भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिकगुरुग्राम। यह तो पहले ही नजर आ रहा है कि लॉकडाउन बढऩे वाला है परंतु जब मोदी जी ने 8 बजे आकर घोषणा ही कर दी कि लॉकडाउन तो बढ़ता ही रहेगा तो इसमें तो संशय ही समाप्त हो गया। साथ मोदी जी की समझ में भी आ गया कि जीवन रोक देने से समस्या का हल नहीं निकलने वाला। अत: उन्होंने भी कहा कि हर तरह के काम चलते रहेंगे, सोशल डिस्टेंसिंग को अपनाते हुए, सेनेटाइजर और मास्क का इस्तेमाल करते हुए। इन बातों को कार्यरूप देना हरियाणा सरकार ने आरंभ भी कर दिया है। लॉकडाउन-3 में ही हर प्रकार की दुकानें खुलनी आरंभ हो गई हैं, चाहे सप्ताह में दो दिन ही। वीरवार को ही समाचार आ गया था कि आज से रोडवेज की बसें शुरू हो रही हैं और जब बसें आरंभ हो रही हैं तो यह अभी सीमित संख्या में हैं और धीरे-धीरे बढ़ेंगी भी। नाई की दुकानें भी खुलने लगी हैं। होटल, मॉल्स और सिनेमा हॉल रह गए हैं, उनके लिए भी समय कोई हल निकाल देगा। एक बात जो आज मेरे ध्यान में आई, मेरी सनातन धर्म सभा के प्रधान सुरेंद्र खुल्लर से बात हुई तो उनका कहना था कि सभी को तो इजाजत दे दी और मंदिरों को अभी तक इजाजत नहीं दी, जबकि सभी कुछ भगवान के आशीर्वाद पर ही टिका हुआ है। उनका कहना था कि मंदिर भी सोशल डिस्टेंसिंग निभाकर खुल सकते हैं। उनके यहां कभी कोई तीज, त्यौहार, मेले पर ही अधिक भीड़ होती है। उसकी इजाजत न दो। साथ ही उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सभी को मदद की जा रही है, उसी प्रकार गुरुग्राम के मंदिरों को भी पैकेज मिलना चाहिए। आखिर सफाईकर्मी, मंदिर के पुजारी आदि को वेतन भी देना है और साथ ही अब सभी कुछ सेनेटाइज भी करना होगा वह भी दिन कई-कई बार। अत: पैकेज की आवश्यकता तो है ही। ्रबात जायज भी लगी कि निगम की ओर से डॉ. आशीष ने हमें बताया था कि हमने घरों में सेनेटाइज नहीं किया है, कॉमन प्लेसेज पर किया है। किंतु आज ज्ञात हुआ कि शायद मंदिरों को भी वह घरों की श्रेणी में ही रखते हैं, क्योंकि मंदिरों में भी निगम की ओर से सेनेटाइज हुआ नहीं। एक सबसे बडी बात कि शराब की दुकानें भी गत 4 मई से धड़ल्ले से चल रही हैं। याद आ रही हैं गोपी फिल्म की चंद पंक्तियां कि रामचंद्र कह गए सिया से… मंदिर-मस्जिद बंद रहेंगे और खुली रहेंगी मधुशाला। खैर, जो भी कर रही है सरकार सोच-समझकर ही कर रही होगी। जैसा कि सरकार का कहना है कि धन तो शराब से ही मिलेगा लेकिन आज इसमें नाटकीय मोड आया। जजपा के पूर्व विधायक सतविंद्र राणा गैरकानूनी रूप से शराब का व्यापार करने के मामले में धरे गए। इधर रणदीप सुरजेवाला ने उठाकर कागज प्रस्तुत कर दिए कि 26 तारीख से 30 तारीख के बीच जब शराब बंद थी, तब भी लाइसेंस बांटे गए, आखिर क्यों? पहले लॉकडाउन में शराब खुली थी, उसके बाद शराब बंद की गई, फिर भी शराब चर्चा में ही रही। इसके लिए जजपा का नाम अधिक प्रचारित होता रहा कि जजपा अधिक उत्सुक है शराब के ठेके खोलने के लिए। कारण में अनेक बातें कही जाती रहीं, लंबी बातें हैं कहना फिजूल होगा। मोटी बात यह है कि सोनीपत में भी शराब का बहुत बड़ा घोटाला पकड़ा गया, जिस पर गृहमंत्री अनिल विज ने एसआइटी बना दी और एसआइटी में तेजतर्रार और ईमानदार छवि वाले अधिकारी रखे गए। अब सच्चाई क्या है, यह तो निश्चित तौर पर हम नहीं कह सकते लेकिन जनता में चर्चा अवश्य यह रही कि एसआइटी बनाने से दुष्यंत चौटाला कहीं नाराज हैं और वर्तमान हरियाणा की राजनैतिक परिस्थितियों में यह माना जाता है कि दुष्यंत चौटाला और मुख्यमंत्री मनोहर लाल की नजदीकियां बढ़ चुकी हैं, जबकि अनिल विज अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं। खैर, यह तो मोटे-मोटे में परिस्थितियां हुईं लेकिन आज गुरुग्राम में भी शराब कारोबारियों में चिंता और हड़बड़ाहट देखी गई। अब कारण क्या है, यह तो वह ही अच्छी तरह बता सकते हैं लेकिन हम तो यही कह सकते हैं कि जब शराब बंद थी, तब भी गुरुग्राम में तीन से चार गुणा रेट पर शराब उपलब्ध थी और उसमें चर्चा यही हो रही थी कि यह सब शराब के ठेकेदारों द्वारा ही किया जा रहा है और आज सुरजेवाला ने जो कागज प्रस्तुत किए हैं, उनमें गुरुग्राम के भी 21 लाइसेंस दिए गए हैं। तात्पर्य यह है कि लगता है कि दाल में काला तो अवश्य है। संभव है दाल ही काली निकले तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। आजकल गुरुग्राम में खाना बांटने वालों का सिलसिला कम हो गया है। प्रशासन की ओर से प्रवासी मजदूरों को उनके निवास स्थानों पर भेजने की कवायद चल रही है। प्रशासन की ओर से जो विज्ञप्तियां आ रही हैं, उनके अनुसार जाने वाले प्रवासी अत्याधिक प्रसन्न हैं और वे कहते हैं कि मजबूरी नहीं होती तो हम जाते नहीं और शीघ्र ही वापिस आएंगे। अब जो दिखाई दे रहा है कि अभी हजारों की संख्या में मजदूर जाने के लिए लाइन में बैठे हैं और उनके साथ अभी भी रोटी की समस्या है लेकिन आजकल उनका ध्यान लोगों ने रखना बंद कर दिया है। अब क्या कहें हमारे विधायक बड़े जोरों से कहा करते थे कि मेरे गुरुग्राम में एक भी आदमी भूखा नहीं रहेगा लेकिन उनके या उनके सहयोगियों द्वारा सिद्धेश्वर मंदिर में शुरू किया गया भोजन वितरण कार्य भी समाप्त हो चुका है। अन्य भी बहुत से लोगों ने कार्य समाप्त कर दिया है। अत: सूचनाएं मिल रही हैं कि ये लोग वास्तव में अब खाने की किल्लत से गुजर रहे हैं। शायद विधायक, दानी लोग और प्रशासन का मानना यह हो सकता है कि यह घोषणा हो गई कि कंपनियों में काम शुरू हो गया तो सभी के घर में रोटी आ गई लेकिन वास्तविकता यह है कि अभी किसी को सैलरी मिली ही नहीं। काम जो आरंभ हुए हैं, उसे भी अगर ये कहें कि अभी 10-15 प्रतिशत ही हुए हैं तो शायद गलत नहीं होगा। आने वाले समय में हमारी निगाह में स्थितियां बिगडऩे वाली हैं संभलने वाली नहीं, क्योंकि कहा जाता है कि मुसीबत आती तो एकदम से है परंतु जाती धीरे-धीरे है। इस विषम परिस्थिति को संभलने में बहुत समय लगेगा। आप निगाह डाल सकते हैं रिक्शा वाले, खोमचे वाले, ऑटो वाले, दिहाड़ी वाले, कच्चे वर्कर आदि को क्या सहूलियत मिली? 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