चंडीगढ़,21 मई। बिजली निजीकरण के खिलाफ देशभर के बिजली कर्मचारी व अभियंता एकजुट हो गए हैं। बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियरों की राष्टÑीय समन्वय समिति ने निजीकरण के प्रस्तावित बिजली संशोधन बिल-2020 के खिलाफ 1 जून को देशभर में काले बिल्ले लगाकर विरोध प्रर्दशन करने का ऐलान कर दिया है। इन प्रदर्शनों को लेकर बृहस्पतिवार को सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा एवं ईईएफआई से संबंधित आल हरियाणा पावर कारपोरेशनज वर्कर यूनियन के राय प्रधान सुरेश राठी की अध्यक्षता में विडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए नेगोसिएशन कमेटी की मीटिंग आयोजित की गई। मीटिंग में 1 जून को बिजली निजीकरण के खिलाफ प्रदेश में सब डिवीजन एवं डिवीजन स्तर पर काले बिल्ले लगाकर प्रर्दशन करने का फैसला लिया गया है। मीटिंग में केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों एवं आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट इंप्लाईज फेडरेशन के आह्वान पर निजीकरण व श्रम कानूनों को खत्म करने, पुरानी पेंशन बहाल करने,ठेका प्रथा समाप्त करने आदि मांगों को लेकर 22 मई के हल्ला बोल प्रर्दशनों में शामिल होने का निर्णय लिया है। नेगोसिएशन कमेटी की मीटिंग में ईईएफआई के राष्टÑीय महासचिव प्रशांत नंदी चोधरी और कमेटी के सदस्य सुरेश राठी,नरेश कुमार, देवेन्द्र हुड्डा, सुभाष लांबा, रमेश चंद्र,अजय वशिष्ठ,एनपी सिंह चौहान, लोकेश कुमार, राजपाल सांगवान,मनीष मलिक व अशोक लांबा आदि मौजूद थे। मीटिंग में केंद्र सरकार द्वारा निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली देने के वायदे को खारिज करते हुए बताया गया कि बिल की सच्चाई यह है कि निजीकरण किसानों व आम घरेलू उपभोक्ताओं के साथ धोखा है और निजीकरण के बाद बिजली की दरों में बेतहाशा वृद्धि होगी। जिसके कारण बिजली गरीब उपभोक्ताओं और किसानों की पहुंच से बाहर हो जाएंगी। मीटिंग में इस निजीकरण के बिल के खिलाफ किसानों, मजदूर ट्रेड यूनियनों व बिजली उपभोक्ताओं को साथ लेकर निर्णायक आंदोलन किया जाएगा। Post navigation जिला जींद के गांव मोरखी में राज्य का पहला बायोगैस आधारित पावर प्लांट चालू सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ 22 मई को सभी ट्रेड यूनियनें करेंगी प्रदर्शन