सच्चा सौदा प्रकरण में गांव रसूलपुर थाना सीवन में  बरामद की दो गाड़ियों से जब्त किए गए सूटकेस को मालखाने में जमा ना करवाने के मामलें में डीएसपी कैथल की जांच रिपोर्ट को सही मानते हुए तत्कालीन थाना सीवन एसएचओ रणबीर सिंह को दोषी मानते हुए उनकी एक इन्क्रीमेंट पर रोक लगा दी है। जो इस समय कुरुक्षेत्र जिले में कार्यरत है।

आरटीआई कार्यकर्त्ता जयपाल रसूलपुर ने बताया की तीन साल पहले डेरा सच्चा सौदा प्रकरण में पंचकूला में हुई हिंसा वाले दिन डेरे की दो जिप्सी गाड़ी रात के समय गांव रसूलपुर में आई थी। जिसकी सूचना मिलते ही अगले दिन सुबह नायब तहसीलदार सीवन पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे थे। पुलिस को दोनों गाड़ियों की तलाशी ली थी। पुलिस को तलाशी के द्वौरान गाड़ियों से दो सूटकेस और अन्य सामग्री बरामद की गई थी। जिला प्रशासन द्वारा इस पूरी घटना घटना की वीडियोग्राफी भी करवाई गई थी। परन्तु पुलिस द्वारा जानबूझकर उन दो सूटकेसों को बरामद की गई सूचि में ही नही दिखाया। और ना ही उनका हवाला एफ.आईआर और चालान में किया। पूरी घटना की मनघडंत कहानी बना कर पूरे मामले को दबा दिया था। उसके बाद इसकी शिकायत कैथल एसपी को दी थी। जिसकी जांच डीएसपी मुख्यालय कैथल द्वारा की गई। जांच के दौरान मैंने डीएसपी को जिला प्रशासन से आरटीआई द्वारा प्राप्त की गई पूरी घटना की वीडियोग्राफी दिखाई थी। जिसमे उपरोक्त पुलिस पुलिस कर्मी एक घर के अन्दर से दो सूटकेस और अन्य सामान गाड़ियों में रखते दिख रहे है। जबकि पुलिस ने इस पूरी घटना को गांव से बाहर का दिखाया था। पुलिस ने शिकायत को सही मानते हुए डीएसपी मुख्यालय कैथल ने उपरोक्त दोनों पुलिस कर्मियों को दोषी माना है।

आरटीआई से ली गई वीडियोग्राफी ने खोली थी पोल

इस पूरे प्रकरण में जिला प्रशासन द्वारा पुरे जिले की वीडियोग्राफी करवाने के आदेश दिए हुए थे। जिस दिन यह घटना घटी उस दिन भी डयूटी मजिस्ट्रेट के साथ एक वीडियो ग्राफर आया हुआ था। जिसने ये पूरी घटना अपने कमरे में कैद कर ली थी। इस बात का आरटीआइ लगाने वाले जयपाल को पता था जब पुलिस ने एफ.आईआर और चालान में दो सूटकेसों का कही जिकर नही किया तो उसने आरटीआई के तहत इस पूरी घटना की वीडियोग्राफी मांगी गई। जिसको जिला प्रशासन ने देने से मना कर दिया था। इसको लेकर जयपाल ने ढेड साल तक सूचना आयोग चंडीगड़ में लड़ाई लड़ी और आखिर आयोग के आदेशों के बाद जिला प्रशासन को इस पूरी घटना की वीडियोग्राफी जयपाल को देनी पड़ी। जिस से पुलिसकर्मियों की पोल खुल गई और इस आधार पर उनको दोषी साबित किया गया।  

कार्यवाही से नही है संतुष्ट जयपाल

जयपाल ने बताया की जो पुलिस अधीक्षक कैथल व कुरुक्षेत्र ने उपरोक्त दोनों पुलिसकर्मियों को जो इन्क्रीमेंट काटने की सजा दी है वह बहुत कम है। जबकि डीएसपी की जांच में स्पष्ट साबित हो गया है की पुलिस ने जानबूझकर कर दो सूटकेसों को मालखाने में जमा नही करवाया। पूरी घटना को एक मनघड़ंत कहानी की तरह पूरा मामला गांव के बाहर का दिखाया गया था। एफ.आईआर और चालान में भी दो सूटकेसों का कहीं जिक्र तक नही किया। जिससे ये साफ जाहिर होता है की ये पूरा खेल सूटकेसों में रखे पैसे हडपने के चक्कर में किया है। जयपाल ने बताया की कानून के मुताबकि उक्त दोनों पुलिसकर्मियों पर केस के सही तथ्यों को छुपाने व अपने पद का गलत इस्तेमाल कर के फर्जी कागजात तैयार करने तथा कोर्ट को गुमराह करने बाबत इनके खिलाफ एफ.आईआर दर्ज करवानी चाहिए थी।    

कोर्ट में डाला है केस

जयपाल ने जिला पुलिस अधीक्षक कैथल व कुरुक्षेत्र द्वारा दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सही कार्यवाही ना करने बारे सीवन थाना के तत्कालीन एसएच.ओ रणबीर सिंह, जांच अधिकारी रमेश कुमार व डयूटी मैजिस्ट्रेट सुरेश कुमार (नायब तहसीलदार सीवन) के विरुद्ध केस के सही तथ्यों को छुपाने व अपने पद का गलत इस्तेमाल कर के केस के फर्जी कागजात तैयार करने तथा कोर्ट को गुमराह करने बाबत धारा 156(3) के तहत कैथल न्यायालय में केस दायर किया है। जो अभी न्यायालय में विचाराधीन है।

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