रणदीप सिंह सुरजेवाला, का बयान

पूरे हरियाणा में शराब घोटाले की परतें उजागर हो चुकी हैं। पर जानबूझकर शराब घोटाले को ‘स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम’ व ‘स्पेशल इंक्वायरी टीम’ के पचड़े में फंसा एक बार फिर पूरे मामले पर पर्दा डालने की साजिश की जा रही है।

हरियाणा की जनता तो कह रही है कि:-

‘लीपा पोती जाँच, ताकि किसी को न आए आंच’. मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर की शराब घोटाले पर पूर्णतया चुप्पी क्या कहीं न कहीं मामले को रफा दफा करने बारे मूक सहमति को जताती है? 

यदि नहीं, तो हरियाणा की जनता मुख्यमंत्री से 5 सवालों के जवाब मांगती है:-

1. शराब घोटाले में ‘स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम’ को खारिज कर ‘स्पेशल इंक्वायरी टीम’ का गठन क्यों किया गया?

 2. क्या यह सही नहीं कि ‘स्पेशल इंक्वायरी टीम’ को मात्र रिकॉर्ड देखने व पूछ ताछ का इख्तियार होगा जबकि ‘स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम’ शराब घोटाले की तह तक जाकर गहन पड़ताल कर सकती थी?

 3. क्या यह सही नहीं कि ‘स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम’ का गठन ‘क्रिमिनल प्रोसीज़र कोड, 1973’ की धारा 2(h) व 2(o) के तहत किया जा सकता है तथा इस SIT को शराब घोटाले वाले हर गोदाम में जाकर व्यापक जाँच करने, कागजात जब्त करने, रेड करने, एक्साईज़ विभाग व पुलिस विभाग के रिकॉर्ड को खंगालने तथा दोषियों की गिरफ्तारी का व्यापक अधिकार होता? पर जब मौजूदा ‘स्पेशल इंक्वायरी टीम’ को उपरोक्त शक्तियां हैं ही नहीं, तो यह शराब घोटाले की जाँच कैसे कर पाएगी?

 4. क्या यह सही नहीं कि अपराधिक मामलों में जाँच के लिए ‘इंक्वायरी टीम’ का गठन कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीज़र, 1973 की धारा 2 (g)के तहत केवल अदालत या मजिस्ट्रेट द्वारा ही किया जा सकता है? तो फिर ऐसे में खट्टर सरकार द्वारा बनाई गई ‘स्पेशल इंक्वायरी टीम’ क्या मात्र एक प्रशासनिक इंक्वायरी करने तक सीमित नहीं रह जाएगी? ऐसे में शराब घोटाले की जाँच कौन और कैसे करेगा?

5. क्या यह सही नहीं कि मुख्यमंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा बनाई ‘स्पेशल इंक्वायरी टीम’ के एडीजीपी, श्री सुभाष यादव तो 31 मई, 2020 को ही यानि अगले 15 दिन में रिटायर हो जाएंगे? तो ऐसे में पूरे प्रदेश में फैले शराब घोटाले की जाँच होगी कैसे, खासतौर से जबकि इस ‘स्पेशल इंक्वायरी टीम’ को पिछले 2 वर्षों तक का रिकॉर्ड खंगालना है?

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