चंडीगढ़: 1 जून । 2 दिन पहले ही निदेशक मौलिक शिक्षा हरियाणा पंचकूला के कार्यालय से दूरभाष से संदेश आया था कि 1983 पीटीआई को कार्यमुक्त नहीं किया जाएगा। परंतु सोमवार को अचानक शत प्रतिशत यू टर्न लेते हुए पुनः निदेशालय से दुरभाष से संदेश आया हैं कि आज ही 1983 पीटीआई को कार्य मुक्त कर दिया जाए। आदेशों की पालना करते हुए लगभग सभी पीटीआई को कार्य मुक्त कर दिया गया।

हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के राज्य प्रधान सी एन भारती, महासचिव जगरोशन ,कोषाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद बाटू ने आनन-फानन में की गई इस कार्यवाही की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है कि वह कर्मचारी व अध्यापक विरोधी है। अभी सरकार के पास उच्चतम न्यायालय के निर्णय अनुसार ही बहुत समय था । माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में सरकार को कोरोना प्रकोप के समाप्त होने के बाद 5 मास का अतिरिक्त समय दिया था। अभी तो करोना का भयंकर दौर ही चला हुआ है, प्रदेश में प्रतिदिन 200 से अधिक नए मामले आ रहे हैं। इसलिए ऐसे समय में ये  आदेश बहुत ही निंदनीय है एंवम मानवता विरोधी हैं।

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा व महासचिव सतीश सेठी ने आनन-फानन में दस साल से  संतोषजनक सेवा दे रहे 1983 पीटीआई को एक झटके में नौकरी से निकालने की घोर निन्दा की है। उन्होंने बताया कि 4 जून को प्रदेशभर में होने वाले प्रदर्शनों में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा और सरकार से से सवाल पुछा जाएगा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने पांच महीने का समय दिया है तो इनको नौकरी से निकालने में इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई गई। उन्होंने बताया कि सरकार को 1983 पीटीआई को सेवा सुरक्षा प्रदान करने के लिए कोई रास्ता निकालना चाहिए था, लेकिन सरकार ने कोई प्रयास करने की बजाय सबसे आसान तरीका निकाला और दस सालों से लगे 1983 पीटीआई को नौकरी से निकाल कर उनके चूल्हे ठंडे कर दिए। जिससे पुरे प्रदेश के कर्मचारियों में शोक की लहर दौड़ गई है और वह भारी गुस्से में है।हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ एवं सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा सरकार से पुनः मांग करता है कि वह अपनी विधायी शक्तियों का प्रयोग करें एंव उच्चतम न्यायालय की बड़ी बेंच में सकारात्मक रूप से पैरवी करते हुए इन पीटीआई की नौकरी सुरक्षित रखें। 10 वर्ष की सेवा उपरांत किसी और की गलती के लिए 1983 परिवारों में सन्नाटा पैदा करना किसी भी दृष्टि से न्याय संगत नहीं है। यह कोई भी नहीं मान सकता है कि सभी पीटीआई की भर्ती गलत तरीके से की गई है।

हाईकोर्ट में सुनवाई 3 जून को होगी

सी एन भारती ने कहा है कि माननीय उच्च न्यायालय पंजाब और हरियाणा चंडीगढ़ में इस केस की सुनवाई हेतु 3 जून की डेट लगी है। उसमें क्या आदेश होता है उसको देखकर अध्यापक संघ आगे की रणनीति तय करेगा। उन्होंने कहा है कि सेवा नियमों के तहत किसी भी स्थाई कर्मचारी को नौकरी से निकालने से पहले न्यूनतम 3 मास का शो कॉज नोटिस दिया जाता है। अथवा 3 मास का अग्रिम वेतन देने का प्रावधान है। परंतु यहां कोई शो कॉज नोटिस नहीं दिया जा रहा है। वैसे भी पीटीआई के नियोक्ता अधिकारी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी हैं। और यह काले आदेश निदेशक महोदय निकाल रहे हैं निश्चित तौर पर कानूनी रूप से यह भी सही नहीं है।

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