भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक
गुरुग्राम। कोरोना की जद में अत्याधिक आ चुका है गुरुग्राम। एक तरफ तो कोरोना की बीमारी, दूसरी तरफ कोरोना के साइड इफैक्ट्स, मजदूरों का खाना, प्रवासी मजदूरों का जाना, बीपीएल कार्ड, हरे, पीले, गुलाबी आदि राशन कार्ड वालों का राशन डिपुओं से सामान लेना, बाजार में कालाबाजारी का होना, इन सभी बातों के लिए आम आदमी किसे कहे?

यूं तो गुरुग्राम राजनैतिक दृष्टि से बहुत समृद्ध माना जाता है परंतु वर्तमान में कोई विपक्षी दल, जिसमें सबसे बड़ा विपक्षी दल कांग्रेस को माना जाता है, कहीं दिखाई नहीं देता। क्या कांग्रेस के नेता यह सोचते हैं कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा कहां से ध्यान देंगे और जब चुनाव होंगे तो गुरुग्राम की जनता इन्हें वोट दे देगी। अरे संभल जाओ कांग्रेसियों, अभी तो जनता ने विपक्ष में बिठाया है। विपक्ष का काम नहीं करोगे तो जहन से भी निकाल देगी। इसके बाद जजपा के नेताओं को देखो, सत्ता में सहयोगी हैं परंतु कहीं गरीब-मजदूरों की परेशानियों में सहयोगी दिखाई दे नहीं रहे।
आप के उम्मीदवार अपने आपको बहुत बड़ा कानूनविद मानते हैं। क्या एक बार भी उनकी ओर से आवाज उठाई गई कि जनता की गृहमंत्रालय की गाइडलाइन मान रही है, क्या प्रशासन की ओर से आपातकाल में करने वाले कार्य किए जा रहे हैं? ये पार्टियां तो हुई न हुई बराबर हैं।

अब जैसे-जैसे कोरोना काल बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे परेशानियां भी बढ़ती जा रही हैं और ऐसी अवस्था में यह नजर नहीं आ रहा है कि जनता के चुने हुए नुमाइंदे पार्षद, मेयर, विधायक, सांसद कहीं भी गरीब जनता की परेशानियों से नजदीक से जुड़ पा रहे हैं और फिर उससे बड़ी बात, उनकी बात यदि मानें तो सभी प्रयास कर रहे हैं जनता से जुडऩे की, उनकी परेशानियों को हल करने की परंतु मुसीबतें समाधान चाहती हैं और जब वह नहीं मिलता तो असंतोष पैदा होता है और ऐसी अवस्था में जब इन नुमाइंदों से संपर्क करने का प्रयास करते हैं तो संपर्क बहुत अवस्था में तो नामुमकिन ही होता है, कुछ हो भी जाता है तो उससे दुखी परेशान व्यक्ति की परेशानियों दूर हो नहीं रही हैं।

ऐसी अवस्था में आमजन बहुत परेशान है। एक व्यक्ति के नाते मैं उनको संदेश देना चाहूंगा कि ऐसा समय व्यक्ति के सब्र का इम्तिहान लेता है। सब्र नहीं टूटेगा तो दिमाग काम करेगा। दिमाग काम करेगा तो समस्या का हल भी निकलेगा। ऐसी कोई समस्या बनी नहीं, जिसका हल न निकले।

इसी के साथ यही कहना चाहूंगा कि कोरोना वॉरियर के सर्टिफिकेट तो जनता के दिलों में अपने आप ही छप जाएंगे, यदि आप इनकी परेशानियों में इनके कंधों से कंधा मिलाकर खड़े हो जाएंगे। वर्तमान में बड़ी परेशानियों भोजन (राशन की दुकानों से) और जो सरकार दे रही है वे कार्ड कहां से मिलेंगे? सरकारी अस्पताल में ओपीडी, कालाबाजारी और इन सभी से ऊपर प्रशासन के अधिकारियों की कार्यशैली पर नजर रखनी कि वे सामान्य रोजमर्रा के कार्यों की ओर से कुछ ध्यान हटाकर विशेष ध्यान कोरोना आपातकाल से निपटने में लगाएं।

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