-अवैध तरीके से हो रहा करोड़ों का लेन-देन, नहीं किसी के पास आरबीआई से कोई लाइसेंस  -स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने 74 पेजों के सबूतों के साथ पीएम भेजी थी शिकायत -आरटीआई में हुआ था खुलासा: कच्ची पर्ची से दो करोड़ तक का हुआ लेनदेन

भिवानी, 29 मई। भिवानी में काला धन के करोड़ों रुपयों से अवैध कारोबार की शिकायत पर प्रधानमंत्री कार्यालय से संज्ञान लेते हुए हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव को कार्रवाई कर रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय को 11 मार्च को स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने भिवानी में काला धन के अवैध कारोबार से जुड़े तथ्यों सहित शिकायत भेजी थी।  बृजपाल सिंह परमार ने अपनी शिकायत में हवाला दिया था कि आरटीआई के जरिए जुटाए गए दस्तावेजों में सामने आया था कि भिवानी में कच्ची पर्ची के सहारे करीब दो करोड़ रुपये तक का लेन-देन किया गया है। ये आरटीआई खुद पुलिस विभाग ने जवाब में उपलबध कराई थी।

 स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल परमार ने पीएम मोदी को भेजी शिकायत में बताया कि भिवानी में हर माह करोड़ों रुपयों का लेन-देन कच्ची पर्ची के सहारे किया जा रहा है, जो काले धन की श्रेणी में आता है। नियमों के अनुसार आयकर विभाग के नियमानुसार दस हजार से अधिक नकद में लेन-देन नहीं किया जा सकता है। दस हजार से अधिक का नकदी में लेन-देन बैंक के माध्यम से अनिवार्य है। मगर कच्ची पर्ची के इस अवैध कारोबार से जुड़े फाइनेंसरों व दलालों ने अपना जाल इतना फैला रखा है कि उसके झांसे कई लोगों को लिया जा चुका है, कई लोग तो मोटी ब्याज सहित रकम को चुकता नहीं कर पाने पर आत्महत्या तक मजबूर हो चुके हैं या फिर भय से शहर छोड़कर भागने पर मजबूर हो चुके हैं। पुलिस विभाग के समक्ष भी कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें कच्ची पर्ची पर दो करोड़ रुपये तक का लेन-देन हुआ है। 

ये हैं आरबीआई के नियम

बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि किसी भी तरह के कारोबार में रुपयों का लेन-देन करने के लिए पहले रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी का गठन जरूरी है। जिसका रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य है। इसके उपरांत आरबीआई से लेन-देन का अलग से रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। इसी के बाद नियमानुसार लाखों व करोड़ों रुपयों का लेन-देन संभव है। लेकिन बाजार में काला धन का अवैध कारोबार से जुड़े फाइनेंसर व दलाल कच्ची पर्ची यानी एक छोटे से कागज पर रसीदी टिकट लगाकर केवल हाथ से लिखकर ही करोड़ों का लेन-देन कर रहे हैं। अवैध फाइनेंसर व दलाल अपनी दबगई से लेनदारों की प्रॉपर्टी भी हथिया लेते हैं, जिसके बाद मजबूरन व्यक्ति आत्महत्या जैसा कदम भी उठा रहे हैं।

ये है सजा का प्रावधान

बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि आयकर विभाग ने किसी भी तरह के लेन-देन को लेकर नियम बनाए हुए हैं। इसमें दस हजार से अधिक राशि का नकदी में लेनदेन नहीं किया जा सकता। इसके बाद लाखों और करोड़ों के लेन-देन का अगर कोई व्यक्ति या व्यापारी अवैध तरीके से लेन-देन करता है तो उसकी संपत्ति जप्त करने और सात साल तक की सजा का भी प्रावधान किया हुआ 

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