जल्द करे फसल की ख़रीद और पेमेंट, ना लगाए धान पर पाबंदी- दीपेंद्र सिंह हुड्डा

 भूजल के लिए किसानों पर बंदिशें लगाने की बजाए, दादूपुर-नलवी, हांसी-बुटाना नहर व ड्रिप सिंचाई योजना को आगे बढ़ाए सरकार- दीपेंद्र. ·       जनता को भरोसा दिलाने के लिए हाईकोर्ट के सीटिंग जज या किसी स्वतंत्र एजेंसी से करवाई जाए शराब घोटाले की जांच- दीपेंद्र. ·        उद्योगपतियों के लिए लोन नहीं आर्थिक पैकेज का किया जाए ऐलान, दुकानदारों व छोटे व्यवसायियों के लिए बिजली बिल, कमर्शियल टैक्स और किराए में दी जाए छूट- दीपेंद्र  .  स्वास्थ्य कर्मचारियों की तरह सफाई, पुलिस और रोडवेज़ कर्मियों समेत सभी कोरोना योद्धाओं को मिले डबल सैलेरी और विशेष बीमा- दीपेंद्र

15 मईचंडीगढ़: पहले फसल की ख़रीद, फिर उठान और अब पेमेंट में देरी से किसानों के सब्र का बांध टूट रहा है। सरकार ने 3 दिन में पेमेंट करने का वादा किया था, लेकिन तीन हफ्ते बाद भी किसानों की पेमेंट नहीं हुई। क्योंकि सरकार ने भुगतान की प्रक्रिया को इतना जटिल बना दिया है कि इससे किसान और आढ़ती दोनों परेशान हैं। कहना है राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा का। डिजिटल प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने आज किसान, मजदूर, दुकानदार, दिहाड़ीदार, विद्यार्थी, बेरोज़गार, ग़रीब, मध्यम वर्ग, छोटे व मझोले उद्योगों की समस्याओं को उठाया है। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि सरकार ना वक्त पर फसल की ख़रीद कर रही है और ना ही पेमेंट। ख़ुद कृषि मंत्री ने दो दिन पहले कहा था कि सरकार की तरफ से किसानों को सिर्फ़ 25 अप्रैल तक की ही पेमेंट हुई है। पिछले 20 दिनों की ख़रीद का किसान को एक भी पैसा नहीं दिया गया।

सरकार ने गेहूं का अबतक 12,500 करोड़ में से बमुश्किल 1500 करोड़ रुपया ही किसानों को दिया है, जबकि 11000 करोड़ रुपया अभी पेंडिंग है। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में अबतक करीब 65 लाख मीट्रिक टन गेहूं की ख़रीद हुई है, जबकि अनुमानित आवक 120 लाख मीट्रिक टन के करीब है। इसलिए सरकार को वादे के मुताबिक दाना-दाना गेहूं का ख़रीदना चाहिए और वक्त पर पेमेंट करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ख़रीद के मुक़ाबले मंडियों से उठान और धीमा है। अबतक करीब 40 लाख मीट्रिक टन गेहूं का ही उठान किया गया है। बाकी का लाखों मीट्रिक टन गेहूं हर बारिश में भीगकर मंडियों में पड़ा-पड़ा ख़राब हो रहा है।

दीपेंद्र ने सरकार की तरफ से कई ब्लॉक में धान बुआई पर लगाई गई पाबंदी का विरोध किया। उन्होंने कहा कि इस फ़ैसले को फौरन वापिस लेना चाहिए। भारतीय किसान यूनियन समेत तमाम किसान संगठन इसकी मांग कर रहे हैं। बीकेयू की इस मांग का हम पूरी तरह समर्थन करते हैं। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी सरकार के सामने ये मांग उठा चुके हैं। लेकिन उनकी जायज़ मांग पर ध्यान देने की बजाए सरकार में उप-मुख्यमंत्री का नेता प्रतिपक्ष की उम्र पर बयान देना दुर्भाग्यपूर्ण हैं। उन्हें पता होना चाहिए कि इंसान की उम्र सरकार नहीं भगवान तय करता है। अगर उन्हें लगता है कि 60-70 साल के किसी नेता या इंसान को भावी पीढ़ी की फिक्र नहीं है तो क्या मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री को भी वो इसी नज़रिए से देखते हैं। ख़ुद मुख्यमंत्री को भी बताना चाहिए कि क्या वो उप-मुख्यमंत्री की इस सोच से इत्तेफ़ाक़ रखते हैं? अब हमे लगता है शायद इसलिए  बुजुर्गो को 5100 रुपये पैंसन देने का वायदा पूरा नहीं किया ।

राज्यसभा सांसद ने कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भावी पीढ़ी के हित और भूजल संरक्षण के लिए दादूपुर नलवी वॉटर रीचार्ज परियोजना शुरू की थी। उसे बीजेपी सरकार ने बंद कर दिया। बीजेपी के राज में ही एसवाईएल को पंजाब में पाटने का काम हुआ। जबकि कांग्रेस सरकार ने एसवाईएल का पानी हरियाणा को दिलाने के लिए लगातार संघर्ष किया। कांग्रेस ने हांसी-बुटाना नहर परियोजना बनाई। भूजल बचाने के लिए इज़राइल से ड्रिप सिंचाई तकनीक लाई गई। साठी धान ना बोने के लिए किसानों को जागरूक और प्रोत्साहित किया। वैकल्पिक फसलों के ऊंचे रेट दिए। बीजेपी सरकार को भी किसानों पर बंदिशें लगाने की बजाए, भूजल के लिए कांग्रेस कार्यकाल से सीख लेकर नई तकनीक व परियोजनाएं शुरू करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि आज कृषि क्षेत्र देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी उम्मीद है। अगर सरकार उसपर ही मार मारेगी तो ये अर्थव्यवस्था के लिए बहुत घातक होगा। प्रदेश की अर्थव्यवस्था कोरोना काल से पहले ही ढलान की तरफ थी। विपक्ष की तरफ से बार-बार इस बारे में सरकार को चेताया गया। बावजूद इसके प्रदेश पर कर्ज़ 60 हज़ार करोड़ से बढ़कर 2 लाख करोड़ हो गया। उसका नतीजा ये है कि सरकार आज छोटे और मध्यम उद्योगों को आर्थिक राहत नहीं दे पा रही है। जबकि सरकार को चाहिए कि उन्हें जल्द आर्थिक पैकेज दे ताकि वो अपने श्रमिकों को सैलेरी दे पाएं। तभी प्रदेश से श्रमिकों का पलायन रुक पाएगा। मजबूरी में आज दुकानदारों से लेकर उद्योगपतियों तक को अपने वर्कर्स को नौकरी से निकालना पड़ रहा है। सरकार उन्हें ऐसा करने से रोकने की बजाए ख़ुद अपने कर्मचारियों की छटनी कर रही है। सरकार की तरफ से कई सफाई कर्मियों और वोकेशनल टीचर्स के बाद अब टूरिज़्म डिपार्टमेंट के भी कई कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं। अगर सरकार ख़ुद कर्मचारियों को नौकरी से निकालेगी तो वो प्राइवेट सेक्टर को ऐसा करने से कैसे रोकेगी। दीपेंद्र ने कहा कि सरकार को मुश्किल वक्त में लोगों का सहारा बनना चाहिए, ना कि उन्हें बेसहारा करना चाहिए। सरकार लघु, कुटीर और मझोले उद्योगों के लिए आर्थिक पैकेज के नाम पर लोन का ऐलान कर रही है। जबकि उन्हें लोन नहीं तुरंत प्रभाव से आर्थिक राहत की ज़रूरत है। सरकार की तरफ से उद्योगपतियों के लिए विशेष आर्थिक पैकेज, दुकानदारों व छोटे व्यवसायियों के लिए बिजली बिल, कमर्शियल टैक्स और किराए में छूट का ऐलान करना चाहिए। 

दीपेंद्र हुड्डा से पत्रकारों ने शराब घोटाले पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि सरकार को सिर्फ एक गोदाम नहीं, बल्कि लॉकडाउन के दौरान पूरे हरियाणा में हुई अवैध शराब बिक्री की जांच करनी चाहिए। मामले में दोषी बड़े से बड़े शख्स पर कार्रवाई होनी चाहिए। जनता इस जांच पर पूरा विश्वास कर पाए इसलिए हाईकोर्ट के सीटिंग जज या किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करनी चाहिए।

दीपेंद्र ने कहा कि महामारी के इस दौर हम लगातार राजनीति से ऊपर उठकर सरकार तक आमजन की समस्याओं को पहुंचा रहे हैं। हमारी मांग है कि सरकार उनपर ध्यान दे। आज सरकार की पहली प्राथमिकता कोरोना योद्धाओं को प्रोत्साहन देना होनी चाहिए। स्वास्थ्य कर्मियों की तर्ज़ पर सफ़ाई कर्मियों, पुलिस कर्मचारियों और ड्यूटी पर तैनात तमाम कर्मचारियों को महामारी के दौरान डबल सैलेरी और विशेष बीमा देना चाहिए।

error: Content is protected !!